भोपाल। प्रदेश और देश में चुनावों का मौसम आ गया है और चुनाव आते ही दलबदल होने लगता है लेकिन इस बार समय से पहले और दिग्गज नेताओं द्वारा दलबदल की शुरुआत कर देने से अब अपनों को संभालने की नई चुनौती दलों के सामने होगी। दरअसल, चुनावी दौर में नेताओं का दलबदल करना आम बात है लेकिन जब पार्टी का ऐसा चेहरा दल छोड़ें जो ना केवल महत्वपूर्ण पदों पर रहा हो वरन पार्टी की स्थापना से लेकर अब तक पार्टी के प्रति समर्पित रहा हो तब जरूर यह चर्चा शुरू हो जाती है कि आखिर ऐसा क्या हुआ। ऐसी ही चर्चा मध्यप्रदेश भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे नंद कुमार साय द्वारा पार्टी छोड़ने के बाद शुरू हुई है जब मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ एक था। नंदकुमार साय पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष थे और उनके नेतृत्व में पार्टी ने 1998 का विधानसभा चुनाव भी लड़ा था। एक बड़े आदिवासी चेहरे के रूप में नंद कुमार साय की पहचान थी।
जब 2001 में मध्यप्रदेश का विभाजन हुआ और छत्तीसगढ़ अलग राज्य बना तब नंदकुमार को छत्तीसगढ़ विधानसभा का पहला नेता प्रतिपक्ष भी बनाया गया था। भाजपा के टिकट पर तीन बार विधायक तीन बार सांसद और दो बार राज्यसभा में रहने वाले साय 2003 से 2005 तक छत्तीसगढ़ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे। मतलब साफ है कि वे पार्टी के मजबूत नेताओं में से एक थे। उन्होंने इस्तीफा छत्तीसगढ़ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साहब को लिखा जिसमें उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से भारतीय जनता पार्टी में मेरी छवि धूमिल करने के उद्देश्य मेरे विरुद्ध अपने ही पार्टी के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वीयों द्वारा षडयंत्रपूर्वक मिथ्या आरोप अन्य गतिविधियों द्वारा लगातार मेरी गरिमा को ठेस पहुंचाया जा रहा है। छत्तीसगढ़ जहां कांग्रेस की सरकार है वहां भाजपा की मुश्किलें और भी बढ़ गई है लेकिन इसका असर मध्यप्रदेश की राजनीति पर भी पड़ेगा क्योंकि यहां भी अब दलबदल करने की चर्चाएं शुरू हो गई है।
बहरहाल, छत्तीसगढ़ की तरह ही मध्यप्रदेश में भी पार्टी को झटका लगने की संभावना बढ़ गई है क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के बेटे पूर्व मंत्री दीपक जोशी 5 मई के बाद भाजपा को छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं। इस संबंध में दीपक जोशी का कहना है कि जो मुझे सम्मान देगा मैं उसके साथ रहूंगा। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह अभी ट्रेलर है आगे आगे देखिए क्या होता है। तीन बार विधायक रह चुके और शिवराज सरकार में मंत्री रह चुके दीपक जोशी तब से ही अपने आपको उपेक्षित मान रहे हैं। जब से उनकी हाटपिपलिया विधानसभा सीट से कांग्रेस के मनोज चौधरी चुनाव जीतकर उपचुनाव में आ गए थे। उपचुनाव के दौरान भी अटकलें लगाई जा रही थी कि दीपक जोशी कांग्रेस से चुनाव लड़ सकते हैं लेकिन तब भाजपा नेताओं ने उनको मना लिया था लेकिन इसके बाद से ही वे पार्टी में सक्रिय दिखाई नहीं दिए। पिछले दिनों उन्होंने फेसबुक पर लिखा था कि छल, कपट और पाप का फल धरती पर भुगतना पड़ता है। याद रखना समय किसी को माफ नहीं करता तब से ही यह अटकलें लगाई जा रही थी दीपक जोशी पार्टी से संतुष्ट नहीं है।
कुल मिलाकर जिस तरह से कर्नाटक में पूर्व मुख्यमंत्री दल बदल कर चुके छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में दलबदल का दौर शुरू हो गया है और इस बार दलबदल दिग्गज नेताओं द्वारा किया जा रहा है। इस कारण चुनाव तक अपने नेताओं को संभालना राजनीतिक दलों के सामने एक बड़ी चुनौती है।