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पश्चिमी खेमे में फूट?

यूरोपीय राजनयिक परेशान हैं। उनके मुताबिक अपने मौजूदा रुख से पश्चिम ने विकासशील दुनिया में अपना नैतिक बल खो दिया है। ये देश पूछ रहे हैं कि जो दलील पश्चिम यूक्रेन के मामले में दे रहा था, गाज़ा में उनका आचरण उसके विपरीत क्यों है?

हमास के हमलों के बाद अमेरिका के जो बाइडेन प्रशासन ने फिलस्तीन विवाद में इजराइल को संपूर्ण समर्थन देने की नीति अपनाई है। जी-7 के सदस्य देशों के अलावा ज्यादातर यूरोपीय सरकारें भी अपने चिर-परिचित स्वभाव के मुताबिक बिना कोई सवाल उठाए अमेरिका के पीछे चली हैं। उन्होंने गाज़ा में इजराइल की अंधाधुंध कार्रवाइयों की कोई ठोस आलोचना नहीं की है। लेकिन अब संकेत हैं कि इस रुख पर उन देशों में फूट पड़ रही है। पहले एक ब्रिटिश वित्तीय अखबार ने अपनी एक लंबी रिपोर्ट में बताया कि यूरोपियन यूनियन के राजनयिक इस नीति से परेशान हैं। उन्होंने राय जताई है कि अपने मौजूदा रुख से अमेरिका और यूरोप ने विकासशील दुनिया में अपना नैतिक बल खो दिया है। उनके मुताबिक उन्होंने बड़ी मुश्किल से कई विकासशील देशों को यूक्रेन के मामले में रूस के खिलाफ लामबंद किया था। मगर अब वे देश पूछ रहे हैं कि जो दलील पश्चिम यूक्रेन के मामले में दे रहा था, गाज़ा में उनके उलट आचरण क्यों कर रहा है?

उधर अमेरिका से खबर आई है कि वहां विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी जोश पॉल ने अमेरिकी नीति को नैतिकता के विरुद्ध बताते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इस त्यागपत्र की खबर के साथ ही एक अमेरिकी मीडिया संस्थान ने अपनी एक लंबी रिपोर्ट में बताया कि बाइडेन प्रशासन की इजराइल-फिलस्तीन नीति को लेकर विदेश मंत्रालय के अंदर ‘विद्रोह’ पनप रहा है। बड़ी संख्या में अधिकारी इस नीति से असहमति जताते हुए एक पत्र राष्ट्रपति को भेजने वाले हैं। अमेरिका और यूरोप में लाखों की संख्या में इस नीति के खिलाफ लोग सड़कों पर उतरे हैं। बाइडेन के लिए यह खास चिंता की बात है, क्योंकि उनकी डेमोक्रेटिक पार्टी उदारवादी वोटों पर अधिक आश्रित रहती है। संभवतः इसीलिए उनकी पार्टी के कुछ सांसदों ने इस नीति के खिलाफ सोशल मीडिया पर खुली राय जताई है। रिपब्लिकन पार्टी के सामने इस मुद्दे पर ज्यादा चुनौती नहीं है। कट्टरपंथी यहूदी हमेशा उसके साथ रहते हैं, जबकि इस मामले में भ्रामक रुख अपना कर इस पार्टी के नेता बाइडेन प्रशासन के खिलाफ घेरेबंदी को मजबूत बना रहे हैं।

By NI Editorial

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