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कोर्ट से न्यायाधिकार के आधार पर महिला की याचिका खारिज

नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत (Delhi court) ने कानपुर में कथित दुष्कर्म (rape) और दहेज (Dowry) के मामले में पुलिस जांच का अनुरोध करने वाली याचिका नामंजूर करने के एक मजिस्ट्रेट अदालत (magistrate court) का आदेश बरकरार रखते हुए कहा कि यह मामला उसके क्षेत्राधिकार से बाहर है।

अदालत एक महिला की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने पहले एक मजिस्ट्रेट अदालत का रुख कर पुलिस जांच का निर्देश देने का अनुरोध किया था। शिकायतकर्ता ने दावा किया था कि उसे दहेज के लिए प्रताड़ित किया गया, उसके पति के अवैध संबंध थे और कानपुर में ससुराल पक्ष के एक रिश्तेदार ने उससे दुष्कर्म किया था।

मजिस्ट्रेट अदालत ने पिछले साल सितंबर में यह याचिका खारिज करते हुए कहा था कि यह न्यायाधिकार क्षेत्र के आधार पर सुनवाई योग्य नहीं है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अरुल वर्मा ने हाल के आदेश में कहा कि मजिस्ट्रेट अदालत ‘इस सही निष्कर्ष पर पहुंची थी कि पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने का कोई आधार नहीं है।’ उन्होंने कहा कि आदेश में कोई कमी नहीं थी और मौजूदा आपराधिक पुनर्विचार याचिका ‘खारिज’ की जाती है।

न्यायाधीश ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 2017 के एक आदेश का हवाला दिया, जिसके अनुसार मजिस्ट्रेट को क्षेत्रीय न्यायाधिकार का पालन करना होता है और अगर उस अदालत के पास अपराध के लिए मुकदमा चलाने का अधिकार नहीं है तो उसके पास पुलिस जांच का आदेश पारित करने का भी अधिकार नहीं है। अदालत ने कहा कि जांच अधिकारी की स्थिति रिपोर्ट के अनुसार, सभी आरोप उस अवधि के हैं जब शिकायतकर्ता कानपुर में रहती थी।

अदालत ने कहा कि शिकायकर्ता यहां ओखला औद्योगिक क्षेत्र पुलिस थाने के तहत आने वाले इलाके में अपने माता-पिता के साथ रह रही है, लेकिन कोई भी अपराध इस पुलिस थाने के क्षेत्राधिकार में नहीं हुआ।  (भाषा)

 

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