बिहार में जनता दल यू और राष्ट्रीय जनता दल के नेता दावा कर रहे हैं कि सब कुछ ठीक है और गठबंधन आराम से चलता रहेगा। लेकिन दोनों पार्टियां जो राजनीति कर रही हैं उसे देख कर तो नहीं लग रहा है कि सब ठीक है। एक तरफ राजद के नेता अनाप-शनाप बयान दे रहे हैं तो दूसरी ओर जदयू की प्लानिंग अलग राजनीति करने की दिख रही है। जदयू ने अपने पुराने चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर की लाइन पकड़ी है। प्रशांत किशोर इस समय जन सुराज पदयात्रा कर रहे हैं और बार बार उन्होंने कहा है कि तेजस्वी यादव नौवीं पास हैं और ऐसे आदमी को क्यों बिहार का उप मुख्यमंत्री होना चाहिए। वे लालू प्रसाद के दोनों बेटों की पढ़ाई का मुद्दा बना रहे हैं और दिलचस्प संयोग यह है कि राजद के सहयोग से मुख्यमंत्री बने नीतीश कुमार की पार्टी भी अब इस लाइन पर चल पड़ी है।
जदयू ने एक नया अभियान लांच किया और एक नया नारा दिया है। जदयू का नारा है- शिक्षित कुमार, शिक्षित बिहार। कहा जा रहा है कि कुमार का मतलब बिहार के युवाओं से है लेकिन असल में यह नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव का अंतर बताने वाला है। नीतीश इंजीनियर हैं और तेजस्वी ने दसवीं नहीं की है। जदयू के इस नारे के बाद तनाव और बढ़ेगा। पहले ही राजद नेता और राज्य के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के रामचरित मानस पर दिए बयान से विवाद है और राजद विधायक सुधाकर सिंह के नीतीश पर दिए बयान से जदयू की नाराजगी कायम है। ऐसा लग रहा है कि अपने अपने तरीके से दोनों सहयोगी पार्टियां अपनी पोजिशनिंग कर रही हैं। अगर आने वाले दिनों में मंत्रिमंडल में फेरबदल का काम आसानी से हो जाता है तब ही माना जाएगा कि सरकार में सब कुछ ठीक है।