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गैंग्स ऑफ इंडिया

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भारत के गुंडा गिरोहों का डंका पूरी दुनिया में बज रहा है। एक समय मुंबई में हाजी मस्तान, करीम लाला, वर्धा भाई आदि के गैंग्स हुआ करते थे। फिर दाउद इब्राहिम, छोटा राजन, रवि पुजारी, अरुण गवली आदि के गैंग्स बने। इन गैंग्स का भी डंका बजा लेकिन वह पाकिस्तान, दुबई, थाईलैंड आदि देशों में ही सुना गया। परंतु अब भारत के गैंग्स की गूंज अमेरिका और कनाडा तक है। कनाडा ने आरोप लगाया है कि भारत के लॉरेंस बिश्नोई गैंग को भारत सरकार की एजेंसियों का समर्थन है और एजेंसियां इन गैंग्स के गुर्गों की मदद से कनाडा की धरती पर हत्या करा रही हैं।

भारत में इन दिनों एक से बढ़ कर एक गैंग की चर्चा है। इनमें सबसे बड़ा लॉरेंस बिश्नोई गैंग है, जिसके पास सात सौ शूटर बताए जाते हैं। वह गुजरात के साबरमती की हाई सिक्योरिटी जेल में बंद है। लेकिन उसने जेल से पत्रकार को वीडियो इंटरव्यू दे दिया और पाकिस्तान के एक अंडरवर्ल्ड डॉन से बात कर ली। वह जेल में रहते हुए हत्या करने के निर्देश जारी कर रहा है। अगर नहीं भी कर रहा है तो उसके नाम पर हत्याएं हो रही हैं और बड़े लोगों पर गोलियां चल रही हैं। मुंबई में फिल्म स्टार सलमान खान के घर पर गोली चली तो उसमें लॉरेंस बिश्नोई का नाम आया। मुंबई पुलिस ने जब लॉरेंस बिश्नोई से पूछताछ के लिए रिमांड मांगी तो पता चला कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पुराने सीआरपीसी की धारा 268 (एक) के तहत निर्देश दिया है कि बिश्नोई को जेल से कहीं नहीं ले जाया जाएगा। मुंबई पुलिस को उससे पूछताछ की इजाजत नहीं मिली। कहा जा रहा है कि इसी लॉरेंस बिश्नोई गैंग ने कांग्रेस के पूर्व विधायक बाबा सिद्दीकी की हत्या कराई है। मशहूर पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला की हत्या कराई और करणी सेना के प्रमुख सुखदेव सिंह गोगामेडी की हत्या कराई। कहा जा रहा है कि कनाडा में इसके गुंडों ने कई लोगों की हत्या की। भारत सरकार का कहना है कि इसके पांच गुर्गों के प्रत्यर्पण के लिए उसने कनाडा सरकार को 26 बार अनुरोध किया लेकिन कनाडा सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है। लॉरेंस बिश्नोई का भाई अनमोल कनाडा में है। वह एक दूसरे गैंग गोल्डी बरार गैंग के साथ मिल कर घटनाओं को अंजाम दे रहा है।

ऐसा नहीं है कि ये दो गैंग हैं, जिनका डंका बज रहा है। राजधानी दिल्ली के अखबारों को अगर ध्यान से पढ़ें तो हर दिन किसी न किसी गैंग की कहानी दिखाई देती है। कहीं नीरज बवाना गैंग गोलियां चलवा रहा है और रंगदारी मांग रहा है तो कहीं हाशिम बाबा गैंग की ओर से गोलियां चलाई जा रही हैं। हिमाशुं भाऊ पुर्तगाल में रहता है लेकिन उसका गैंग इतना बड़ा है कि कहीं भी हत्या कर देता है। पिछले दिनों दिल्ली के राजौरी गार्डेन में अमन नाम के एक व्यक्ति को 40 गोलियां मार कर हत्या की गई। कहा जा रहा है कि हिमांशु भाऊ गैंग ने इस काम को अंजाम दिया। हिमांशु भाऊ को लॉरेंस बिश्नोई गैंग का विरोधी माना जाता है। उसका विवाद एक दूसरे नीतू डाबोडिया गैंग से भी है। इस गैंगवार में कुछ समय पहले मुरथल ढाबे पर शराब कारोबारी सुंदर मलिक की हत्या हुई थी। नंदू उर्फ कपिल सांगवान के इंगलैंड में होने की खबर है लेकिन उसके गुर्गों का आतंक भी दिल्ली में चलता है। कुछ समय पहले ही भाजपा के नेता सुरेंद्र गुप्ता की हत्या दिल्ली के मटियाला इलाके में हुई थी, जिसके बारे में कहा जा रहा है कि नंदू गैंग ने उन्हें मारा। दिल्ली और हरियाणा में टिल्लू ताजपुरिया गैंग का अलग आतंक था। वह जब मंडोली जेल में था तब 21 सितंबर 2021 को दो शूटर भेज कर दिल्ली की रोहिणी अदालत में एक गैंगेस्टर जितेंद्र गोगी की हत्या करा दी थी। हालांकि बाद में दिल्ली की देश की सबसे सुरक्षित तिहाड़ जेल में टिल्लू ताजपुरिया की हत्या कर दी गई।

सोचें, राजधानी दिल्ली और हरियाणा और उत्तर प्रदेश के गैंग्स पर, जिनके सरगना या तो जेल में हैं या देश से बाहर हैं और वहां से गैंग ऑपरेट कर रहे हैं! सरेआम हत्या करवा रहे हैं, गोली चलवा कर लोगों को डरा रहे हैं और रंगदारी वसूल रहे हैं, शराब और ड्रग्स के कारोबार कर रहे हैं और देश की महाप्रतापी सरकार और बुलडोजर राज उनका कुछ नहीं बिगाड़ पा रहा है।

By हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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