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क्या यह शासन है?

India Canada rowImage Source: ANI

India Canada row: उफ! यह बदनामी! और वह भी नरेंद्र मोदी और अमित शाह की वैश्विक बदनामी! जबकि इनका अपना शासन है और नरेंद्र मोदी दुनिया के कथित विश्वगुरू हैं। ओबामा, डोनाल्ड ट्रंप और बाइडेन व पश्चिम के सभी प्रधानमंत्री उनके यार हैं। लेकिन आज वह होता हुआ है जो भारत के कूटनीतिक इतिहास, लोकतांत्रिक मित्र देशों के आपसी रिश्तों में पहले कभी नहीं हुआ। अमेरिका-कनाडा का भारत पर विदेश में ‘एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल किलिंग’ का आरोप है! न्यूयॉर्क की अदालत में चार्जशीट दायर हुई है।

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अमेरिका की अदालत में चार्जशीट़ दायर

सुबह कॉलम लिखने बैठा तो सामने खबर थी कि अमेरिका की अदालत में चार्जशीट़ दायर हुई है। बकौल अमेरिकी एफबीआई के सहायक निदेशक जेम्स ई डेन्नेही के, भारत सरकार की रिसर्च एंड एनालिसिस विंग के वरिष्ठ फील्ड अधिकारी विकास यादव ने निखिल गुप्ता के साथ मिलकर एक राजनीतिक कार्यकर्ता और भारत सरकार के प्रमुख आलोचक की हत्या और मनी लॉन्ड्रिंग की साजिश रची। ‘यादव भारतीय नागरिक और भारत का निवासी है …भारत सरकार का कर्मचारी विकास यादव, जो भारत सरकार के कैबिनेट सचिवालय द्वारा नियुक्त किया गया था, जो भारतीय प्रधानमंत्री कार्यालय का हिस्सा है और जिसके नियोक्ता के पते में नई दिल्ली में सीजीओ कॉम्प्लेक्स (जहां रॉ का मुख्यालय) दर्ज है’।… (India Canada row)

भारत पर एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल किलिंग

भला इसका क्या अर्थ है? क्या यह मोदी सरकार, उसके आला प्रबंधकों, नरेंद्र मोदी, अमित शाह, अजित डोवाल, जयशंकर और खुफिया एजेंसियों सभी की नाकामी नहीं है जो भारत पर ‘एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल किलिंग’ का आरोप लगे और कोई उन्हें रोकने, दबाने, रफा-दफा करने में समर्थ नहीं! हैरानी की बात है जो भारत का जिन देशों (अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैंड) से साझा खुफियागिरी करार है वे सब एक सुर में दुनिया को बता रहे हैं कि भारत दूध का दूध, पानी का पानी करे। और कनाडा में मुकद्मा दायर हो उससे पहले अमेरिका की एफबीआई ने न्यूयॉर्क की अदालत में भारत को कलंकित करने का अभियोग दायर कर दिया। (India Canada row)

मामूली बात नहीं है। ‘द वाशिंगटन पोस्ट’ ने अपनी रिपोर्ट में कनाडा की जांच में पुलिस सूत्रों के हवाले में अमित शाह का उल्लेख किया है। जाहिर है विश्व नेताओं में भारत की ‘मवाली’ इमेज बनी है। आगे संकट और बढ़ेगा। इससे भी ज्यादा बुरी बात ‘लॉरेंस बिश्नोई गैंग’ का किस्सा है। दुनिया की हर खुफिया एजेंसी दुश्मन को लक्षित कर, डीप स्टेट के तौर-तरीकों में ऑपरेशन करती है। 2014 से पहले भी भारत की रॉ एजेंसी काम करती थी। इंदिरा गांधी ने इस एजेंसी के जरिए पाकिस्तान तोड़ा। बांग्लादेश बनवाया। रामनाथ कॉव से पाकिस्तान खौफ खाता है। लेकिन कभी भी ऐसा मूर्ख ऑपरेशन नहीं हुआ, जो अब सामने है। भारत के हर पड़ोसी देश में रॉ, व भारत की सामरिक-विदेश नीति फेल है। सब तरफ चीन का जलवा है और पाकिस्तान व चीन के आगे भारत की तुरूप के अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा आदि के फाइव आईज देश भारत पर आगबबूला हैं। ऐसी हिमाकत जो ‘एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल किलिंग’ व मनी लॉन्ड्रिंग!

कनाडा, अमेरिका में नेटवर्क?

मुझे ध्यान नहीं है कि विदेश की बदनामी में कभी भारत के माफियाओं-गैंगों (हाजी मस्तान, करीम लाला से दाऊद इब्राहिम, छोटा राजन तक) से भारत की ऐसी वैश्विक चर्चा हुई। भारत की जेल से बंद अपराधी विदेश में पांव पसारने या अमेरिका-कनाडा में ऑपरेशन की सोचते थे। लेकिन मोदी-शाह के राज में यह क्या सुनने को है कि 2014 में कोई लॉरेंस बिश्नोई ने एक गैंग बनाई और तब से अब तक वह कमोबेश जेल में रहते हुए भी इतना बड़ा गैंगेस्टर है जो भारत-कनाडा के विवाद में ‘द वॉशिंगटन पोस्ट’ उसका जिक्र करता हुआ है तो भारत सरकार भी कह रही है कि कनाडा ने लॉरेंस गैंग के सदस्यों का प्रत्यापर्ण क्यों नहीं किया।

मतलब भारत के छोटे क़स्बों और शहरों में उसके 700 शूटर बताए जाते हैं तो वैसा ही उसका कनाडा, अमेरिका में नेटवर्क? लॉरेंस बिश्नोई के दस साल के क्राइम करियर में वह लगभग नौ साल पटियाला, तिहाड़, साबरमती आदि की जेलों में जिंदगी जीते हुए है। लेकिन जेल में रहते हुए ही उसका वैश्विक नेटवर्क है। जेल से ही ड्रग तस्करी नेटवर्क है। फ़ोन और व्हाट्सएप कॉल के ज़रिए ड्रग डिलीवरी होती है। सलमान खान को धमकी में उसका नाम, गायक सिद्धू मूसेवाला, करणी सेना के सुखदेव सिंह गोगामेड़ी, बाबा सिद्दीक़ी की हत्या सबके तार कथित तौर पर बिश्नोई गैंग से जुड़े हुए। और ऊपर से पुलिस हिरासत में मार्च 2023 में एक टेलीविज़न इंटरव्यू से उसका यह हुंकारा भी कि- मैं राष्ट्र विरोधी नहीं हूं। मैं एक राष्ट्रवादी हूं। मैं खालिस्तान के खिलाफ हूं। मैं पाकिस्तान के खिलाफ हूं। (India Canada row)

अब यह सब है तो यह कानून व्यवस्था का शासन है या लॉरेंस बिश्नोई का शासन!

By हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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