केआईआईटी मामले को परिपक्वता से संभालने की जरूरत थी। ऐसा ना करने का नतीजा है कि ये मामला नेपाल में भी मुद्दा बन गया है। वहां के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अपने दो राजनयिकों को भुवनेश्वर पहुंचने को कहा है।
भुवनेश्वर स्थित कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रीयल टेक्नोलॉजी (केआईआईटी) की नेपाली छात्रा प्रकृति की आत्म हत्या से उठे विवाद पर वहां के प्रशासन ने जैसा असंवेदनशील रुख अपनाया, वह अफसोसनाक है। अपने देश की छात्रा के साथ हुई ऐसी घटना पर नेपाली छात्रों में आक्रोश पैदा हुआ, तो उससे परिपक्वता से संभालने की जरूरत थी। ऐसा ना करने का ही नतीजा है कि अब ये मामला नेपाल में भी मुद्दा बन गया है। वहां के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अपने दो राजनयिकों को भुवनेश्वर पहुंचने को कहा है।
नेपाल के राजनयिकों से वहां जाकर छात्रों के सामने दो विकल्प रखने को कहा गया हैः या तो छात्र स्वेच्छा से वहां रहने का निर्णय करें या वे चाहें तो अपने देश लौट सकते हैं, जिसमें नेपाल सरकार उनकी मदद करेगी। यह स्थिति पैदा नहीं होती, अगर 21 वर्षीया प्रकृति की खुदकुशी के बाद सभी नेपाली छात्रों को छात्रावास खाली करने का आदेश नहीं दिया जाता। छात्रों का आरोप है कि एक भारतीय छात्र ने लगातार प्रकृति का शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न किया, जिसकी शिकायत अधिकारियों से की गई थी। बताया गया है कि इस शिकायत को नजरअंदाज कर दिए जाने से पैदा हुई हताशा के कारण ही प्रकृति ने आत्म हत्या की। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद नेपाली छात्रों ने विरोध जताया, तो कॉलेज अधिकारी एवं पुलिस दोनों ने उनके प्रति बेरहमी दिखाई। हॉस्टल से निकाले जाने के बाद छात्र जहां-तहां जाने को मजबूर हो गए।
मामला मीडिया में आया, तब जाकर पुलिस हरकत में आई और आरोपी को गिरफ्तार किया गया। ऐसी घटनाएं ना सिर्फ छात्रों की सुरक्षा एवं मानवधिकारों की रक्षा संबंधी सवाल उठाती हैं, बल्कि यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि आज के दौर में शिक्षा बड़ा कारोबार है, जिसमें विदेशी छात्रों प्रमुख ग्राहक होते हैं। माहौल खराब होने का मतलब देश की बदनामी होगी। उससे भारत आने से पहले विदेशी छात्र अनेक बार सोचने को मजबूर होंगे। वैसे ही ये धारणा बनती चली गई है कि भारत में हर प्रकार का द्वेष बढ़ रहा है, जिससे सामाजिक सद्भाव दबाव में है। केआईआईटी जैसी घटनाएं ऐसी सोच को और मजबूत करती हैँ।