delhi railway station stampede : महापर्व महाकुंभ को जन-भावनाओं के अनियंत्रित उभार का अवसर बना दिया गया है। नतीजतन, प्रयागराज जाने का रेला चल पड़ा। जबकि उसे संभालने के लिए जिस की प्रशासनिक चुस्ती और संवेदनशीलता की जरूरत थी, उसका पूरा अभाव दिखा है।
राष्ट्रीय राजधानी के प्रमुख रेलवे स्टेशन पर भगदड़ से बड़ी संख्या में लोगों की मौत की घटना को राजनीतिक और प्रशासनिक बदइंतजामी की इंतहा के अलावा और कुछ नहीं कहा जा सकता।
राजनीतिक इसलिए कि इस बार विशेष सुनियोजित प्रचार परियोजना के जरिए आस्था के महापर्व महाकुंभ को जन-भावनाओं के अनियंत्रित उभार के अवसर में तब्दील कर दिया गया है। (delhi railway station stampede)
नतीजा यह हुआ कि देश भर से प्रयागराज जाने का रेला चल पड़ा। जबकि उसे संभालने और यात्रा को सुविधाजनक संपन्न कराने के लिए जिस की प्रशासनिक चुस्ती और संवेदनशीलता की जरूरत थी, उसका पूरा अभाव दिखा है।
नतीजा कई जगहों पर भगदड़, मौत, जख्म और हाय-तौबा के रूप में सामने आया है। शनिवार को ही, जिस रात नई दिल्ली स्टेशन पर भगदड़ मची (delhi railway station stampede)
छत्तीसगढ़ से कुंभ यात्रियों को लेकर जा रही बस की मिर्जापुर- प्रयागराज हाईवे पर कार से हुई टक्कर में दस यात्री मर गए और 20 से ज्यादा घायल हो गए। मौनी अमावश्या पर हुई महा-त्रासदी ने मन पर जो जख्म छोड़े, वे अभी तक नहीं भरे हैं।
also read: हादसे की पुष्टि पीएम ही करेंगे!
प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल कायम (delhi railway station stampede)
रेलवे स्टेशनों पर अफरातफरी, ट्रेन डिब्बों पर पथराव और अमानवीय परिस्थितियों में यात्रा की मिसालें तो भरी-पड़ी हैं।
उधर वीवीआईपी लोगों ने जिस सुविधा से स्नान किया, उसके विपरीत आम श्रद्धालुओं के हाल की तुलना की जाए, तो इसे धार्मिक अवसर पर भेदभाव का उदाहरण ही कहा जाएगा। (delhi railway station stampede
यह तो गनीमत है कि आम श्रद्धालु महाकुंभ जाने की भावपूर्णता में सराबोर रहे हैं कि उन्होंने ऐसी बदइंतजामियों के लिए उत्तरदायित्व का प्रश्न नहीं उठाया है।
नतीजतन तमाम तरह के हादसों को स्थानीय जांच या कार्रवाई की खानापूर्ति करके निपटा दिया गया है। इसके लिए जिस बड़े स्तर पर राजनीतिक एवं प्रशासनिक जिम्मेदारी तय होनी चाहिए, उसका सवाल किसी हलके से नहीं उठा है।
अनुमान लगाया जा सकता है कि नई दिल्ली स्टेशन की दुर्घटना का हश्र उससे अलग नहीं होगा। यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। महाकुंभ सदियों से श्रद्धा एवं धार्मिक विश्वास को जताने का अवसर रहा है।
मगर इस बार इसमें राजनीतिक तत्व भी जोड़ा गया। माहौल बनाया गया कि जो महाकुंभ नहीं गया, उसका जीवन व्यर्थ है। उसी का नतीजा ये दुखद घटनाएं हैं। (delhi railway station stampede)