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क्या खाने से दिमाग होगा तेज?

दिमाग तेज होने का मतलब है दिमाग की तेज रफ्तार गतिविधियों का और तेजी से पूरा होना। और ये होगा ब्रेन में ब्लड सप्लाई बढ़ाने वाले फ्लेवेनॉयड संपन्न खान पान से।जर्नल ऑफ एग्रीकल्चरल एंड फूड केमिस्ट्री में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, जामुन यानी इंडियन ब्लैकबेरी खाने से न्यूरॉन्स की एक दूसरे से कम्युनीकेट करने की क्षमता सुधरती है। इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सी़डेंट्स, फ्री-रेडिकल्स से लड़कर ब्रेन इन्फ्लेमेशन घटाते हैं, जिससे याददाश्त तेज, फाइन मोटर कंट्रोल यानी क्वार्डीनेशन इम्प्रूव और बढ़ती उम्र में डिमेन्शिया का रिस्क कम होता है।

सभी अभिभावक चाहते हैं कि उनके बच्चे इंटेलीजेंट हों। और इस चाहत को पूरा करने के लिये कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं, कभी बादाम खिलाते हैं तो कभी अखरोट। खासतौर पर परीक्षा के दिनों में। अखरोट के बारे में तो लॉजिक भी कमाल का होता है, कि ये दिमाग की तरह दिखता है इसलिये दिमाग तेज करता है। अगर किसी ने कह दिया कि किताबों में मोरपंखी रखने से बच्चे इंटेलीजेंट हो जायेंगे तो ऐसा करने से भी नहीं चूकते। अब सोचने वाली बात यह है कि क्या ये सब काम करता है? पता नहीं। लेकिन वैज्ञानिकों ने रिसर्च करके उन खाद्य-पदार्थों की पहचान की है जो वास्तव में दिमाग तेज करते हैं। लेकिन इन्हें जानने से पहले समझनी होगी दिमाग की कार्य-प्रणाली और समझना होगा कि ये खाद्य-पदार्थ दिमाग पर कैसे असर करते हैं।

कैसे काम करता है दिमाग?

अखरोट जैसा दिखाई देने वाला हमारा दिमाग आकार में होता है करीब 1250 क्यूबिक सेंटीमीटर और वजन में लगभग 1160 ग्राम। ये हमारी सारी एक्टीविटीज कंट्रोल करता है। सोचने-समझने, चलने-फिरने, देखने-सुनने सबके लिये यही जिम्मेदार। हमारी यादें, ख्वाहिशें, उम्मीदें सब इसी में छिपी रहती हैं। ये हमारे बॉडी मास का मात्र 2%  है लेकिन शरीर की 20% इनर्जी इस्तेमाल करता है। इसलिये सवाल उठता है कि दिमाग में ऐसा क्या है जिसे इतनी ज्यादा इनर्जी चाहिये। तो जबाब है न्यूरॉन्स यानी ब्रेन सेल्स और दिमाग में इनकी संख्या होती है करीब 86 अरब। जिस तरह दुनियाभर में फैले इंटरनेट के कम्प्यूटर एक-दूसरे से जुड़कर इन्फॉरमेशन साझा करते हैं ठीक उसी तरह न्यूरॉन्स भी एक-दूसरे से कनेक्ट होकर सूचनायें शेयर करते हैं और इन कनेक्शन्स को बनाये रखने के लिये ही इतनी ज्यादा इनर्जी की जरूरत पड़ती है।

दिमाग में न्यूरॉन्स का पूरा सर्किट होता है जिसमें एक से दूसरे में न्यूरोट्रांसमीटर के जरिये इलेक्ट्रिक सिगनल पास होते हैं। अगर इनमें कहीं जरा भी गड़बड़ हो जाये तो पूरा सर्किट ठप्प। यही वजह है कि स्ट्रोक के कारण जब दिमाग में पलभर के लिये ऑक्सीजन सप्लाई रूकती है तो न्यूरॉन्स मरने लगते हैं और व्यक्ति पैरालाइज हो जाता है। वास्तव में हमारे शरीर का पूरा सर्किट दिमाग में आकर जुड़ता है। इसमें जरा भी गड़बड़ हुयी तो सर्किट खराब और उससे जुड़े ऑर्गन्स का काम करना बंद।

हर हिस्से का काम अलग

दिमाग के अलग-अलग हिस्से, अलग-अलग काम करते हैं। देखने-सुनने और बोलने की क्षमता कंट्रोल करता है सेरिब्रम, जो दिमाग का सबसे बड़ा भाग है। और तो और हमारी पर्सनाल्टी कैसी होगी ये भी यहीं से तय होता है। मोटर स्किल्स यानी मसल मूवमेंट, क्वार्डीनेशन और बैलेंस के लिये जिम्मेदार होता है सेरिबेलम। इसी तरह सांस और दिल की धड़कने कंट्रोल होती हैं ब्रेन स्टेम से। हमारी यादें रहती हैं हिप्पोकैम्पस में और इमोशन्स होते हैं लिम्बिक सिस्टम में।

बहुत जटिल है दिमागी प्रक्रिया

जब दिमाग के ये सारे हिस्से एक-दूसरे से जुड़कर काम करते हैं तभी हमारा कोई एक्शन पूरा होता है। इसे हम गेंद पकड़ने के प्रोसेस से समझ सकते हैं। देखने-सुनने में ये बहुत सरल लगता है कि किसी ने गेंद फेंकी और हमने पकड़ ली। लेकिन जब कोई हमारी तरफ गेंद फेंकता है तो सबसे पहले आंखे उसे देखती हैं, फिर दिमाग आंखों द्वारा दी गयी सूचना प्रोसेस करके गेंद की दिशा, गति कैलकुलेट करता है, पैर शरीर को उसी गति से गेंद की तरफ ले जाते हैं और हाथ आगे बढ़कर गेंद पकड़ लेते हैं। देखा कितने सारे काम हुए तब जाकर गेंद पकड़ में आयी।

इसी तरह जब क्लास में टीचर हमें कुछ समझाता है तो पहले हमारा दिमाग कानों के जरिये आवाज सुनकर भाषा पहचानता है। अगर उस भाषा से जुड़ी यादें दिमाग में हैं तभी हम समझ पाते हैं कि क्या कहा जा रहा है। और समझने के बाद ही रियेक्ट कर पाते हैं। हमारा रियेक्शन पूरी तरह से इस बात पर डिपेन्ड होता है कि विषय से जुड़ी कितनी यादें दिमाग में स्टोर हैं। मुंह से निकले शब्द भी दिमाग इन्हीं यादों से स्लेक्ट करता है। है न दिमाग की फंक्शनिंग कितनी कॉम्प्लेक्स।

दिमाग तेज होने का मतलब क्या?

दिमाग तेज होने का मतलब है इसी कॉम्प्लेक्स फंक्शनिंग का और तेजी से पूरा होना। और ये होगा ब्रेन में ब्लड सप्लाई बढ़ाने वाले फ्लेवेनॉयड रिच फूड-आइटम्स खाने से।

जामुन बहुत काम का

जर्नल ऑफ एग्रीकल्चरल एंड फूड केमिस्ट्री में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, जामुन यानी इंडियन ब्लैकबेरी खाने से न्यूरॉन्स की एक दूसरे से कम्युनीकेट करने की क्षमता इम्प्रूव होती है। इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सी़डेंट्स, फ्री-रेडिकल्स से लड़कर ब्रेन इन्फ्लेमेशन घटाते हैं, जिससे याददाश्त तेज, फाइन मोटर कंट्रोल यानी क्वार्डीनेशन इम्प्रूव और बढ़ती उम्र में डिमेन्शिया का रिस्क कम होता है।

तुलसी से तेज होता है दिमाग

रिसर्च से सामने आया कि तुलसी में दिमाग तेज करने वाले नेचुरल सब्सटेंस होते हैं जो थॉट प्रोसेस क्लियर करने के साथ स्ट्रेस घटाते हैं। इनसे दिमागी संतुलन और सोचने-समझने की क्षमता बेहतर होती है। हमारे देश में तुलसी की कई प्रजातियां है और ये सभी सेहत के लिये बहुत अच्छी हैं लेकिन दिमाग तेज करने में श्यामा तुलसी की गहरी नीली या बैंगनी रंग की पत्तियों का जबाब नहीं। इन्हें पानी में उबालकर, दिन में दो या तीन बार चाय की तरह पियें, आपको थोड़े दिनों में ही महसूस होगा कि दिमाग पहले से बेहतर काम कर रहा है।

ब्रोकली यानी क्रिस्टलाइज्ड इंटेलीजेंस

अगर डाइट में ब्रोकली और डार्क-ग्रीन पत्तेदार सब्जियों की मात्रा बढ़ा लें तो आपमें डेवलप होगी क्रिस्टलाइज्ड इंटेलीजेंस। यानी आपने अभी तक जो भी सीखा या समझा है उसे सही तरह से सही जगह प्रयोग करने की क्षमता। आमतौर पर उम्र बढ़ने के साथ यह क्षमता कम हो जाती है लेकिन कुछ लोग उम्र बढ़ने के साथ ज्यादा बुद्धिमान हो जाते हैं और ऐसा होता है क्रिस्टलाइज्ड इंटेलीजेंस की वजह से। इसलिये बिना देर किये डाइट में ब्रोकली और डार्क-ग्रीन पत्तेदार सब्जियों की मात्रा बढ़ायें।

ब्लू बेरीज बड़े काम की

ऐसे ही एक फूड आइटम का नाम है ब्लू बेरीज। इसमें मौजूद फ्लेवनॉयड कैमिकल्स दिमाग के उन हिस्सों में ब्लड सप्लाई बढ़ा देते हैं जहां हमारी यादें स्टोर रहती हैं। इस सम्बन्ध में हुयी रिसर्च में दो दर्जन लोगों को 84 दिनों तक ब्लू बेरी जूस दिया गया। 84 दिनों बाद हुयी जांच में पता चला कि ब्रेन के हिप्पोकैम्पस नामक भाग में ब्लड सप्लाई आश्चर्यजनक रूप से बढ़ गयी और इसका रिजल्ट सामाने आया याद्दाश्त तेज होने के रूप में।

चॉकलेट करती है दिमाग तेज 

फ्लेवनॉयड से भरपूर डार्क चॉकलेट भी दिमाग तेज करती है। लेकिन तभी जब चॉकलेट में 70% कोको हो। बाजार में मिलने वाली आम चॉकलेट में मात्र 30% कोको होता है और चीनी इतनी ज्यादा कि दिमाग तेज होने के बजाय दांत खराब होने लगते हैं। इस सम्बन्ध में हुयी रिसर्च से सामने आया कि 70% कोको वाली डार्क चॉकलेट के नियमित सेवन से ब्लड, दिमाग के उन हिस्सों में भी पहुंचा जहां तक आमतौर पर पहुंचना सम्भव नहीं। इससे मेमोरी इम्प्रूव होने के साथ सेन्सेज पहले से बेहतर काम करने लगे और मूड भी अच्छा रहा।

गोल्डन मिल्क भी तेज करता है दिमाग

दिमाग तेज करने के लिये हल्दी वाला दूध यानी गोल्डन मिल्क किसी से कम नहीं। हल्दी में मौजूद करक्यूमिन, शरीर में BDNF हारमोन का प्रोडक्शन बूस्ट करता है जिससे न्यूरॉन्स की लाइफ के लिये जरूरी प्रोटीन बनने के साथ सेरोटोनिन तथा डोपामाइन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर बूस्ट होते हैं। इससे याद्दाश्त तेज होने के साथ लॉजिकल ढंग से सोचने समझने की क्षमता बढ़ती है और मूड ठीक रहता है। इसलिये रोज रात को सोने से पहले एक कप हल्दी वाला दूध यानी गोल्डन मिल्क जरूर पियें। अगर हल्दी मेघालय वाली लाकाडॉग हो तो ज्यादा अच्छा है क्योंकि इसमें करक्यूमिन की मात्रा सामान्य हल्दी की तुलना में करीब 4 गुना अधिक होती है।

इन्हें खाने से बचें

ये तो थे वे फूड आइटम्स जो दिमाग तेज करते हैं। लेकिन इनका असर तभी होता है जब नियमित सेवन किया जाये, कभी-कभार नहीं। कुछ फूड आइटम्स जैसे जैसे चीनी, मैदा, डीप फ्राइड और प्रोसेस्ड फूड दिमाग कुंद करते हैं इसलिये जहां तक सम्भव हो इनसे परहेज करें।

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