भोपाल। हाल ही में हरियाणा में राजस्थान के के दो मुस्लिम व्यापारियों जूनिड और नासिर की उनकी बोलेरो गाड़ी में जलाकर हत्या करने की घटना को तथाकथित गौ रक्षकों के दो गिरोहों ने की थी। इस घटना को लेकर हरियाणा पुलिस ने राजस्थान पुलिस के खिलाफ अपहरण का मामला भी दर्ज किया। बाद की जांच में इस लोंम्हर्शक घटना में मानेसर के एक नामजद अभियुक्त को लेकर उसके समाज के लोगों ने काफी हो हल्ला किया था यहां तक उन्होंने अभियुक्त के समर्थन में रैली भी निकाली!
कहने का तात्पर्य यह है कि हरियाणा की खट्टर सरकार भारतीय जनता पार्टी की है। जो गाय को पूज्य घोषित करती हैं, परंतु नागालैंड की सरकार, जिसमें बीजेपी प्रमुख दल हैं , वहां के बीजेपी नेता खुले आम गौ मांस खाने का बयान देते है ! वहां अभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी साथ मंच पर मुख्यमंत्री नेफियो रियो भी मौजूद थे, जिन्होंने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया कि हमारे लोग गाय का मांस खाते हैं और बीजेपी को इसमें कोई एतराज़ नहीं है! आश्चर्य की बात यही है कि हिन्दुत्व आर हिन्दू राष्ट्र की मांग करने वाले संघ और विश्व हिन्दू परिषद, तथा बजरंग दल के लोग, इस घोर पाप को क्या इसीलिए सहन कर रहे है कि उत्तर – पूर्व के प्रांतों में गौ मांस खाने वालों की सरकार बीजेपी के साथ रहे !
इतना ही नहीं देश में इस्लाम और ईसाइयो के प्रति संघ आर वीएचपी तथा बीजेपी का रुख धर्मांतरण को लेकर –सदैव उग्र रहा हैं। इसका प्रमाण यह है कि संघ और बीजेपी में इन दोनों धर्मो के लोग पार्टी में और सरकार में एक या दो ही हैं! उत्तर प्रदेश में पार्टी के पास इन धर्मो का कोई प्रामाणिक नेता नहीं हैं , न ही विधानसभा में। नेत्रत्व में इन्हें स्थान केवल मुंह दिखाने भर का हैं !
अब इस स्थिति को को क्या कहेंगे? जो तथ्य एक जगह पाप या अपराध है, वह दूसरे स्थान पर कैसे जायज या वैधानिक हो सकता हैं ? यह इसलिए भी काबिले गौर हैं जब सरकार के नुमाइंदे और संगठन के लोग खुले आम समान आचार संहिता की पुरजोर मांग कर रहे हो !
अब आचार संहिता तो सिविल या दीवानी मामलों को ही लेकर है अर्थात विरासत -विवाह – तलाक तथा अन्य मामलों के लिए ही होगी। परंतु अपराध प्रक्रिया संहिता का क्षेत्र तो समग्र भारत गणतंत्र हैं, बिना किसी धरम या जाति के भेदभाव के बिना लागू होता हैं। परंतु अनेक राज्यों में तो, जैसे उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में गाय का वध सांघातिक अपराध हैं। उत्तर प्रदेश और हरियाणा में तो विगत में अनेक मुस्लिमों को मार कर हत्या की घटनाएं हुई हैं। अब ऐसे में बीजेपी के हिन्दुत्व और संघ को नागालैंड में वभ की नगा जनजाति के भोजन बीफ यानि की गौ मांस को सहमति देना सत्तारूढ़ दल और सरकार की नियत पर सवाल तो खड़ा करता हैं। आखिर कैसे एक अपराध सात सौ किलोमीटर पहुँच कर भोजन का भाग बन जाता हैं !
इतना ही नहीं केंद्र की सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सभी कार्यक्रम को शासकीय बना देता है। भले ही वे वहां अपनी पार्टी का चुनाव प्रचार कर रहे हो! जैसे की नागालैंड की सभा में ईसाई बहुल राज्य में मंच पर पादरी से प्रार्थना करवाना भी चुनावी हथकंडा ही कहा जाएगा। वरना जो बीजेपी काँग्रेस नेता श्रीमति सोनिया गांधी के धरम को लेकर हमेशा उनकी देश भक्ति पर आरोप लगाती रही हैं। वे एक कैथोलिक ईसाई है। परंतु उनकी पुत्र राहुल और पुत्री प्रियंका वादरा सनातन धरम मानते हैं।
गौमांस का निर्यात वैसे तो प्रतिबंधित हैं, परंतु भारत सबसे बड़ा इसका निर्यातक भी हैं। आंध्र आर उत्तर प्रदेश में अनेक कारखाने टनों मांस अरब देशों को निर्यात होता हैं।
केरल और तामिलनाडु में बीफ या गौ मांस का इस्तेमाल सार्वजनिक रूप से किया जाता हैं। अब वहां पर बीजेपी क्या चुनाव में इस मुद्दे को उठा सकती हैं ? मेरे मत में तो कतई नहीं क्यूंकि यह घाटे का सौदा होगा। बीजेपी सत्ता के लिए अपने मूल्यों और वादों को भी छोड़ देगी, क्यूंकि मोदी जी को सत्ता चाहिए, वादे और मूल्य का कोई मोल नहीं हैं।