अगर सरकारें कुछ ऐसी पहल करें, जिनसे जनता को राहत मिले, तो उसके समर्थक उसे बचाए रखने में अपना हित समझने लगते हैँ। साचेंज सरकार ने न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने से लेकर कई खास काम अपने कार्यकाल में किए। कोरोना काल में उसने कुछ अनोखी योजनाएं लागू कीं।
स्पेन में रविवार को हुए आम चुनाव की पृष्ठभूमि ऐसी थी कि पांच दशक में वहां पहली धुर दक्षिणपंथी पार्टी के सत्ता में हिस्सेदार बनने की चर्चाएं लगातार हावी रहीं। ढाई महीने पहले देश में हुए स्थानीय चुनावों में 12 में से नौ क्षेत्रों में दक्षिणपंथी पीपुल्स पार्टी (पीपी) और धुर दक्षिणपंथी वॉक्स पार्टी को भारी कामयाबी मिली। इससे हिले सोशलिस्ट प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज ने साल भर पहले संसदीय चुनाव कराने का फैसला कर लिया। अब आए चुनाव नतीजों से साफ है कि उनका ये दांव कामयाब रहा। विपक्षी कंजरवेटिव पीपी हालांकि अपनी सीटें बढ़ाने में सफल रही, लेकिन वह बहुमत से बहुत दूर रह गई। संभावना जताई गई थी कि पीपी को अगर अपना बहुमत नहीं मिला, तो वॉक्स पार्टी के साथ मिलकर सरकार बनाने की स्थिति में वह होगी। लेकिन ये सूरत भी नहीं बनी है, क्योंकि 2019 के चुनाव की तुलना में वॉक्स पार्टी की सीटों और वोट प्रतिशत में काफी गिरावट आ गई है।
दूसरी तरफ सोशलिस्ट पार्टी को दो ज्यादा सीटें मिलीं, जबकि उसकी सहयोगी वामपंथी सुमार पार्टी अपनी 31 सीटों की रक्षा करने में सफल रही। कुछ छोटे वामपंथी दलों का समर्थन सोशलिस्ट पार्टी को मिलने की संभावना है, जिससे 350 सदस्यीय सदन में उसकी 172 सीटें हो जाएंगी। अगर साचेंज पांच सीटें हासिल करने वाली कैटोलिनिया राज्य की एक अलगाववादी पार्टी को सदन में मतदान से गैर-हाजिर रहने पर मनाने में सफल हो गए, तो संभव है कि वे प्रधानमंत्री पद पर लौट आएं। सबक यह है कि अगर सरकारें कुछ ऐसी पहल करें, जिनसे जनता को राहत मिले, तो उसके समर्थक उसे बचाए रखने में अपना हित समझने लगते हैँ। सोशलिस्ट-सुमार गठबंधन सरकार ने न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने से लेकर जन-कल्याण के कई खास काम अपने कार्यकाल में किए। कोरोना काल में उसने लोगों को राहत देने की कुछ अनोखी योजनाएं लागू कीं। इसके अलावा धुर दक्षिणपंथ का भय दिखाने की उनकी चुनावी रणनीति भी प्रभावशाली रही। नतीजा यह है कि जिस समय पूरे यूरोप में धुर दक्षिणपंथ का फैलाव हो रहा है, स्पेन के मतदाताओं ने उसे एक हद से आगे नहीं बढ़ने दिया है।