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जो झुकेगा नहीं वह टूटेगा

विपक्ष की जो पार्टी भाजपा के साथ समझौता नहीं करेगी और उसको प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से मदद नहीं पहुंचाएगी उसके नेताओं की खैर नहीं है। कांग्रेस से लेकर राजद और शिव सेना के उद्धव ठाकरे गुट से लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा और तृणमूल कांग्रेस तक इसके प्रमाण है। आम आदमी पार्टी भी इसकी मिसाल है। अभी तक आम आदमी पार्टी भाजपा को फायदेमंद दिख रही थी तो उसे कुछ नहीं कहा जाता था। लेकिन पंजाब में जीत कर सरकार बनाने और गुजरात में 13 फीसदी वोट हासिल कर एक मजबूत ताकत के तौर पर उभरने के बाद आम आदमी पार्टी का बुरा समय शुरू हुआ है। ऐसा लग रहा है कि अब अरविंद केजरीवाल की पार्टी के खिलाफ भाजप की निर्णायक जंग छिड़ी है, जो उनको हरा कर या खत्म करके ही रूकेगी।

केजरीवाल की पार्टी के नंबर दो नेता मनीष सिसोदिया को शराब नीति घोटाले और जासूसी के मामले में गिरफ्तार किया गया है। सीबीआई और ईडी दोनों का शिकंजा उनके ऊपर कसा हुआ है। एक पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन पहले से जेल में हैं। शराब, जासूसी और बस खरीद के मामले में जांच की आंच केजरीवाल तक ले जाने का प्रयास है। अब हालात यह है कि दिल्ली में उनकी पार्टी प्रदर्शन नहीं कर सकती है। प्रधानमंत्री के खिलाफ पोस्टर लगाने पर सैकड़ों लोगों पर मुकदमे हुए हैं। और कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी हुई है। उधर पंजाब में ऐसे हालात हो गए हैं कि आम आदमी पार्टी की भगवंत मान सरकार पर तलवार लटकी है। राज्य में अलगाववाद पनपने की हवा बनी है केंद्रीय एजेंसियां लगातार मीडिया को ऐसी खबर दे रही हैं कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की फंडिंग से पंजाब में अलगाववाद फल फूल रहा है। अमृतपाल को आईएसआई से मदद और ट्रेनिंग मिलने की खबरें रोज मीडिया में आ रही हैं। इसका अंत नतीजा भगवंत मान सरकार के लिए अच्छा नहीं होगा।

इसी तरह कांग्रेस के नेता राहुल गांधी के ऊपर अलग-अलग राज्यों में अनेकों मुकदमे हैं। उन्हीं से एक मानहानि के एक मामले में उनको दो साल की सजा हो गई है। सो, सुप्रीम कोर्ट के जुलाई 2013 के कानून के मुताबिक राहुल गांधी लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य हो गए हैं।  अभी उनके पास कुछ कानूनी उपाय बचे हैं लेकिन ऐसा बंदोबस्त हो गया है कि कभी भी उनको चुनाव लड़ने के अयोग्य ठहराया जा सकता है। नेशनल हेराल्ड मामले में भ्रष्टाचार की जांच अलग चल रही है। ईडी ने उनसे और सोनिया गांधी से कई बार पूछताछ की है। नेहरू गांधी परिवार के अलावा हरियाणा में हुड्डा परिवार, कर्नाटक में शिवकुमार परिवार, तमिलनाडु में चिदंबरम परिवार सहित देश के अलग अलग राज्यों में कांग्रेस के अनेक नेताओं की कमजोर नस केंद्रीय एजेंसियों के पास हैं। जब जरूरत होगी उनको सक्रिय कर दिया जाएगा। यदि लोग झुकेंगे नहीं तो तोड़ दिया जाएगा।

बिहार में राष्ट्रीय जनता दल और झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा का मामला भी राहुल गांधी जैसा है। दोनों पार्टियों ने भाजपा की नींद उड़ाई है। तमाम कोशिशों के बावजूद भाजपा बिहार में लालू प्रसाद की पार्टी राजद को समाप्त नहीं कर पाई। वह प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी है। सो, एक के बाद एक मामले में लालू प्रसाद के परिवार के सदस्य फंसते जा रहे हैं। उनके बेटे और राज्य के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के यहां तो छापा पड़ा है। जांच चल रही है। वही लालू प्रसाद की दशकों पहले ब्याही जा चुकी बेटियों के यहां भी छापे पड़ रहे हैं। भाजपा को लग रहा है कि अगर राजद, जदयू और कांग्रेस का तालमेल नहीं टूटा तो भाजपा को बड़ी मुश्किल होगी। लोकसभा में उसको नुकसान हो सकता है। इसी तरह झारखंड में हेमंत सोरेन की वजह से भाजपा मुश्किल में है। अगर झारखंड में गठबंधन बना रहा तो भाजपा की सीटें घट सकती हैं। सो, हेमंत सोरेन पर केंद्रीय एजेंसियों का दबाव बना है। उनके पूरे परिवार पर तलवार लटक रही है। कई करीबी लोग जेल में डाल दिए गए हैं। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे गुट और शरद पवार की पार्टी के नेता भी ऐसा संकट झेल रहे हैं। शिव सेना के उद्धव ठाकरे गुट और एनसीपी के कई नेताओं पर छापे पड़े और उनको जेल में डाला गया। संजय राउत और अनिल देशमुख तो जेल से छूट गए लेकिन नवाब मलिक अब भी जेल में हैं। ममता बनर्जी की भी मजबूरी है। अगर वे समझौता नहीं करती हैं तो अभी तक जो कार्रवाई उनकी पार्टी के नेताओं पर हो रही है वह परिवार के सदस्यों पर होगी। उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी और उनकी पत्नी सहित उनके ससुराल के कई लोग जब निशाने पर हैं तो ममता कितनी लाचार होगी इसकी कल्पना कर सकते है।

By हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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