चंडीगढ़। लोकसभा चुनाव से पहले हरियाणा में भाजपा को बड़ा झटका लगा है। राज्य की नायब सिंह सैनी सरकार को समर्थन दे रहे तीन निर्दलीय विधायकों ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया है, जिससे सरकार अल्पमत में आ गई है। इन निर्दलीय विधायकों ने कांग्रेस के साथ जाने का फैसला किया है। चुनाव के बीच निर्दलीय विधायकों के भाजपा का साथ छोड़ने का चुनाव पर असर पड़ेगा। गौरतलब है कि चुनाव की घोषणा से ठीक पहले भाजपा ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को बदला था और 10 विधायकों वाली सहयोगी जननायक जनता पार्टी से तालमेल खत्म किया था।
बहरहाल, सरकार से समर्थन वापस लेने वाले निर्दलीय विधायकों में पुंडरी से विधायक रणधीर गोलन, नीलोखेड़ी से धर्मपाल गोंदर और चरखी दादरी से विधायक सोमवीर सांगवान शामिल हैं। गौरतलब है कि मार्च में जजपा से गठबंधन टूटने के बाद भाजपा ने इन निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सरकार बनाई थी। 90 विधायकों वाली हरियाणा विधानसभा में अभी 88 विधायक हैं, जिसमें से भाजपा के 40 विधायक हैं। लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने करनाल और निर्दलीय विधायक रणजीत चौटाला ने रानियां सीट से इस्तीफा दिया है।
राज्य में 88 सदस्यों की विधानसभा में भाजपा के पास 43 विधायकों का समर्थन बचा है। वहीं विपक्ष में 45 विधायक हो गए हैं। नायब सैनी ने इसी साल 12 मार्च को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। इसके अगले दिन 13 मार्च को उन्होंने विधानसभा में विश्वास मत हासिल किया था। आमतौर पर छह महीने के भीतर दोबारा विश्वास मत के लिए सरकार को नहीं कहा जाता है। विपक्ष भी विधानसभा में विश्वास मत के लिए दबाव नहीं डालेगा। राज्य की मुख्य विपक्षी कांग्रेस चाहती है कि मुख्यमंत्री इस्तीफा दें और विधानसभा चुनाव हो। गौरतलब है कि इस साल नवंबर में हरियाणा में चुनाव होने हैं।
बहरहाल, भाजपा सरकार से समर्थन वापस लेने वाले तीनों विधायकों ने रोहतक में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की मौजूदगी में कांग्रेस के समर्थन का ऐलान किया। इसके बाद हुड्डा ने कहा कि हरियाणा की भाजपा सरकार अल्पमत में आ गई है। इसलिए मुख्यमंत्री नायब सैनी को इस्तीफा देकर विधानसभा चुनाव करवाने चाहिए। हुड्डा ने कहा- नैतिकता यही कहती है कि अब मुख्यमंत्री नायब सैनी को इस्तीफा देकर चुनाव करवा लेना चाहिए। दूसरी ओर सैनी ने कहा- विधायकों की कुछ इच्छाएं होती हैं। हर व्यक्ति कुछ इच्छा के साथ जुड़ा होता है। कांग्रेस आजकल इच्छाएं पूरी करने में लगी हुई है। हालांकि लोग यह सब समझ रहे हैं कि किसकी इच्छा क्या है। कांग्रेस को जनता की इच्छाओं से मतलब नहीं है, उनको तो अपनी इच्छाओं से मतलब है।