राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

तीर्थ और पर्यटन स्थल का फर्क समझे सरकार

20 तीर्थंकरों ने सम्मेद शिखर में मोक्ष प्राप्त किया है। जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ ने भी इसी तीर्थ में कठोर तप और ध्यान द्वारा मोक्ष प्राप्त किया था। अत: भगवान पार्श्वनाथ की टोंक इस शिखर पर स्थित है। इसे पर्यटन स्थल बनाने की जिद सरकार क्यों कर रही है, यह समझ से परे है।सम्मेद शिखर जैन धर्म को मानने वालों का एक प्रमुख तीर्थ स्थान है। यह जैन तीर्थों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।।।।झारखंड प्राकृतिक पर्यटन की संभावना से भरा हुआ प्रदेश है। उन्हें विकसित करने की बजाय जैन समाज के सबसे पवित्र तीर्थ को पर्यटक स्थल बनाने का विचार समझ से परे है।  

विनोद सिन्हा

पूरे देश में जैन समाज उद्वेलित है। झारखंड सरकार ने उसकी धार्मिक आस्था को आहत किया है। झारखंड के गिरिडीह में पारसनाथ पहाड़ियों पर बना सम्मेद शिखरजी जैन धर्म का सबसे पवित्र तीर्थ स्थल माना जाता है। राज्य की हेमंत सोरेन सरकार ने इस तीर्थ को पर्यटक स्थल बनाने का निर्णय किया है, जिसका विरोध जैन समाज पूरे देश में कर रहा है। समाज द्वारा इसे अपनी धार्मिक भावनाओं पर हमला बताया गया है। जैन समाज का कहना है कि सरकार की तरफ से जो नोटिस जारी हुआ है उसमें मछली व मुर्गी पालन के लिए अनुमति दी गई है। इसके अलावा जैन समाज के लोगों को डर है कि पर्यटन स्थल घोषित होने के बाद यहां मांस-मदिरा भी बिकने लगेगी, जो कि समाज की धार्मिक मान्यताओं के खिलाफ है। झारखंड प्राकृतिक पर्यटन की संभावना से भरा हुआ प्रदेश है। उन्हें विकसित करने की बजाय जैन समाज के सबसे पवित्र तीर्थ को पर्यटक स्थल बनाने का विचार समझ से परे है।

बचपन से लेकर अब तक मेरा सरोकार गिरिडीह से है। वहां के सामाजिक सरोकार और पारसनाथ की पहाड़ियों को कई बार देखा समझा है। सम्मेद शिखर की यात्रा पूरे मनोयोग से कई बार कर चुका हूं। यह स्थान धार्मिक ही है, तीर्थ है। जैन नीति शास्त्रों में वर्णन है कि जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों में से प्रथम तीर्थंकर भगवान ‘आदिनाथ’ अर्थात् भगवान ऋषभदेव ने कैलाश पर्वत पर, 12वें तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य ने चंपापुरी, 22वें तीर्थंकर भगवान नेमीनाथ ने गिरनार पर्वत और 24वें व अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर ने पावापुरी में मोक्ष प्राप्त किया। शेष 20 तीर्थंकरों ने सम्मेद शिखर में मोक्ष प्राप्त किया है। जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ ने भी इसी तीर्थ में कठोर तप और ध्यान द्वारा मोक्ष प्राप्त किया था। अत: भगवान पार्श्वनाथ की टोंक इस शिखर पर स्थित है। इसे पर्यटन स्थल बनाने की जिद सरकार क्यों कर रही है, यह समझ से परे है।

सम्मेद शिखर जैन धर्म को मानने वालों का एक प्रमुख तीर्थ स्थान है। यह जैन तीर्थों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। जैन धर्मशास्त्रों के अनुसार जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों और अनेक संतों व मुनियों ने यहां मोक्ष प्राप्त किया था। इसलिए यह ‘सिद्धक्षेत्र’ कहलाता है और जैन धर्म में इसे तीर्थराज अर्थात ‘तीर्थों का राजा’ कहा जाता है। यह जैन धर्म के दिगंबर मत का प्रमुख तीर्थ है। इसे ‘पारसनाथ पर्वत’ के नाम से भी जाना जाता है।

जैन धर्म शास्त्रों में लिखा है कि अपने जीवन में सम्मेद शिखर तीर्थ की एक बार यात्रा करने पर मृत्यु के बाद व्यक्ति को पशु योनि और नरक प्राप्त नहीं होता। यह भी लिखा गया है कि जो व्यक्ति सम्मेद शिखर आकर पूरे मन, भाव और निष्ठा से भक्ति करता है, उसे मोक्ष प्राप्त होता है और इस संसार के सभी जन्म-कर्म के बंधनों से अगले 49 जन्मों तक वह मुक्त रहता है। यह सब तभी संभव होता है, जब यहां पर सभी भक्त तीर्थंकरों को स्मरण कर उनके द्वारा दिए गए उपदेशों, शिक्षाओं और सिद्धांतों का शुद्ध आचरण के साथ पालन करें। इस प्रकार यह क्षेत्र बहुत पवित्र माना जाता है। इस क्षेत्र की पवित्रता और सात्विकता के प्रभाव से ही यहां पर पाए जाने वाले शेर, बाघ आदि जंगली पशुओं का स्वाभाविक हिंसक व्यवहार नहीं देखा जाता। इस कारण तीर्थयात्री भी बिना भय के यात्रा करते हैं। संभवत: इसी प्रभाव के कारण प्राचीन समय से कई राजाओं, आचार्यों, भट्टारक, श्रावकों ने आत्म-कल्याण और मोक्ष प्राप्ति की भावना से तीर्थयात्रा के लिए विशाल समूहों के साथ यहां आकर तीर्थंकरों की उपासना, ध्यान और कठोर तप किया।

जैन समाज इस बात की मांग कर रहा है कि पवित्र श्री सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि धार्मिक स्थल ही घोषित किया जाए। इसको लेकर अब राज्य की सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा और पूर्ववर्ती भाजपा की ओर से आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो चुका है। जबकि राज्य के मुख्यमंत्री को आगे आकर अल्पसंख्यक जैन समाज की धार्मिक आस्था का सम्मान करना चाहिए। अहिंसा के सिद्धांत का पालन करने वाला यह सबसे छोटा अल्पसंख्यक समाज इतना उद्वेलित है कि देश भर में प्रदर्शन कर रहा है। दिल्ली में जैन समाज के हजारों लोग प्रगति मैदान में इकट्ठा हुए और इंडिया गेट तक मार्च किया। वहीं रविवार (1 जनवरी) को जैन समाज के प्रतिनिधिमंडल ने झारखंड सरकार के फैसले के खिलाफ राष्ट्रपति भवन में ज्ञापन सौंपा।

जैन समाज इस संवेदनशील धार्मिक मुद्दे पर केंद्र और झारखंड सरकार के उदासीन रवैए के खिलाफ अपना शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहा है। दिल्ली में विश्व जैन संगठन के अध्यक्ष संजय जैन की अगुआई में कई लोगों ने पिछले हफ्ते भर से अनिश्चितकालीन अनशन किया हुआ है। वहीं गुजरात के पलिताना में जैन समाज के मंदिर में तोड़फोड़ करने के खिलाफ जैन समुदाय के सदस्यों ने मुंबई में विरोध प्रदर्शन किया। इस विरोध प्रदर्शन में महाराष्ट्र सरकार में मंत्री एमपी लोढ़ा भी शामिल हुए। विरोध प्रदर्शन को लेकर महाराष्ट्र सरकार में मंत्री एमपी लोढ़ा ने कहा कि हम झारखंड सरकार के फैसले का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा- हम पलिताना में मंदिर की तोड़फोड़ और झारखंड सरकार के फैसले का विरोध कर रहे हैं। गुजरात सरकार ने कार्रवाई की है लेकिन हम उनके (जिन्होंने मंदिर में तोड़फोड़ की) खिलाफ सख्त कार्रवाई चाहते हैं।

विश्व हिंदू परिषद ने झारखंड सरकार से पार्श्वनाथ सम्मेद शिखर जी के अनुशासन के मुताबिक तीन सूत्रीय मांगों पर शीघ्र हस्तक्षेप करने और उसके लिए समुचित उपाय करने का आग्रह किया है। झारखंड सरकार के जैन तीर्थ सम्मेद शिखर को पर्यटक स्थल बनाए जाने के फैसले का जैन समाज द्वारा भारी विरोध हो रहा है। सरकार के इस फैसले के विरोध में 25 दिसंबर से आमरण अनशन पर बैठे जैन मुनि सुज्ञेयसागर का आज निधन हो गया। वह 72 साल के थे। उनकी डोल यात्रा को सांगानेर संघीजी मंदिर से निकाला गया। इस दौरान बड़ी संख्या में जैन धर्म के लोग मौजूद रहे। जैन मुनि को जयपुर के सांगानेर में श्रमण संस्कृति संस्थान में समाधि दी गई। इस बीच जयपुर में जैन मुनि आचार्य शंशाक का कहना है कि जैन समाज अभी अहिंसक तरीके से आंदोलन कर रहा है, अगर हमारी मांग नहीं मानी गई तो आने वाले दिनों में आंदोलन को उग्र भी किया जा सकता है। (लेखक सामाजिक कार्यकर्ता हैं और गिरिडीह के रहने वाले हैं।)

Tags :

By Naya India

Naya India, A Hindi newspaper in India, was first printed on 16th May 2010. The beginning was independent – and produly continues to be- with no allegiance to any political party or corporate house. Started by Hari Shankar Vyas, a pioneering Journalist with more that 30 years experience, NAYA INDIA abides to the core principle of free and nonpartisan Journalism.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *