पटना। बिहार की चार विधानसभा सीटों पर होने जा रहे उपचुनाव में सबसे दिलचस्प मुकाबला रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में देखने को मिल रहा है। यहां सभी दल जातीय समीकरण को दुरुस्त कर जातियों को साधकर अपनी चुनावी नैया पार करने में जुटे हैं। एनडीए की ओर से भाजपा ने इस सीट से एक बार फिर अशोक कुमार सिंह (Ashok Kumar Singh) को चुनावी मैदान में उतारा है, वहीं महागठबंधन ने राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे अजीत कुमार सिंह को उतारकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। एनडीए और महागठबंधन से राजपूत जाति से आने वाले उम्मीदवारों के मुकाबले, जन सुराज पार्टी ने सुशील कुशवाहा (Sushil Kushwaha) और बहुजन समाज पार्टी ने सतीश यादव को चुनावी रण में उतारकर सभी के लिए मुकाबले को कड़ा बना दिया। कहा जा रहा है कि रामगढ़ उपचुनाव में जातीय समीकरण निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। यादव, राजपूत, रविदास और मुसलमान मतदाता यहां के उम्मीदवारों की राजनीतिक किस्मत तय करते रहे हैं। ऐसे में इस बार जन सुराज पार्टी और बसपा ने इन समीकरणों को साधकर अन्य दलों की परेशानी बढ़ा दी है। बक्सर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली इस सीट के लिए उपचुनाव महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
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राजद अध्यक्ष जगदानंद सिंह (Jagdanand Singh) के बेटे सुधाकर सिंह के बक्सर लोकसभा चुनाव से सांसद बनने के बाद रामगढ़ की सीट खाली हो गई थी। माना जा रहा है कि सुधाकर सिंह इस बार इस उपचुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। हालांकि, क्षेत्र में यह बातें दिखती नहीं हैं। राजद के ऊपर परिवारवाद का आरोप लगाते हुए कार्यकर्ता भी नाखुश नजर आ रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में भी राजद समर्थकों के बीच नाराजगी दिख रही है। ग्रामीण कहते भी हैं कि इसमें कोई शक नहीं है कि पिछले कुछ वर्षों में क्षेत्र में विकास के कार्य हुए हैं, लेकिन वह नाकाफी है। स्थानीय लोग इस बार बदलाव के मूड में भी दिख रहे हैं। वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में बसपा के अंबिका सिंह (Ambika Singh) को हराकर सुधाकर सिंह ने जीत हासिल की थी। भाजपा के अशोक सिंह तीसरे नंबर पर रहे थे। इस चुनाव में परिस्थितियां बदली नजर आ रही हैं। हालांकि, यह कहा जा रहा है जो भी दल जातीय समीकरण साधने में कामयाब होगा उसकी नैया भी पार हो जाएगी। इस सीट पर 13 नवंबर को वोटिंग होगी और 23 नवंबर को चुनाव नतीजे आएंगे।