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प्रि-मेनोपॉज होगा आसान बशर्ते……

यदि अचानक वजन बढ़ा है तो खाने में चीनी, नमक और ऑयल कम करके डॉयटरी फाइबर की मात्रा बढ़ायें। इसके लिये डाइट में शामिल करें ब्राउन राइस, मल्टीग्रेन आटा, बीन्स, मटर और सूखे मेवे। इससे वजन कम होने के साथ कॉन्सटीपेशन, हार्ट-प्रॉब्लम्स और कैंसर जैसी बीमारियों का रिस्क घटेगा। मेथीदाना पाउडर भी डॉयटरी फाइबर का रिच सोर्स है। लंच से एक घंटा पहले एक चम्मच मेथीदाना पाउडर पानी के साथ फांके, इससे वजन कम होने के साथ ब्लड शुगर भी ठीक रहेगी।

टेक्निकली, प्रि-मेनोपॉज वह समय है जब महिलाओं में एस्ट्रोजन नामक सेक्स हारमोन का बनना कम होने लगता है। मेडिकल साइंस में इसे पेरिमेनोपॉज भी कहते हैं। अमूमन यह शुरू होता है 36 से 40 की उम्र में। एस्ट्रोजन बनाने का काम करती हैं ओवरीज। लेकिन अल्प मात्रा में इसे एड्रेनल ग्लैंड और फैट सेल्स भी बनाते हैं। उम्र बढ़ने के साथ शरीर में इसका प्रोडक्शन घटता है और यह प्रोसेस जारी रहता है मेनोपॉज तक।

एस्ट्रोजन कम बनने से अधिकतर महिलाओं को इरेगुलर पीरियड्स, एक्सेस ब्लीडिंग, मूड स्विंग, वजन बढ़ना, बाल झड़ना, हॉट फ्लैशेज़, नाइट स्वेट्स, लो-सेक्स ड्राइव और नींद में कमी जैसे लक्षण महसूस होते हैं। कुछ को ऑस्टियोपोराइसिस और ज्वाइंट पेन जैसी समस्यायें भी हो जाती हैं। इन सबका असर पड़ता है क्वालिटी ऑफ लाइफ पर। बहुत सी महिलायें तो डिप्रेशन का शिकार हो जाती हैं।

प्रि-मेनोपॉज की ये समस्यायें कैसे मैनेज की जायें जब इस सम्बन्ध में मैंने इस क्षेत्र के विशेषज्ञों से बात की उनका कहना था कि यह एक नेचुरल प्रोसेस है, जिसे रेगुलर चैकअप के साथ लाइफस्टाइल और डाइट में बदलाव करके आसानी से मैनेज कर सकते हैं।

प्रि-मेनोपॉज के दौरान अगर अचानक वजन बढ़ा है तो खाने में चीनी, नमक और ऑयल कम करके डॉयटरी फाइबर की मात्रा बढ़ायें। इसके लिये डाइट में शामिल करें ब्राउन राइस, मल्टीग्रेन आटा, बीन्स, मटर और सूखे मेवे। इससे वजन कम होने के साथ कॉन्सटीपेशन, हार्ट-प्रॉब्लम्स और कैंसर जैसी बीमारियों का रिस्क घटेगा। मेथीदाना पाउडर भी डॉयटरी फाइबर का रिच सोर्स है। लंच से एक घंटा पहले एक चम्मच मेथीदाना पाउडर पानी के साथ फांके, इससे वजन कम होने के साथ ब्लड शुगर भी ठीक रहेगी। सुबह-सुबह खाली पेट एक ग्लास मेथीदाना वाटर पियें, इससे मेन्सुरल पेन में आराम मिलेगा और इरेगुलर पीरियड, रेगुलर होंगे।

ऑस्टियोपोराइसिस का रिस्क कम करने के लिये डाइट में कैल्शियम, फास्फोरस, पोटेशियम, मैग्नीशियम, आयरन, विटामिन K और विटामिन D से भरपूर फूड आइटम जैसे दूध, दही, पनीर, अंडे, हरी सब्जियां और सेव इत्यादि शामिल करें। इससे हड्डियां मजबूत होने के साथ अनिद्रा जैसी समस्यायें दूर होगीं और प्रि-मैच्योर मेनोपॉज का रिस्क घटेगा।

हॉट फ्लेशेज और नाइट स्वेटिंग में राहत के लिये डाइट में ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर फूड आइटम्स जैसे फ्लैक्स सीड, शिया सीड, सन-फ्लावर सीड और फिश की मात्रा बढ़ायें।

प्रि-मेनोपॉज में एस्ट्रोजन लेवल घटने से बोन्स के साथ मसल्स भी वीक होने लगती हैं इसलिये डाइट में उन चीजों को एड करें जिनसे एस्ट्रोजन लेवल बढ़े, जैसे अच्छी क्वालिटी का प्रोटीन। और सबसे अच्छा प्रोटीन मिलता है एग-व्हाइट से। वैसे तो बादाम, सोयाबीन, दालें, मीट, मछली, दूध और पनीर भी प्रोटीन रिच फूड आइटम है लेकिन एग-व्हाइट प्रोटीन सबसे बेहतर है। इसलिये डाइट में अंडों की मात्रा बढ़ायें।

शरीर में एस्ट्रोजन लेवल बढ़ाने के लिये आपको अपने वेट के हिसाब से प्रोटीन खाना होगा। अगर बॉडी वेट 60 केजी है तो रोजाना 60 से 70 ग्राम प्रोटीन लें, यानी एक केजी पर 1 ग्राम। चना, राजमा, लोबिया, मूंगफली, ज्वार और बाजरा भी रिच प्रोटीन सोर्स हैं। इन्हें अपनी डाइट में शामिल करें। अंगूर, आलूबुखारा और ग्रीन टी का नियमित सेवन एस्ट्रोजन लेवल बढ़ाने में हैल्प करता है।

प्रि-मेनोपॉज में अच्छी डाइट के साथ सप्लीमेन्ट्स भी लें। ये ऑस्टियोपोरोसिस का रिस्क घटाने के साथ इनर्जी लेवल मेन्टेन रखते हैं, विशेष रूप से कैल्शियम, विटामिन डी और मैग्नीशियम सप्लीमेंट। अगर बाल झड़ रहे हैं तो बॉयोटिन सप्लीमेंट लें। हॉट फ्लैशेज, अनिद्रा और डिप्रेशन कम करने में ग्रेप सीड सप्लीमेंट बहुत फायदेमंद हैं। थकान, एंग्जॉयटी और स्ट्रेस दूर करने के लिये जिनसेंग और हेल्दी हार्ट के लिये ओमेगा-3 फैटी एसिड लें।

डेली 30 मिनट रेगुलर एक्सरसाइज करें। खुद को रिलेक्स करने के लिये योगा और मेडीटेशन को अपनी जीवनशैली का हिस्सा बनायें। हॉट फ्लेशेज महसूस होते ही धीमी और गहरी सांसें लेना शुरू करें। इससे हॉट-फ्लैशेज में कमी आने के साथ मूड-स्विंग, डिप्रेशन, एंग्जॉयटी, सैडनेस और आइडेन्टिटी क्राइसिस जैसी समस्याओं में राहत मिलती है।

अगर नींद नहीं आती तो सोने से पहले स्नान करें। इससे नाइट-स्वेट्स की समस्या दूर होगी। सोते समय कॉफी, सोडा-ड्रिंक और एल्कोहल का सेवन न करें, इनसे नींद डिस्टर्ब होती है और शरीर पर इनका असर समाप्त होता है करीब छह घंटे में।

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