एसीडिटी को हल्के में न लें। इससे हार्टबर्न के अलावा अस्थमा, मतली, उल्टी, लैरिन्जाइटिस, निगलने में दर्द और सांसों में बदबू जैसे लक्षण उभरते हैं। कुछ के तो दांत खराब हो जाते हैं। अगर यह लम्बे समय तक रहे तो पेट की लाइनिंग सूजने से जलन, ब्लोटिंग और अल्सर जैसी समस्यायें हो जाती हैं। फूड पाइप में स्कार बनने से निगलने में दिक्क्त और खाना फंसने से चोकिंग का डर रहता है।इसलिये जैसे ही ऐसीडिटी महसूस हो अदरक का छोटा टुकड़ा चबाकर खायें।
ऐसीडिटी हो रही है परेशान न हो, एक ग्लास ठंडा दूध पियें। अगर घर में ठंडा दूध नहीं है तो हरी इलायची या लौंग चबायें, कुछ मिनटों में एसीडिटी शांत हो जायेगी। ये तो हैं एसीडिटी में टेम्प्रेरी रिलीफ के घरेलू नुस्खे। अगर आप चाहते हैं कि इससे स्थायी रूप से छुटकारा मिल जाये और दवायें न खानी पड़ें तो इसके कारणों को समझने के साथ जानना होगा उन उपायों को जो इससे निजात दिला सकें।
आम बोलचाल में एसिडिटी, मेडिकल लैंग्वेज में एसिड रिफलक्स, आज इतनी कॉमन प्रॉब्लम है कि दुनिया की करीब 20 % आबादी इससे पीड़ित है। शायद यही वजह है कि एसिडिटी रोकने की दवायें किसी भी दवा की तुलना में ज्यादा बिकती हैं। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक एसिडिटी पीड़ितों में 60 % महिलायें हैं यानी पुरूषों की अपेक्षा महिलायें एसिडिटी से ज्यादा परेशान रहती हैं, विशेषरूप से प्रेगनेन्सी में। और ऐसा होता है प्रेगनेन्सी के दौरान महिलाओं में ज्यादा प्रोजेस्टेरोन बनने से।
एसिडिटी किसी भी उम्र में हो सकती है और इसका सीधा कनेक्शन है हमारे डाइजेशन से। हम जो भी खाते हैं वह फूड पाइप से पेट में पहुंचता है, जहां मौजूद हाइड्रोक्लोराइड एसिड इसे पचाने लगता है। इस एसिड से कोई नुकसान न हो इसके लिये पेट में एक लाइनिंग होती है लेकिन फूड पाइप में ऐसी कोई लाइनिंग नहीं होती जो उसे एसिड से प्रोटेक्ट करे। हां, एसिड को फूड पाइप में आने से रोकने के लिये पेट के ऊपर एक वाल्व जरूर होता है। इस वॉल्व की मांसपेशियां वीक होने पर पेट का एसिड, फूड पाइप में आने लगता है जो कारण बनता है एसिडिटी का।
एसीडिटी का सबसे कॉमन लक्षण है हार्टबर्न। लेकिन इसका हार्ट से कोई लेना-देना नहीं है। इसमें बर्निंग सेन्सेशन महसूस होते हैं जो कुछ मिनटों से कुछ घंटो तक रहते हैं। ये लेटने या झुकने पर बढ़ जाते हैं। सीने में उठने वाली इस जलन और पेन से बहुत से लोगों को हार्ट-अटैक का भ्रम हो जाता है। अगर पेट का एसिड, फूड पाइप से गले में आ जाये तो मुंह का स्वाद कसैला हो जाता है।
हार्टबर्न से बचने का सबसे आसान उपाय है जीरा। आधा चम्मच काला जीरा धीरे-धीरे चबायें। इससे ऐसीडिटी, हार्टबर्न, ब्लोटिंग, नोजिया और पेट दर्द में राहत मिलेगी। आप जीरे को उबालकर भी ले सकते हैं। इसके लिये एक चम्मच जीरे को एक ग्लास पानी में उबालें और इस पानी को धीरे-धीरे पियें।
एसीडिटी को हल्के में न लें। इससे हार्टबर्न के अलावा अस्थमा, मतली, उल्टी, लैरिन्जाइटिस, निगलने में दर्द और सांसों में बदबू जैसे लक्षण उभरते हैं। कुछ के तो दांत खराब हो जाते हैं। अगर यह लम्बे समय तक रहे तो पेट की लाइनिंग सूजने से जलन, ब्लोटिंग और अल्सर जैसी समस्यायें हो जाती हैं। फूड पाइप में स्कार बनने से निगलने में दिक्क्त और खाना फंसने से चोकिंग का डर रहता है।इसलिये जैसे ही ऐसीडिटी महसूस हो अदरक का छोटा टुकड़ा चबाकर खायें। अगर इसका स्वाद अच्छा न लगे तो एक इंच अदरक कूटकर एक ग्लास पानी में उबालें और इस पानी को घूंट-घूंट कर पियें। कुछ मिनटों में एसीडिटी शांत होने लगेगी।
एसीडिटी का सबसे खतरनाक कॉम्प्लीकेशन है बैरेट्स इसोफेगस। इसमें एसिड रिफलक्स के कारण फूड पाइप के सेल्स और टिश्यू लाइनिंग में बदलाव आने से कैंसर का रिस्क बढ़ता है। रिसर्च से सामने आया कि फूड पाइप कैंसर के करीब 30% केसों में किसी न किसी रूप में एसिड रिफलेक्स ही जिम्मेदार था।
एसीटिडी के खतरों की कहानी पढ़ते-पढ़ते अगर फिर एसीडिटी होने लगी है तो घबरायें नहीं, अबकी बार इसे शांत करने के लिये एक चम्मच सौंफ पाउडर गुनगुने पानी से फांक लें, कुछ मिनटों में आराम आ जायेगा।
कुछ डॉयटरी हैबिट्स और फूड्स भी एसीडिटी का रिस्क बढ़ाते हैं इसलिये तले-मसालेदार भोजन, टमाटर या टमाटर से बनी सॉस, प्याज, लहसुन, कैफीन, चॉकलेट, कार्बोनेटेड ड्रिंक्स और सिट्रिक जूस से परहेज करें। डाइट में फाइबर की मात्रा बढ़ायें और एक साथ ज्यादा खाने के बजाय छोटे-छोटे मील लें यानी दिन में चार या पांच बार भोजन करें लेकिन थोड़ी-थोड़ी मात्रा में। इससे फूड पाइप के वॉल्व पर ज्यादा जोर नहीं पड़ेगा और एसीडिटी कम होगी।कच्चा प्याज, एसिड रिफलक्स और हार्टबर्न ट्रिगर करता है। कुछ लोगों को कच्चे प्याज से फूड पाइप में इरीटेशन होती है। इसलिये खाने में कच्चे प्याज की मात्रा कम करें। अगर प्याज ज्यादा पसन्द है तो भूनकर खायें।
हाई-कार्ब डाइट से भी एसीडिटी ट्रिगर होती है कारण आंतों में बैक्टीरिया की ओवरग्रोथ से पेट में ज्यादा गैस बनना। इसी तरह हाई फैट आइटम जैसे फ्राइड फूड, पोटेटो चिप्स और Pizza शरीर में CKK हारमोन का प्रोडक्शन बढ़ाते हैं जिससे डाइजेस्टिव ट्रैक में सॉल्ट बाइल रिलीज होने के कारण फूड पाइप में इरीटेशन के साथ एसीडिटी और सीने में जलन होने लगती है।एसीडिटी से छुटकारा दिलाने के लिये आज बाजार में सैकड़ों दवायें उपलब्ध हैं। सुबह-सुबह खाली पेट एक गोली लीजिये, सारा दिन एसीडिटी नहीं होगी। लेकिन इसकी डेली प्रैक्टिस सेहत के लिये ठीक नहीं है। एसीडिटी से बचने का सबसे आसान उपाय है लाइफस्टाइल में बदलाव। इसके तहत सबसे ज्यादा ध्यान दें बैठने के पोस्चर पर। बैठते समय रीढ़ की हड्डी सीधी रखें यानी एकदम सीधे होकर बैठने की आदत डालें।
ज्यादा देर तक खाली पेट न रहें और न ही ब्रेकफास्ट स्किप करेँ। ज्यादा समय तक खाली पेट रहने से पेट में ऐसिड की मात्रा बढ़ती है जिससे एसिड रिफलक्स का रिस्क बढ़ता है।हमेशा लेफ्ट साइड करवट लेकर सोयें। राइट साइड करवट लेकर सोने से एसिड एक्सपोजर 71% तक बढ़ता है जिससे एसीडिटी बढ़ जाती है। रात में देर से खाने की आदत छोड़ें और सोते समय बिस्तर सिर की ओर से हल्का ऊंचा रखें। वजन न बढ़ने दें और BMI मेन्टेन करें। स्मोकिंग छोड़ें और शराब का सेवन सीमित करें।
च्युंगम चबाना ऐसीडिटी रोकने में हैल्प करता है। इसमें मौजूद बाइ-कार्बोनेट्स, प्रभावी ढंग से एसिड को न्यूट्रल करके रिफलक्स रोकते हैं। च्युंगम से सलाइवा ज्यादा मात्रा में बनता है जिससे फूड-पाइप में जमा एसिड आसानी से क्लियर हो जाता है और हार्टबर्न जैसी समस्यायें नहीं होतीं।
अगर बिना कुछ खाये-पिये ऐसीडिटी से निजात पानी है तो सुबह खाली पेट और रात को सोते समय एक ग्लास गुनागुना पानी पीने की आदत डालें।आधा चम्मच बेकिंग सोडा, आधा कप पानी में मिलाकर पीने से ऐसीडिटी और हार्टबर्न में तुरन्त राहत मिलती है।खाने के बाद एक डली गुड़ खाना ऐसीडिटी में फायदेमंद है। कारण, गुड़ होता है पोटेशियम और मैग्नीशियम से भरपूर। ये दोनों तत्व पेट की लाइनिंग के लिये जरूरी म्यूकस बनाने की प्रक्रिया तेज करके pH बैलेंस ठीक रखते हैं जिससे ऐसिड ओवरलोडिंग घटती है और ऐसीडिटी से छुटकारा मिलता है।
छाछ या लस्सी का नियमित सेवन एसीडिटी दूर करने का कारगर उपाय है। रोजाना एक ग्लास छाछ में चुटकी भर काली मिर्च और धनिया डालकर पीने से डॉयजेशन इम्प्रूव होने के साथ एसीडिटी दूर होती है।अजवायन, एसीडिटी और पाचन से जुड़ी समस्यायें दूर करने में किसी से कम नहीं। एक चम्मच अजवाइन को एक ग्लास पानी में उबालकर पियें इससे एसीडिटी दूर होने के साथ पेट फूलने जैसी समस्याओं से भी निजात मिलेगी। अगर आपको अजवाइन का स्वाद पसंद है तो इसे भूनकर चबा सकते हैं।