जावेद अख़्तर पांच साल बाद पाकिस्तान गए थे। फ़ैज़ फ़ेस्टिवल के अपने आखिरी सत्र में उन्होंने कहा कि मैं चाहूंगा कि अगली बार मुझे बुलाया जाए तो कम से कम एक हफ्ते के लिए बुलाएं, क्योंकि दोस्ती और प्यार जब तक समझ में आए तब तक लौटने का वक़्त हो जाता है। इसी तरह एक सत्र में जावेद अख़्तर से इसरार किया गया कि अगली बार वे पत्नी शबाना, बेटी ज़ोया और बेटे फ़रहान तीनों को साथ लेकर पाकिस्तान आएं। लेकिन क्या अब जावेद वहां अकेले भी जा सकेंगे? फ़ैज़ फ़ेस्टिवल या कोई और उन्हें बुलाने की हिमाकत करेगा?
परदे से उलझती ज़िंदगी
लाहौर में हुए फ़ैज़ फ़ेस्टिवल के जिस सत्र में जावेद अख़्तर को अपनी रचनाएं सुनानी थीं, उसमें उनका पहला शेर था-
ज़हर हो या कि वो मोहब्बत हो,
आज़माना उन्हें बुरा होगा।
झूठी निकली अगर मोहब्बत तो,
ज़हर सच्चा हुआ तो क्या होगा।
इसे सुनाने से पहले जावेद ने कहा, ‘ये यहां मेरा दूसरा दिन है। तो ऐसे ही जब मैं कमरे में बैठा हुआ था तो दो-चार मिसरे एक कतए की शक्ल में निकले हैं। अब अच्छे हैं तो शुक्रिया, और नहीं हैं तो मैंने यहां लिखे थे।‘ इस बात पर उस हॉल में बैठे लोगों ने जोर का ठहाका लगाया। लेकिन शायद भारत और पाकिस्तान के मामले में ज़हर को आज़माने से ज्यादा ख़तरनाक मोहब्बत को आज़माना है। इस बात को जावेद और उनके इस पाकिस्तान दौरे ने फिर साबित किया है। लाहौर में यह सातवां फ़ैज़ फेस्टिवल था। वहां के अल-हमरा आर्ट सेंटर में फ़ैज़ फ़ाउंडेशन ट्रस्ट और लाहौर आर्ट्स काउंसिल ने साझा तौर पर 17 से 19 फरवरी के बीच इसका आयोजन किया। जैसा कि यहां दिल्ली में रेख़्ता वाले समारोह में होता है, वहां भी इस मौके पर नृत्य, संगीत, मुशायरे, परिचर्चा, पुस्तकों के लोकार्पण जैसे कार्यक्रम थे और पुस्तकों की और खाने-पीने की दुकानें यानी एकदम मेले जैसा माहौल था। जावेद अख़्तर वहां कई सत्रों में मौजूद थे और उनके लिए पाकिस्तान के लोगों की दीवानगी हर सत्र में दिखाई दी।
लेकिन उनके भारत लौटने पर इस फेस्टिवल में एक महिला के सवाल पर उनके दिए जवाब का हमारे मीडिया ने जैसा आक्रामक स्वागत किया उसके बाद लाहौर में उनके लिए बार-बार बजीं तालियां बेमानी हो गईं। इस लंबे सवाल में पूछा गया था कि भारत के लोग पाकिस्तानियों पर भरोसा क्यों नहीं करते। जावेद ने अपने जवाब में कहा कि आपके यहां मुंबई हमले के आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं। इस पर अगर किसी हिंदुस्तानी के दिल में शिकायत हो तो आपको उसका बुरा नहीं मानना चाहिए। यह बात इतनी सहजता से और समझाते हुए कही गई थी कि किसी को बुरा लगना तो दूर, वहां सब सुनने वाले तालियां पीट रहे थे। मगर जावेद भारत लौटे तो यहां मीडिया ने उनके जवाब पर ऐसा जश्न मनाया कि मोहब्बत और ज़हर का फ़र्क मिट गया। उनकी बात को ‘मुंहतोड़ जवाब’ और ‘घर में घुस कर मारा’ कहा गया जैसे कोई सर्जिकल स्ट्राइक की गई हो। जावेद का कहना है कि पाकिस्तान में बहुत से लोग हैं जो भारत से अच्छे रिश्ते चाहते हैं, और मैंने वही कहा जो सच है, क्योंकि दोस्ती के लिए भी बराबरी और सच्चाई जरूरी है। लेकिन अब कोई भी उनके जवाब को एक सीधी और सरल बात मानने को तैयार नहीं। न यहां, न वहां। हमारे मीडिया के आक्रामक रुख की प्रतिक्रिया में पाकिस्तान में भी कुछ लोग उबले पड़ रहे हैं।
बॉलीवुड की कई फिल्मों में काम कर चुके पाकिस्तानी अभिनेता व गायक अली ज़फ़र ने फ़ैज फ़ेस्टिवल के बीच ही एक अलग कार्यक्रम में जावेद अख़्तर के सामने उनके लिखे कई फिल्मी गीत गाकर सुनाए थे। तब उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा था कि जावेद अख़्तर का मेज़बान बनना सम्मान की बात थी और मेरा हमेशा से मानना रहा है कि आर्ट और म्यूजिक सरहद के आरपार लोगों को साथ लाने का सबसे अच्छा जरिया हैं। लेकिन दो दिन बाद जब अली ज़फ़र के फ़ैन उन्हें ट्रोल करने लगे तो उन्होंने अपना रुख बदल लिया और लिखा कि उन्हें पता नहीं था कि जावेद अख़्तर ने ऐसा कुछ कहा था और कोई भी पाकिस्तानी अपने देश या उसके लोगों के खिलाफ किसी भी बयान की तारीफ नहीं कर सकता। वहां की एक अभिनेत्री हैं मिशी खान। उन्होंने जावेद को संबोधित करते हुए लिखा कि आप हमारे मेहमान थे, मगर आपने वापसी की ज्यादा परवाह की और ये शोशा छोड़ दिया ताकि भारत में आपकी तारीफ़ हो। इसी तरह वहां के अभिनेता एजाज असलम ने ट्वीट किया कि जावेद अख्तर के दिल में इतनी नफ़रत है तो उन्हें यहां नहीं आना चाहिए था। उन्होंने यह भी लिखा कि आपके इतना कुछ कहने के बावजूद हमने आपको सुरक्षित जाने दिया। पाक अभिनेत्री सबूर अली इंस्टाग्राम पर कहती हैं कि कोई अपने घर में आकर बेइज्जत करके जा रहा है और उस पर खुशी से शोर मचाया जा रहा है। कितने शर्म की बात है। ये कैसे पढ़े-लिखे जाहिल लोग हैं।
यह सब असल में ‘घर में घुस कर मारा’ वाले रवैये की प्रतिक्रिया है। इस बार जावेद अख़्तर पांच साल बाद पाकिस्तान गए थे। फ़ैज़ फ़ेस्टिवल के अपने आखिरी सत्र में उन्होंने कहा कि मैं चाहूंगा कि अगली बार मुझे बुलाया जाए तो कम से कम एक हफ्ते के लिए बुलाएं, क्योंकि दोस्ती और प्यार जब तक समझ में आए तब तक लौटने का वक़्त हो जाता है। इसी तरह एक सत्र में जावेद अख़्तर से इसरार किया गया कि अगली बार वे पत्नी शबाना, बेटी ज़ोया और बेटे फ़रहान तीनों को साथ लेकर पाकिस्तान आएं। लेकिन क्या अब जावेद वहां अकेले भी जा सकेंगे? फ़ैज़ फ़ेस्टिवल या कोई और उन्हें बुलाने की हिमाकत करेगा? हाल में उन्होंने एक चैनल पर पाकिस्तान के जन्म को ही गलत बता कर शायद इस बात को और पक्का कर दिया है। फिर भी, जावेद अख़्तर में यह खूबी है कि जो वे मानते हैं उसे कहने में हिचकते नहीं हैं। यहां भी नहीं हिचकते, पाकिस्तान में भी नहीं हिचके।