नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने पर केंद्र सरकार सहमत हो गई है। इसके लिए नवंबर के आखिरी हफ्ते में शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में इसका प्रस्ताव लाया जाएगा। हालांकि लद्दाख का केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा बरकरार रहेगा। गौरतलब है जम्मू कश्मीर के नव नियुक्त मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने 23 अक्टूबर को गृह मंत्री अमित शाह और 24 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। इस दौरान उन्होंने पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने का आग्रह किया था।
उमर अब्दुल्ला की सरकार ने कैबिनेट की पहली बैठक में जम्मू कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने का प्रस्ताव पास किया था। इस प्रस्ताव को 19 अक्टूबर को उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी मंजूरी दे दी थी। उमर अब्दुल्ला यह प्रस्ताव लेकर दिल्ली आए थे। उमर को इसी साल राज्य का दर्जा बहाल करने का आश्वासन मिला है। गौरतलब है कि 2019 में अनुच्छेद 370 और 35ए हटाते समय जम्मू कश्मीर और लद्दाख दो केंद्र शासित प्रदेश बनाए गए थे। सरकार ने उस समय ही राज्य के हालात सामान्य होने पर पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने का भरोसा दिया था। विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने इसे दोहराया था।
जम्मू कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए संसद में एक कानून पारित कर पुनर्गठन अधिनियम में बदलाव करना होगा। इसके लिए लोकसभा और राज्यसभा में नए कानूनी बदलावों का अनुमोदन जरूरी होगा। संसद मंजूरी के बाद इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। उनकी मंजूरी के बाद जम्मू कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की अधिसूचना जारी हो जाएगी। पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल होने के बाद पुलिस और कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी राज्य सरकार के पास आ जाएगी। साथ ही भूमि, राजस्व और प्रशासनिक अधिकारियों के ट्रांसफर, पोस्टिंग का अधिकार भी राज्य सरकार को मिल जाएगा। सरकार चलाने में तब राज्यपाल का दखल नहीं होगा।