पुतिन को अपने देश में पूर्ण समर्थन प्राप्त है और कोई कारण नहीं कि क्रेमलिन उन्हें आईसीसी को सौंपे। जब तक वे रूस में हैं तब तक वे सुरक्षित हैं। दूसरे, उनके खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों के चलते वे यों भी दुनिया में कहीं आ-जा नहीं रहे हैं। वे शायद ही ऐसे किसी देश में जाएंगे जो उन पर मुकदमा चलाए जाने का समर्थक हो।
क्या व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) कटघरे में खड़े होंगे? यह प्रश्न महत्वपूर्ण है क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय (international criminal court) (आईसीसी) ने 17 मार्च को उनके नाम वारंट जारी किया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने यूक्रेन (ukraine) के रूस के कब्जे वाले इलाकों से बच्चों को निर्वासित किया। यह एक युद्ध अपराध है जिस पर आईसीसी (icc) कार्यवाही कर सकता है है। वारंट की बात पहले गुप्त रखी गई परंतु बाद में अदालत ने कहा कि वह उसे सार्वजनिक कर रही है ताकि दुनिया यूक्रेन में हो रहे अपराधों के प्रति जागरूक हो सके।
2022 में रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से ही दुनिया भर के नेता और आम नागरिक यह मांग कर रहे थे कि पुतिन पर मुकदमा चलाया जाए। उनकी गिरफ्तारी के लिए भी दबाव बनाया जा रहा था। यूक्रेन के राष्ट्रपति बोलोडिमिर जेलेंस्की (volodymyr zelensky) ने शांति की पुनर्स्थापना के लिए जो 10 मांगें रखी थीं उनमें शीर्ष रूस नेताओं पर अभियोजन, मुकद्में की मांग शामिल थी। जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना बियरबक उन नेताओं में शामिल हैं जिन्होंने पुतिन पर मुकदमा चलाये जाने की मांग की है। वैश्विकजांचकर्ता यूक्रेन में हैं और आने वाले समय में पुतिन पर चलाए जाने वाले मुकदमे के लिए सुबूत इकट्ठे कर रहे हैं। पुतिन के खिलाफ मामला काफी मजबूत है और इस बात के पर्याप्त प्रमाण हैं कि यूक्रेन में नागरिक मारे गए हैं।
सो क्या संभव हैं कि पुतिन को गिरफ्तार किया जाएगा और उन पर द हेग में मुकदमा चलेगा? इसकी संभावना बहुत कम है। पहली बात तो यह है कि पुतिन को अपने देश में पूर्ण समर्थन प्राप्त है और कोई कारण नहीं कि क्रेमलिन उन्हें आईसीसी को सौंपे। जब तक वे रूस में हैं तब तक वे सुरक्षित हैं। दूसरे, उनके खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों के चलते वे यों भी दुनिया में कहीं आ-जा नहीं रहे हैं। वे शायद ही ऐसे किसी देश में जाएंगे जो उन पर मुकदमा चलाए जाने का समर्थक हो। अब तक उनकी एकमात्र अंतर्राष्ट्रीय यात्रा ईरान की रही है और ईरान मोटे तौर पर पुतिन के रूस जैसा ही देश है। वह शुरू से ही पुतिन के साथ खड़ा रहा है। अतः यह सोचना ही बेकार है कि वह पुतिन को आईसीसी को सौंपने में कोई भूमिका निभाता।
दूसरे, रूस आईसीसी को मान्यता नहीं देता। आईसीसी की स्थापना सन् 2002 में एक अंतर्राष्ट्रीय संधि – रोम स्टेच्यूट (रोम संविधि) – के तहत की गई थी। इसके अंतर्गत प्रत्येक देश को अंतर्राष्ट्रीय अपराधों के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों पर आपराधिक क्षेत्राधिकार दिया गया है। परंतु केवल 123 देशों ने इसे स्वीकार किया है। रूस उन देशों में शामिल है जिनने इस पर दस्तखत नहीं किए हैं। वैसे भी इस संधि को लागू करने के लिए कोई अंतर्राष्ट्रीय पुलिस नहीं है।
इसके अतिरिक्त इस मामले का एक पक्ष यह भी है कि पुतिन पर मानवता के विरूद्ध अपराध का आरोप नहीं लगाया गया है। मानवता के खिलाफ अपराध से आशय है किसी अंतर्राष्ट्रीय युद्ध के दौरान नागरिकों के साथ लूटपाट, बलात्कार आदि। जो सैनिक इस तरह के अपराधों में संलग्न होते हैं उन पर मुकदमा चलाया जा सकता है जैसा कि यूक्रेन में कुछ रूसियों के खिलाफ चलाया भी गया है। सैद्धांतिक तौर पर उनके कमांडरों और राजनैतिक आकाओं को भी जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, परन्तु यह कठिन होता है। यही कारण है कि यूक्रेन और उसके मित्र राष्ट्र चाहते हैं कि पुतिन पर बेजा हमला करने का आरोप लगाया जाए। किसी देश पर हमला करने के लिए उसके राजनैतिक नेतृत्व को दोषी ठहराया जा सकता है। परंतु इस तरह के अपराधों के मामले में दुनिया में अभियोजन के अब तक केवल दो उदहारण हैं। पहला था न्युरेमबर्ग और दूसरा टोक्यो। ये दोनों ही मुकदमे द्वितीय विश्वयुद्ध में इन अपराधों के शिकार हुए देशों की मांग पर चलाये गए थे। और इन देशों की सरकारें अमरीका और उसके मित्र राष्ट्रों के नियंत्रण में थीं।
जहां तक युद्ध का सवाल है, वह चलता रहेगा। क्रेमलिन ने कहा है कि रूसी सेना ने यूक्रेन में किसी प्रकार के कोई अत्याचार नहीं किए हैं और पुतिन के प्रवक्ता ने आईसीसी के निर्णय को बेबुनियाद और अस्वीकार्य बताया है। हो सकता है पुतिन अब और आक्रामक हो जाएं। उन्हें रोकने वाला कोई नहीं है। हो सकता है आज से 20 साल बाद पुतिन पर मुकदमा चले परंतु यह तभी होगा जब या तो रूसी जनता पुतिन के खिलाफ विद्रोह कर दें और पुतिन देश छोड़कर भागने के लिए मजबूर हो जाएं या रूस पर कोई अन्य देश या कई देश मिलकर आक्रमण कर दें। जब तक यह नहीं होता तब तक पुतिन को उनके किए की सजा दिलाना संभव नहीं होगा।
(कापीः अमरीश हरदेनिया)