मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल यदि भ्रष्टाचार में लिप्त होने पर अपने बेटे को गिरफ़्तार करवाने की बात खुले मंच से करते हैं तो अपनी सरकार में ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों पर नकेल क्यों नहीं कस पा रहे? क्या भ्रष्टाचार की शिकायतों पर केजरीवाल को सरकारी दफ़्तरों में औचक निरीक्षण नहीं करवाना चाहिए?
रजनीश कपूर
भ्रष्टाचार के विरुद्ध आंदोलन से जन्मी आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने सत्ता में आने से पहले दावा किया था कि उनकी सरकार में भ्रष्टाचार के लिए कोई जगह नहीं रहेगी। दिल्ली में केजरीवाल सरकार ने कुछ ऐसे ठोस कदम ज़रूर उठाए हैं जिनसे भ्रष्टाचार पर लगाम कसती हुई दिखाई तो देती है। परंतु दिल्ली की गद्दी पर तीसरी बार काबिज केजरीवाल क्या भ्रष्टाचार पर पूरी तरह से लगाम कसने में कामयाब हुए? क्या अन्य नेताओं की तरह भ्रष्टाचार से मुक्ति पाने का उनका नारा भी महज़ चुनावी जुमला था? क्या दिल्ली सरकार के कार्यालयों में भ्रष्टाचार पहले के मुक़ाबले कम हुआ या बढ़ा?
पिछले दिनों कर्नाटक में एक चुनावी सभा में बोलते हुए केजरीवाल ने कहा कि यदि उनका बेटा भी भ्रष्टाचार करेगा तो वे उसे भी जेल भेज देंगे। जनता इसका ये मतलब निकालेगी कि केजरीवाल सरकार में किसी भी तरह के भ्रष्टाचार की कोई भी जगह नहीं है। भ्रष्टाचार को कम करने की दृष्टि से दिल्ली में केजरीवाल सरकार ने कुछ ऐसे कदम ज़रूर उठाए हैं। आम जनता अब घर बैठे ही कई सरकारी काम करवा सकती है जिनके लिए उन्हें दलालों और अधिकारियों को रिश्वत देनी पड़ती थी। मिसाल के तौर पर ड्राइविंग लाइसेंस का घर बैठे ही नवीकरण हो जाना ऐसी ही एक सहूलियत है।
पहले इस काम को करवाने के लिए कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता था। जब काम सीधे तरीक़े से नहीं होता था तो हार कर दलालों की शरण में जाना पड़ता था, परंतु अब ऐसा नहीं है। इसी तरह अब आप अपने घर के जल कनेक्शन में नाम परिवर्तन आदि सेवाओं का लाभ भी घर बैठे करवा सकते हैं। सभी दस्तावेज़ों को अपलोड कर आप समुचित शुल्क देकर ऐसे तमाम कार्यों को आराम से करवा सकते हैं। पहले की तरह आपको किसी सरकारी दफ़्तर या दलाल के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।
दिल्ली के लोक निर्माण विभाग में भी ऐसा ही कुछ बदलाव देखा गया है। पहले के समय में आपको किसी सड़क, फुटपाथ या अन्य लोक निर्माण संबंधित शिकायतों के लिए स्थानीय नेताओं के चक्कर काटने पड़ते थे। हफ़्तों और महीनों की मशक़्क़त के बाद ही सड़क की मरम्मत या नवनिर्माण होते थे। परंतु अब ऐसा नहीं है। यदि आपको दिल्ली के किसी भी कोने में कोई भी सड़क या अन्य लोक निर्माण संबंधित कार्यों कि मरम्मत करवानी हो तो दिल्ली के लोक निर्माण विभाग के कंट्रोल रूम या ऑनलाइन सेवा से आप जगह का विवरण देते हुए शिकायत लिखवाएँ। आपको संबंधित अधिकारी का फ़ोन आएगा और वो आपसे शिकायत की पुष्टि करेगा। अच्छी बात यह है कि मरम्मत होने के बाद आपके साथ उस जगह हुए कार्य कि फ़ोटो भी शेयर की जाएगी। यह एक अच्छी पहल है जिसके लिये दिल्ली सरकार बधाई योग्य है।
परंतु ऐसा नहीं है कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार में सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा है। भ्रष्टाचार को ख़त्म करने का दावा कर दिल्ली के मुख्यमंत्री बने केजरीवाल को शायद इस बात का अंदाज़ा नहीं है कि दिल्ली सरकार के दफ़्तरों में भ्रष्टाचार अभी पूरी तरह से ख़त्म नहीं हुआ। आम जनता आज भी भ्रष्ट अधिकारियों के दबाव के चलते अपने जायज़ कामों को करवाने के लिए ‘सुविधा शुल्क’ देने पर मजबूर है। ताज़ा उदाहरण दिल्ली के दक्षिण ज़िले के राजस्व विभाग के एक अधिकारी से संबंधित है। सूत्रों के अनुसार यह अधिकारी इतना प्रभावशाली है कि यदि इसके वरिष्ठ अधिकारी लंबित पड़े ऑनलाइन आवेदनों को निपटाने का दबाव डालते हैं तो वो इन वरिष्ठ अधिकारियों का तबादला तक करवा देता है।
ग़ौरतलब है कि दिल्ली के राजस्व विभाग की वेबसाइट पर विभिन्न कार्यों की सूची दी गई है जिन्हें आप ऑनलाइन आवेदन के माध्यम से करवा सकते हैं। इन कार्यों की सूची के साथ ही एक कॉलम में इन कार्यों को करने की अधिकतम समय सीमा भी दी गई है। उदाहरण के तौर पर यदि किसी आवेदक को ज़मीन बेचने या ख़रीदने से पहले ‘भूमि की स्थिति रिपोर्ट’ चाहिए तो उसकी समय सीमा 14 दिन है। आम जनता इसे देख कर उम्मीद कर बैठती है कि भूमि की स्थिति रिपोर्ट उनको हर हाल में 14 दिनों के भीतर मिल जाएगी। मिलनी भी चाहिए क्योंकि सरकार का दावा है कि सभी कुछ पारदर्शिता से किया जाता है। ऑनलाइन होने के कारण वरिष्ठ अधिकारी इसकी निगरानी भी कर लेते हैं। परंतु दिल्ली के दक्षिण ज़िले की बात करें तो यहाँ ऐसा नहीं है।
एक शिकायत के माध्यम से पता चला है कि दिल्ली के दक्षिण ज़िले के राजस्व विभाग में नवम्बर 2022 में जिन लोगों ने भूमि की स्थिति कि रिपोर्ट के लिए आवेदन किया था उन्हें अभी तक यह रिपोर्ट नहीं दी गई। जिस कारण सरकार को राजस्व का भारी नुक़सान भी सहना पड़ रहा है। क्योंकि भूमि की स्थिति रिपोर्ट के बाद ही लोग रजिस्ट्री करवा सकते हैं, जिसमें उन्हें सरकार को स्टाम्प ड्यूटी देनी पड़ती है। जाँच करने पर यह पता चला कि दक्षिण ज़िले के इस अधिकारी ने नवम्बर 2022 से फ़रवरी 2023 तक के लगभग 100 से अधिक आवेदनों को रोक रखा है। सूत्रों ने बताया कि इस अधिकारी से इन आवेदनों को रोकने का कारण पूछे जाने पर एक वरिष्ठ महिला आईएएस अधिकारी का तबादला तक करवा दिया गया।
मुख्यमंत्री केजरीवाल यदि भ्रष्टाचार में लिप्त होने पर अपने बेटे को गिरफ़्तार करवाने की बात खुले मंच से करते हैं तो अपनी सरकार में ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों पर नकेल क्यों नहीं कस पा रहे? क्या भ्रष्टाचार की शिकायतों पर केजरीवाल को सरकारी दफ़्तरों में औचक निरीक्षण नहीं करवाना चाहिए? दिल्ली के बाद पंजाब में सरकार बनाने के बाद यदि केजरीवाल की आम आदमी पार्टी देश भर में अपना अस्तित्व बनाना चाहती है तो उन्हें कुछ ऐसे अनूठे कदम उठाने होंगे जिससे उन्हें देश भर में पंख पसारने से कोई नहीं रोक पाएगा।