नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने लोकसभा में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को दो टूक खारिज किया है। सरकार ने कहा है कि राष्ट्रीय विकास परिषद (एनडीसी) द्वारा पूर्व में कुछ राज्यों को विशेष श्रेणी का दर्जा दिया गया था, इसकी कई कसौटियां थी। जैसे पहाड़ी और कठिन भूभाग, कम जनसंख्या घनत्व या जनजातीय आबादी का बड़ा हिस्सा और आर्थिक तथा इंफ्रास्ट्रक्चरल पिछड़ेपन की बाते। इन्हीं सभी कारकों और राज्य की विशिष्ट स्थिति पर विचार करने के बाद केंद्र ने इस बारे में निर्णय लिए है। बिहार के विशेष श्रेणी के दर्जे को ले कर एक अंतर-मंत्रालयी समूह ने विचार किया था। इस समूह ने 30 मार्च, 2012 को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। इसका निष्कर्ष था कि मौजूदा एनडीसी मानदंडों के आधार पर बिहार के लिए विशेष दर्जा का मामला नहीं बनता है।
केंद्र के जवाब पर राजद ने नीतीश कुमार और जेडीयू पर तंज कसा है। कहां है कि नीतीश कुमार और जदयू नेता केंद्र सरकार में सत्ता का रसास्वादन करते हुए ‘विशेष राज्य के दर्जे‘ पर ढोंग की राजनीति करते रहें है! लालू प्रसाद यादव ने कहा, “नीतीश कुमार तुरंत इस्तीफा दें, बोला था विशेष राज्य का दर्जा दिला देंगे! अब केंद्र ने मना कर दिया है। नीतीश कुमार का झूठ खुल गया है। लालू प्रसाद यादव ने नीतीश कुमार का इस्तीफा भी मांगा है।
राजद के सांसद मनोज झा ने राज्यसभा में इसकी मांग दोहराते हुए कहा कि इसके लिए उनकी पार्टी संसद से सड़क तक संघर्ष करेगी। राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए उन्होंने जद (यू) की ओर संकेत करते हुए कहा, ‘‘हमारे कुछ साथी जो हमारे साथ काम कर चुके हैं, कहते हैं कि विशेष राज्य न दे सको तो विशेष पैकेज दो। पर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा भी चाहिए और विशेष पैकेज भी चाहिए। हमें दोनों चाहिए। संसद में मांगेंगे, सड़क पर मांगेंगे।