मेथी, मोटापे और डॉयबिटीज के अलावा कई जानलेवा बीमारयों का रिस्क कम करती है जैसे कैंसर, कोलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर, इन्फ्लेमेशन, कार्डियोवैस्कुलर डिजीज और इंफेक्शन। इंफेक्शन चाहे बैक्टीरियल हो, वायरल हो या फंगल यह तीनों पर बराबर असर करती है।मेथी का डॉयबिटीज कंट्रोल मैकेनिज्म जानने के लिये इस पर हुयी रिसर्च से सामने आया कि इसमें ऐसे एंटी-डॉयबिटिक कम्पाउंड हैं जो इंटस्टाइनल ग्लूकोज एब्जॉर्बेशन घटाने, गैस्ट्रिक एम्पटाइंग धीमा करने, लिपिड बाइंडिंग प्रोटीन कन्सन्ट्रेशन कम करने और इन्सुलिन सेन्सटीविटी बढ़ाने का काम करते हैं।
आपने अक्सर देखा होगा कि हमारे देश में मोटापे और डॉयबिटीज के घरेलू उपचार के तौर पर मेथी का इस्तेमाल आम है। इसकी सच्चाई जानने के लिये जब वैज्ञानिकों ने रिसर्च की तो सामने आया कि मेथी, मोटापे और डॉयबिटीज के अलावा कई जानलेवा बीमारयों का रिस्क कम करती है जैसे कैंसर, कोलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर, इन्फ्लेमेशन, कार्डियोवैस्कुलर डिजीज और इंफेक्शन। इंफेक्शन चाहे बैक्टीरियल हो, वायरल हो या फंगल यह तीनों पर बराबर असर करती है।
डॉयबिटीज की घातकता जगजाहिर है अगर ज्यादा दिनों तक ब्लड-शुगर हाई रहे तो किडनी, हार्ट और आंखों पर बुरा असर पड़ता है। मेथी का डॉयबिटीज कंट्रोल मैकेनिज्म जानने के लिये इस पर हुयी रिसर्च से सामने आया कि इसमें ऐसे एंटी-डॉयबिटिक कम्पाउंड हैं जो इंटस्टाइनल ग्लूकोज एब्जॉर्बेशन घटाने, गैस्ट्रिक एम्पटाइंग धीमा करने, लिपिड बाइंडिंग प्रोटीन कन्सन्ट्रेशन कम करने और इन्सुलिन सेन्सटीविटी बढ़ाने का काम करते हैं।
हेल्दी कंडीशन में हमारा शरीर भोजन में मौजूद शुगर ब्रेक करके ब्लड स्ट्रीम में भेजता है जिससे ब्लड शुगर लेवल बढ़ता है। ऐसा होने पर पेनक्रियाज तुरन्त इंसुलिन रिलीज करने लगता है। इसी इंसुलिन की वजह से शरीर के सेल्स ब्लड में मौजूद शुगर को इनर्जी के रूप में इस्तेमाल कर पाते हैं। डॉयबिटीज होने पर शरीर की ब्लड शुगर को इनर्जी में बदलने की क्षमता घट जाती है। मेथीदाना पाउडर शरीर की इंसुलिन सेन्सटीविटी बढ़ता है जिससे बॉडी सेल्स, ब्लड-शुगर को ठीक ढंग से इनर्जी में बदल पाते हैं। मेथी की इस क्षमता को सिद्ध करने के लिये 2018 में हुयी एक रिसर्च में डॉयबिटीज के मरीजों को सुबह-शाम एक-एक टी-स्पून मेथीदाना पाउडर 10 दिनों तक दिया गया और इसका रिजल्ट सामने आया इंसुलिन सेन्सटीविटी बढ़ने के रूप में जिससे ब्लड शुगर लेवल में कमी आयी।
डॉयबिटीज पीड़ितों में ब्लड शुगर लेवल हाई रहने का एक कारण और है इंटस्टाइनल ग्लूकोज एब्जॉर्बेशन यानी उनकी इन्टस्टाइन दूसरों की अपेक्षा ज्यादा ग्लूकोज एब्जार्ब करती है। रिसर्च से सामने आया की मेथीदाना पाउडर आंतों की ग्लूकोज एब्जार्बेशन क्षमता घटाता है जिससे ब्लड शुगर लेवल कम होता है।
मेथी में हाई डॉयटरी फाइबर होता है जो देर में पचता है। इसकी वजह से भूख कम लगती है। इसके दो फायदे हैं एक तो ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल रहता है और कैलोरी इनटेक घटने से मोटापा भी कम होता है। अगर डॉयबिटीज कंट्रोल करने के लिये मेथी का पूरा फायदा लेना है तो इसके बीजों का पाउडर एक चम्मच सुबह और एक चम्मच शाम को कम से कम 16 हफ्ते जरूर लें।
अगर मेथी के पोषक तत्वों की बात करें तो इसमें कोलॉइन, इनोसिटॉल बॉयोटिन, विटामिन A, B, D और आयरन के अलावा सॉल्यूबल और इन-सॉल्यूबल फाइबर होता है जो इसे जबरजस्त एंटी-ऑक्सीडेंट बनाता है।
इन्फरटीलिटी दूर करने में मेथी किसी दवा से कम नहीं। यह शरीर में टेस्टोस्टेरॉन लेवल बढ़ाकर कामेच्छा जगाती है, जिससे लो-सेक्स ड्राइव से पैदा हुयी इन्फरटीलिटी दूर होती है। सन 2017 में इन्फरटीलिटी दूर करने के सम्बन्ध में हुयी एक रिसर्च के तहत 50 पुरूषों को 12 सप्ताह तक मेथीदाना एक्सट्रैक्ट दिया गया। जब इसका रिजल्ट सामने आया तो वैज्ञानिक हैरान रह गये, क्योंकि रिसर्च में शामिल 85% पुरूषों में स्पर्म काउंट बढ़ा और इन्फरटीलिटी के लक्षण कम हुये। इसके अलावा मेन्टल एलर्टनेस बढ़ी, मूड ठीक रहा और कामेच्छा में भी बढ़ोत्तरी हुयी।
इसी तरह ब्रेस्ट मिल्क प्रोडक्शन और फ्लो इम्प्रूव करने में मेथी का जबाब नहीं। चाइल्ड बर्थ के बाद अगर मां को दूध नहीं उतरता तो दो हफ्ते तक दिन में तीन बार यानी सुबह, दोपहर, शाम एक-एक कप मेथी की चाय पियें। पहले हफ्ते में ही मिल्क प्रोडक्शन और फ्लो ठीक होने लगेगा।
परम्परागत दवाओं में मेथी का उपयोग दर्द-निवारक दवा के रूप में किया जाता है। इसमें मौजूद एल्कालॉयड कम्पाउंड दिमाग के उन सेंसरी रिसेप्टरर्स को ब्लॉक कर देता है जिनकी वजह से दिमाग दर्द महसूस करता है। इस सम्बन्ध में सन् 2014 में हुयी एक रिसर्च के अंतर्गत मेन्सुरल पेन से पीड़ित 51 महिलाओं को मेथीदाना पाउडर के तीन कैपसूल सुबह, दोपहर और शाम दो माह तक दिये गये। और इसका रिजल्ट सामने आया दर्द में हुयी अत्प्रत्याशित कमी और नार्मल पीरियड्स के रूप में। मेथी चाइल्ड बर्थ पेन, मसल पेन, मेनोपॉज और पेनफुल मेन्सुरेशन में फायदा करती है लेकिन प्रेगनेन्सी में इसके सेवन से बचें अन्यथा यूटेराइन कॉन्ट्रेक्शन्स से मिसकैरेज हो सकता है।
वजन कम करने के सम्बन्ध में मेथी की भूमिका के बारे में वैज्ञानिकों का कहना है कि इसके सेवन से भूख कम लगती और पेट भरा महसूस होता है। जिससे वजन घटने लगता है। लेकिन ऐसा तभी होगा जब आप एक चम्मच मेथीदाना पाउडर लंच से एक घंटे पहले फांक लें।
पाचन क्रिया, विशेष रूप से कॉन्सटीपेशन दूर करने में मेथी बहुत उपयोगी है, लेकिन गैस्ट्रोइंटस्टाइनल सिम्पटम्स में इसके सेवन से बचें।
डॉयटरी फाइबर रिच होने की वजह से मेथी का नियमित सेवन कोलेस्ट्रॉल कम करके बल्ड प्रेशर ठीक करता है जिससे हार्ट हेल्थ इम्प्रूव होती है।
शोध से यह भी पता चला कि यह ऑर्थराइटिस, बॉयल्स, अल्सर, माइग्रेन, ब्रीदिंग प्रॉब्लम और जख्म जल्दी हील करने में फायदा करती है लेकिन हारमोन-सेन्सटिव टाइप कैंसर में मेथी के सेवन से तबियत और खराब हो जाती है, इसलिये इसके सेवन से बचें।
शरीर में सूजन कम करने में मेथी कितनी कारगर है, जानने के लिये सन 2012 में हुयी एक रिसर्च में पाया गया है कि हाई-एंटीऑक्सीडेंट फ्लेवनॉयड कंटेट की वजह से मेथीदाना एक्सेट्रैक्ट का नियमित सेवन शरीर की सूजन कम करता है।
इन स्थितियों में मेथी सेवन से बचें
ऐसा नहीं कि मेथी का सेवन सभी को फायदा ही करे। रिर्सच से पता चला कि इसके सेवन से कुछ लोगों में पेट अपसेट और डिजीनेस के लक्षण उभरे। इनके अलावा डॉयरिया, सिरदर्द, पसीने और ब्रेस्ट मिल्क में अजीब सी गंध महसूस होती है। कुछ लोगों को मेथी से एलर्जी भी होती है। इन सब कारणों से मेथी पर रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों नें लिखा कि प्रेगनेन्ट महिलाओं को इसके सेवन से बचना चाहिये। क्योंकि इस दौरान मेथी का सेवन बर्थ एब्नार्मल्टीज बढ़ाता है।
शरीर में मेथी एस्ट्रोजन की तरह एक्ट करती है। इसलिये हारमोन सेन्सटिव कैंसर पीड़ित पुरूषों पर इसका निगेटिव असर होता है। सरल शब्दों में अगर हेल्थ से जुड़ी कोई गम्भीर समस्या है तो मेथी का सेवन डॉक्टर से पूछकर ही करें।