नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में गहराते जल संकट के बीच हिमाचल प्रदेश ने दिल्ली को पानी देने से मना कर दिया है। दिल्ली के जल संकट को लेकर गुरुवार, 13 जून को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, जहां हिमाचल प्रदेश ने कोर्ट को बताया कि उसके पास दिल्ली को देने के लिए 136 क्यूसेक पानी नहीं है। हालांकि एक दिन पहले यानी 12 जून को हिमाचल ने कहा था कि उसकी तरफ से दिल्ली के लिए पानी छोड़ा गया है, जबकि हरियाणा की तरफ से पानी सप्लाई किया जाना बाकी है।
जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस प्रसन्ना बी वराले की बेंच ने इस मसले पर कहा कि राज्यों के बीच यमुना के पानी का बंटवारा एक जटिल और संवेदनशील मुद्दा है। हमारे पास दिल्ली, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के बीच जल बंटवारे के फॉर्मूले पर फैसला लेने की तकनीकी विशेषज्ञता नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली को पानी देने का फैसला अपर रिवर यमुना बोर्ड पर छोड़ दिया। कोर्ट ने कहा कि यमुना रिवर बोर्ड ने पहले ही दिल्ली को मानवीय आधार पर पानी की आपूर्ति के लिए आवेदन जमा करने का निर्देश दिया है। अगर दिल्ली सरकार ने एप्लिकेशन नहीं दी है तो आज शाम पांच बजे तक दे दें।
सुप्रीम कोर्ट ने यमुना रिवर बोर्ड को शुक्रवार यानी 14 जून को एक बैठक बुला कर दिल्ली सरकार के आवेदन पर जल्दी फैसला करने का आदेश दिया है। साथ ही कहा कि अगर जरूरत हो तो रोज बैठक कीजिए। गौरतलब है कि दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने जल सकंट को लेकर 31 मई को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें हरियाणा, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश को दिल्ली को एक महीने तक अतिरिक्त पानी छोड़ने का निर्देश देने की मांग की गई थी।