भोपाल।प्रदेश में मिशन 2023 की तैयारियों में जुटे भाजपा और कांग्रेस के रणनीतिकार इस समय कार्यकर्ताओं को मनाने और पार्टी से दूर चले गए नेताओं को घर वापसी करने पर जोर दे रहे हैं खासकर सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी उन नेताओं को वापस ला रही है जिन्हें पार्टी ने कुछ महीने पहले ही निलंबित किया था।
दरअसल 2018 की तरह एक बार फिर प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़े मुकाबले के आसार बन गए हैं क्योंकि दोनों ही दल करो या मरो की तर्ज पर समय से पूर्व ही है चुनावी तैयारियां करने में जुट गए हैं। इसके लिए अब पार्टी उन नेताओं को पार्टी में वापस ला रही है जिन्हें किन्हीं कारणों से निलंबित कर दिया गया था और जिनके वापस आ जाने पर कम से कम 1 सीट बचाई जा सकती है। चाहे कुछ भी हो जाए एक एक सीट जीतने की रणनीति बनाई जा रही है।
बहरहाल, गुरुवार को पार्टी के प्रदेश कार्यालय में जहां दो बैठकों का आयोजन था। वहीं सिद्धार्थ मलैया की पार्टी में वापसी भी हुई। दमोह क्षेत्र में मलैया परिवार का दबदबा पार्टी उस समय समझ गई जब पूरी ताकत लगाने के बावजूद भी दमोह विधानसभा का उपचुनाव मैं जीत नहीं मिल सकी और हार भी लगभग 17000 वोटों से हुई। उसके बाद नगरी निकाय और पंचायती राज के चुनाव में भी पार्टी को झटके लगे और तभी से पार्टी ने फिर से जयंत मलैया की तरफ रुख किया।
उनके 75 वें जन्मदिन पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा, राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, वरिष्ठ मंत्री गोपाल भार्गव, भूपेन्द्र ठाकुर सहित दर्जनों बीजेपी के नेता दमोह पहुंचे और मलैया का पार्टी के प्रति समर्पण और योगदान को सराहा और अब सिद्धार्थ मलैया की पार्टी में वापसी करके पार्टी ने संदेश दे दिया है कि यदि सरकार बनाना है तो पुराने सभी गले शिकवे भुला कर सबको साथ लेकर चलना पड़ेगा इसके पहले प्रीतम लोधी की पार्टी में वापसी हो चुकी है। दतिया के पूर्व विधायक की भी पार्टी में सम्मानजनक वापसी हुई है और ऐसे एक दर्जन नाम और है जिनकी आगामी दिनों पार्टी में वापसी होगी। यही नहीं कांग्रेस के भी ऐसे नेताओं पर नजर रखी जा रही है जो पार्टी में आ सकते हैं।
वहीं दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी भी अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं को मनाने में जुटी है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने रतलाम में एक बैठक में कहा कि सबको साथ लेकर चलो कोई यदि चुनाव जीता नहीं सकता तो वह चुनाव हरा जरूर सकता है इसलिए सबको साथ लेने की जरूरत है क्योंकि यह समय कांग्रेसी एकजुटता का है कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ भी लगातार पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से मिल रहे हैं और फीडबैक के आधार पर जिम्मेदारियां सौंप रहे हैं।
कुल मिलाकर एक – एक सीट जीतने की रणनीति पर काम कर रहे दोनों ही प्रमुख दलों भाजपा और कांग्रेस के रणनीतिकारों ने अब ऐसे नेताओं कार्यकर्ताओं और सामाजिक व्यक्तियों को चिन्हित करना शुरू कर दिया है जिनके पास दो पांच सौ वोटे हैं उन्हें पार्टी से जुड़ने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।