मध्य यूरोपीय देश स्लोवाकिया के चुनाव में ऐसी पार्टी को सर्वाधिक समर्थन मिला, जिसका एजेंडा यूक्रेन की मदद रोकना है। चुनाव में सबसे बड़े दल के रूप में उभरने के बाद पार्टी नेता रॉबर्ट फिसो ने तो यहां तक कह दिया कि इस युद्ध के लिए रूस दोषी नहीं है।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदीमीर जेलेन्स्की को पिछले महीने अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान यह अहसास जरूर हुआ होगा कि रूस के खिलाफ युद्ध में उनके देश को समर्थन देने के लिए वहां उत्साह अब काफी घट चुका है। हालात यहां तक हो गए कि रिपब्लिकन बहुमत वाले हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव ने सदन को संबोधित करने के जेलेन्स्की के अनुरोध को ठुकरा दिया। अब तो वहां रिपब्लिकन पार्टी के धुर दक्षिणपंथी सदस्य यूक्रेन को दी जा रही आर्थिक मदद को रुकवाने के लिए बिल लाने तक की बात कर रहे हैं। उधर यूरोप में भी हालात बेहतर नहीं हैं। मध्य यूरोपीय देश स्लोवाकिया के चुनाव में ऐसी पार्टी को सर्वाधिक समर्थन मिला, जिसका एजेंडा यूक्रेन की मदद रोकना है। चुनाव में सबसे बड़े दल के रूप में उभरने के बाद पार्टी नेता रॉबर्ट फिसो ने तो यहां तक कह दिया कि इस युद्ध के लिए रूस दोषी नहीं है। उधर पूर्वी यूरोपीय देश पोलैंड में 15 अक्टूबर को संसदीय चुनाव होने वाला है। देश के मूड को देखते हुए सत्ताधारी लॉ एंड जस्टिस पार्टी को भी यूक्रेन के खिलाफ बयान देने पड़ रहे हैं, जबकि वर्तमान सरकार ने आरंभ में रूस के खिलाफ आक्रामक रुख अपना रखा था। विपक्षी पार्टी तो खुलेआम यूक्रेन की किसी प्रकार की मदद करने के खिलाफ है।
इसी तरह भावनाएं फैलने की खबर बाकी यूरोपीय देशों से भी लगातार आ रही है। स्लोवाकिया में फिसो की स्लोवाक सोशल डेमोक्रेसी पार्टी ने वादा किया था कि चुनाव जीतने पर वह यूक्रेन को दी जाने वाली सैन्य मदद रोक देगी। वहां यूक्रेन समर्थकों की उम्मीद अब इस पर टिकी है कि पूर्ण बहुमत ना मिलने के कारण अभी फिसो को गठबंधन की कई मुश्किल वार्ताओं से गुजरना होगा। इसके बावजूद चुनाव नतीजे ने यह साफ कर दिया है कि स्लोवाकिया में आम लोग युद्ध को लेकर उत्साहित नहीं हैं। स्लोवाकिया यूरोपियन यूनियन और नाटो दोनों का सदस्य है। इसलिए वहां के चुनाव नतीजे पर दुनिया भर की नजर थी। इससे संकेत यह मिला कि यूक्रेन युद्ध के कारण यूरोप में आम जन की बढ़ी मुश्किलें अब जनमत को प्रभावित करने लगी हैं।