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क्षत्रप करेंगे नेतृत्व का फैसला

regional satrapsImage Source: ANI

regional satraps: नए साल में कई क्षत्रपों को अपना उत्तराधिकारी तय करना है। ध्यान रहे इस साल दिल्ली में विधानसभा चुनाव हैं और साल के अंत में बिहार में चुनाव होना है।

इसका मतलब है कि देश के बाकी हिस्सों में चुनाव नहीं हैं तो पार्टियां संगठन को मजबूत करने के काम कर सकती हैं।

इस लिहाज से वर्ष 2025 में जिन नेताओं की राजनीति पर नजर रहेगी उसमें शरद पवार सबसे अहम हैं। शरद पवार के अलावा ममता बनर्जी और मायावती की राजनीति पर भी नजर रहेगी। साथ ही अन्ना डीएमके की राजनीति भी बहुत दिलचस्प होगी।

इनके अलावा बाकी क्षत्रपों ने अपना उत्तराधिकारी तय कर दिया है। तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने अपने बेटे केटी रामाराव को उत्तराधिकारी तय किया है।

चंद्रशेखर राव 70 साल के हैं और सक्रिय भी हैं लेकिन उन्होंने बेटे केटी रामाराव को पार्टी में स्थापित कर दिया है।

वे पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष हैं और चंद्रशेखर राव की सरकार में मंत्री भी थे। सो, उनको राजनीतिक और प्रशासनिक अनुभव हो गया है।

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बहन के कविता और चचेरे भाई केटी हरीश के साथ शुरुआती टकराव भी समाप्त हो चुका है। इसी तरह आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू इस साल 75 साल के होंगे और माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री के तौर पर वे आखिरी पारी खेल रहे हैं।

उन्होंने भी अपने बेटे नारा लोकेश को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया है। वे राज्य सरकार में मंत्री हैं और पार्टी के सबसे शक्तिशाली महासचिव हैं।

ऐसे ही डीएमके, अकाली दल, राजद, जेएमएम, नेशनल कॉन्फ्रेंस, रालोद, जेडीएस, शिवसेना जैसी अनेक पार्टियों में नेतृत्व का मामला पहले ही सेटल हो चुका है।

बहरहाल, वर्ष 2025 में सबसे ज्यादा दिलचस्पी शरद पवार की राजनीति में होगी। पिछले साल लोकसभा चुनाव में उन्होंने जिस तरह का प्रचार किया था और जैसी जीत हासिल की थी उससे लग रहा था कि वे बड़ी सहजता से अपनी बेटी सुप्रिया सुले को अपना उत्तराधिकारी बना कर रिटायर हो जाएंगे।

लेकिन विधानसभा चुनाव ने सारे समीकरण बदल दिए। विधानसभा में शरद पवार की पार्टी बुरी तरह से हारी औऱ उनकी राजनीति के सहज उत्तराधिकारी के तौर पर भतीजे अजित पवार उभरे।

तभी अब शरद पवार को फैसला करना है कि वे क्या करेंगे। वे 84 साल के हो गए हैं और सेहत भी उनकी खराब रहती है।

उनके 84वें जन्मदिन पर यानी 12 दिसंबर 2024 को जो आयोजन हुआ उसके बाद से उनकी पार्टी और महाराष्ट्र की राजनीति में जो घटनाक्रम हुए हैं उनसे लग रहा है कि जल्दी ही वहां कुछ फैसला होगा।

अजित पवार के साथ विलय की बात

चर्चा है कि अजित पवार के साथ पार्टी के विलय की बात हो रही है। अजित पवार की मां आशा पवार ने नए साल के मौके पर दोनों के एक होने की मन्नत मांगी थी।

इसके बाद अजित पवार की पार्टी के सांसद प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि शरद पवार का दर्जा उनके लिए भगवान के बराबर है।

इस बीच अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार, जिनको बारामती सीट पर लोकसभा में शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने हराया था, उन्होंने कहा कि कुछ भी हो जाए, हम परिवार थे और परिवार रहेंगे।

महाराष्ट्र में इस बात की चर्चा चल रही है और कहा जा रहा है कि जनता ने सुप्रिया ताई को दिल्ली के लिए और अजित पवार को महाराष्ट्र के लिए नेता चुन लिया है।

दो महिला नेताओं ममता बनर्जी और मायावती का मामला अलग ही है। दोनों ने उत्तराधिकारी कमोबेश तय कर रखा है लेकिन उनके नाम की घोषणा से बचती हैं।

उन्होंने आकाश को नंबर दो की पोजिशन पर स्थापित कर दिया है। मायावती इस साल 69 साल की होंगी और अब भी बहुत सक्रिय हैं।

इसलिए यह तो मुश्किल है कि वे अगले चुनाव से पहले हाशिए में चली जाएंगी और आकाश को राजनीति करने देंगी।

लेकिन उत्तर प्रदेश में उनके सामने जैसे चंद्रशेखर आजाद की चुनौती आई है उसमें वे युवा चेहरे के तौर पर आकाश को आगे करके राजनीति करेंगी।

बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी की ओर से भी उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी घोषित उत्तराधिकारी हैं और वे सारी राजनीति भी संभालते हैं लेकिन ममता इसे आधिकारिक नहीं बनाती हैं।

उलटे पार्टी का कोई नेता अगर अभिषेक को उत्तराधिकारी घोषित करने की बात करता है तो उस पर कार्रवाई हो जाती है।

हाल ही में अभिषेक की तरफदारी करने के लिए पार्टी के एक नेता मणिशंकर मंडल पर कार्रवाई हुई है। ममता बनर्जी के राज्य में अगले साल विधानसभा का चुनाव है।

इस बार विधानसभा में भाजपा मुख्य विपक्षी पार्टी है और वह ज्यादा ताकत से लड़ेगी। ममता खुद इस साल 70 साल की हो रही हैं लेकिन उनकी सक्रियता में कमी नहीं है।

कहा जा रहा है कि अगले साल का चुनाव वे अपने चेहरे पर लड़ेंगी और उसके बाद ही अभिषेक के बारे में फैसला करेंगी।

दिलचस्प राजनीति हरियाणा में(regional satraps)

एक दिलचस्प राजनीति हरियाणा में देखने को मिल सकती है। ओमप्रकाश चौटाला के निधन के बाद से इंडियन नेशनल लोकदल और जननायक जनता पार्टी के एकीकरण और चौटाला परिवार की एकता की बात हो रही है।

चौटाला ने अपने दो बेटों, अजय और अभय चौटाला में से किसी को उत्तराधिकारी नहीं बनाया था। तभी उनके पोते दुष्यंत चौटाला ने अलग पार्टी बना कर राजनीति की।

परंतु पिछले चुनाव में उनको जैसा झटका लगा है उससे दोनों परिवारों को सबक मिल गया है। ऊपर से चौटाला परिवार मान रहा है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा इस साल 78 साल के हो जाएंगे और अब जाटों का उनसे मोहभंग होगा।

सो, जाट राजनीति पर कब्जा के लिए हरियाणा में दिलचस्प राजनीति देखने को मिल सकती है।

By हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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