भोपाल। चुनावी तैयारियों में जुटी सत्ताधारी दल भाजपा ने प्रदेश में रूठे और असंतुष्ट कार्यकर्ताओं एवं नेताओं को मनाने की जिम्मेदारी 14 दिग्गज नेताओं को सौंपी है जिनमें तीन पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और संगठन और सरकार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले नेता शामिल है और जिनकी कार्यकर्ताओं के बीच अच्छी छवि है।
दरअसल, प्रदेश में मिशन 2023 भाजपा और कांग्रेस के लिए “करो या मरो” जैसी स्थिति में है क्योंकि 2018 के चुनाव परिणाम लगभग बराबरी के थे जहां भाजपा 15 वर्षों के बाद सत्ता से बाहर हुई थी। वही कांग्रेस को सत्ता में आने की उम्मीद बनी थी। यही कारण है कि दोनों दल 2023 के लिए किसी भी प्रकार की कोई ना तो कसर छोड़ रहे हैं और ना अति आत्मविश्वास में है सर्वे और फीडबैक के आधार पर चुनावी तैयारियां तेज हो गई हैं। लगातार सत्ता में रहने के कारण भाजपा में यह भी बात उभर कर आई कि कहीं कहीं कार्यकर्ता और नेता रूठे हुए हैं। इनके रूठने के कारण ही पंचायती राज और नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा को पहले जैसी सफलता नहीं मिल पाई। अब जबकि चुनावी तैयारियां तेज हो गई हैं राष्ट्रीय नेतृत्व का पूरा फोकस मध्य प्रदेश पर बन गया है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 अप्रैल को प्रदेश में आ रहे हैं जहां वे विंध्य क्षेत्र में पंचायती राज सम्मेलन को संबोधित करेंगे पार्टी के रणनीतिकार और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने पिछले दिनों प्रदेश का दौरा किया था और तब यह तय किया गया था कि पार्टी में कार्यकर्ताओं को मनाने और उन्हें मैदान में सक्रिय करने के लिए ऐसे नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी जाए जिनकी कार्यकर्ताओं के बीच साख भी है और जिनकी बात कार्यकर्ता मान सकें जिन्होंने पूर्व में भी सौंपी गई जिम्मेदारी को शिद्दत के साथ पूरा किया हो ऐसे ही 14 नेताओं को जिलों की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
बहरहाल, जिन दिग्गज नेताओं को कार्यकर्ताओं को मनाने और 15 अप्रैल तक जिलों के दौरे करने को कहा गया है। उनमें केंद्रीय मंत्री पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर को इंदौर, भोपाल और सीहोर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सांसद राकेश सिंह को नर्मदा पुरम बैतूल और मंडला पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा को खरगोन और बुरहानपुर वरिष्ठ मंत्री गोपाल भार्गव को छिंदवाड़ा बालाघाट और सिवनी राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को जबलपुर धार रीवा और सतना जय भान सिंह पवैया को उज्जैन शाजापुर देवास माखन सिंह को गुना शिवपुरी और श्योरपुर कृष्ण मुरारी मोघे को विदिशा रायसेन और सागर सत्यनारायण जटिया को रतलाम, मंदसौर और नीमच, फग्गन सिंह कुलस्ते को झाबुआ और अलीराजपुर माया सिंह को राजगढ़, नरसिंहपुर और दतिया लाल सिंह आर्य को टीकमगढ़, कटनी, पन्ना और छतरपुर एवं सुधीर गुप्ता को ग्वालियर भिंड और मुरैना की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
पार्टी कार्यकर्ताओं को मनाने के लिए कितनी गंभीर है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि 4 पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दो पूर्व संगठन महामंत्री केंद्रीय मंत्री सहित प्रदेश के दमदार नेताओं को मैदान में उतारा गया है। यह नेता सौपे गए जिलों में कार्यकर्ताओं के बीच चर्चा करेंगे। आपस में समन्वय बनाएंगे और उसकी रिपोर्ट संगठन को देंगे जिलों में जाकर यह नेता पार्टी के टिकट पर जीत कर विभिन्न नगर पालिकाओं के अध्यक्ष जिला पंचायत अध्यक्ष पूर्व अध्यक्ष पूर्व सांसद पूर्व विधायक और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ चर्चा करके जिले के समीकरणों को साधने का काम भी करेंगे।
कुल मिलाकर जिस तरह से फाइनल मुकाबले में आजमाएं हुए खिलाड़ियों को मौका दिया जाता है। उसी तरह करो या मरो के चुनाव में पार्टी ने ऐसे दिग्गज नेताओं को मैदान में उतार दिया है जो पूर्व में भी अपनी दक्षता और क्षमता विभिन्न मोर्चों पर साबित कर चुके हैं।