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निमोनिया से बच सकते हैं बशर्ते…

निमोनिया के बारे में सही जानकारी ही हमें इसकी घातकता से बचा सकती है। मेडिकल एडवांसमेंट की वजह से आज इसकी वैक्सीन उपलब्ध है। सेन्टर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रवेन्शन यानी सीडीसी के मुताबिक 5 साल से कम उम्र के बच्चों और 65 साल से ज्यादा उम्र वालों को निमोनिया वैक्सीन जरूर लेनी चाहिये। अगर इसके साथ फ्लू, मैनिनजाइटिस और HIB वैक्सीनेशन करा लें तो निमोनिया से 80% सुरक्षा मिल जाती है। बाजार में इसकी अनेकों वैक्सीन उपलब्ध हैं, आपके लिये कौन सी बेहतर होगी इस बारे में डॉक्टर से बात करें।

फेफड़ों का जानलेवा इंफेक्शन है निमोनिया। वह भी एक से दूसरे में फैलने वाला। अपने देश में हर साल इसके एक करोड़ से ज्यादा मामले आते हैं। यह बैक्टीरिया, वायरस और फंगी किसी से भी हो सकता है। बैक्टीरियल और वायरल निमोनिया छींक या खांसी से पैदा हुई ड्रॉपलेट्स से लेकिन फंगल निमोनिया प्रदूषित वातावरण या पक्षियों की बीट से फैलता है। इसकी वजह से लंग्स एयर सैक्स में सूजन के साथ फ्लूड जमा होने से बलगम वाली खांसी, चेस्ट पेन, सांस लेने में दिक्कत, सिरदर्द, बुखार और ठंड लगती है। छोटे बच्चों में निमोनिया के लक्षण उल्टी, कम इनर्जी और सांस तेज चलने के साथ घरघराहट तथा उम्रदराज लोगों में माइग्रेन और लो-बॉडी टेम्प्रेचर के रूप में उभरते हैं।

अगर इलाज में देरी हुयी तो एम्फसीमा, एक्यूट रेसिपिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम, प्लूरल इफ्यूजन और कन्जेस्टिव हार्ट फेलियर जैसे कॉम्प्लीकेशन हो सकते हैं। बैक्टीरिया के ब्लड में जाने से सेप्टिक शॉक और मल्टी ऑर्गन फेलियर का रिस्क बढ़ता है। सीरियस कंडीशन में वेन्टीलेटर और लंग्स कैविटी में पस भरने पर सर्जरी की जरूरत पड़ती है।

वैसे तो यह किसी को भी हो सकता है लेकिन दो साल से छोटे बच्चों, बुजुर्गों और लम्बे समय तक आईसीयू में रहने वालों को निमोनिया के चांस अधिक होते हैं। कमजोर इम्युनिटी, अस्थमा, डॉयबिटीज, सिस्टिक फाइब्रोसिस, ब्रेन स्ट्रोक और कार्डियोवैस्कुलर बीमारियां इसका रिस्क बढ़ाती हैं। इनके अलावा स्मोकिंग, रेगुलर ड्रिंकिंग या जिन्हें हाल में कोई रेसपिरेटरी इंफेक्शन हुआ हो और पॉल्यूटेड वातावरण में रहने वाले आसानी से निमोनिया की चपेट में आ जाते हैं।

अक्सर निमोनिया और ब्रोन्काइटिस में कन्फ्यूजन होता है, लेकिन ये अलग-अलग बीमारियां हैं। जहां निमोनिया से लंग्स एयर सैक्स में वहीं ब्रोन्काइटिस से ब्रोन्कियल ट्यूब में सूजन आती है। हां, दोनों का कारण बैक्टीरिया और वायरस से होने वाला इंफेक्शन ही है, लेकिन निमोनिया ज्यादा घातक है। अगर ब्रोन्काइटिस के मरीज को समय पर सही इलाज न मिले तो उसे निमोनिया हो जाता है।

निमोनिया के बारे में सही जानकारी ही हमें इसकी घातकता से बचा सकती है। मेडिकल एडवांसमेंट की वजह से आज इसकी वैक्सीन उपलब्ध है। सेन्टर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रवेन्शन यानी सीडीसी के मुताबिक 5 साल से कम उम्र के बच्चों और 65 साल से ज्यादा उम्र वालों को निमोनिया वैक्सीन जरूर लेनी चाहिये। अगर इसके साथ फ्लू, मैनिनजाइटिस और HIB वैक्सीनेशन करा लें तो निमोनिया से 80% सुरक्षा मिल जाती है। बाजार में इसकी अनेकों वैक्सीन उपलब्ध हैं, आपके लिये कौन सी बेहतर होगी इस बारे में डॉक्टर से बात करें।

वैक्सीनेशन के अलावा कुछ सावधानियां अपनाकर निमोनिया से बचा जा सकता है जैसे स्मोकिंग छोड़ें। जब भी बाहर से आयें या बाहरी चीज को छुयें तो साबुन से हाथ धोयें। खुले में न थूकें और इस्तेमाल किया टिश्यू या रूमाल सही ढंग से डिस्पोज करें। इम्युनिटी बढ़ाने वाली पौष्टिक डाइट लें। हेल्दी लाइफ स्टाइल अपनायें। अच्छी तरह आराम करें और सात से आठ घंटे की गहरी नींद लें।

अगर निमोनिया के ट्रीटमेंट की बात करें तो यह कारण, गम्भीरता और मरीज की ओवरऑल हेल्थ पर निर्भर है। ट्रीटमेंट शुरू होने के एक-दो दिन में ही मरीज को आराम आने लगता है, इसलिये कुछ लोग बीच में दवा लेना छोड़ देते हैं, जो ठीक नहीं है। ऐसा करने से कुछ दिनों में फिर से निमोनिया हो सकता है और तब इलाज ज्यादा मुश्किल होगा। इसलिये दवा का कोर्स पूरा करें चाहे वह सात दिन का हो या 15 दिन का।

अगर मरीज घर पर है तो जल्द रिकवरी के लिये समय पर दवायें लें, ज्यादा से ज्यादा पानी पियें और आराम करें। निमोनिया में आराम करना भी दवा के समान है इससे शरीर को इंफेक्शन से लड़ने में मदद मिलती है। याद रहे यह एक से दूसरे में फैलने वाला इंफेक्शन है इसलिये मरीज के कपड़े और बर्तन अलग करें। उसे खुले में न थूकने दें और उसके पास हमेशा मास्क लगाकर जायें।

अगर एक-दो दिन में तबियत न सुधरे तो पेशेन्ट को अस्पताल में भर्ती करायें। इस बात का ध्यान रखें कि अस्पताल में ऑक्सीजन और वेंटीलेटर जैसी सुविधायें हों।

याद रहे निमोनिया घरेलू उपचार से ठीक नहीं होता, केवल इससे होने वाले कष्ट कम होते हैं। कष्ट कम करने के लिये स्टीम लें, नमक पानी के गरारे करें और पिपरमिंट, अदरक, तुलसी व हल्दी वाली चाय पियें। जितना सम्भव हो पानी पियें यदि सर्दी है तो गुनगुना। सांस में दिक्कत होने पर कॉफी भी फायदा करती है।

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