chandrababu naidu stalin remarks: वैश्विक अनुभव है कि आर्थिक विकास और महिलाओं के सशक्तीकरण के साथ परिवार छोटा रखने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है। इस परिघटना के कारण दक्षिणी राज्यों में जन्म दर अपेक्षित- प्रति महिला 2.1 संतान से भी ज्यादा घट गई है।
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पहल मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने की
दुर्भाग्यपूर्ण है कि जनसंख्या नीति जैसे बेहद अहम मुद्दों पर अब राज्य अघोषित रूप से अपनी नीति तय करने लगे हैं। मुमकिन है कि इसके लिए देश में मौजूद सियासी हालात जिम्मेदार हों, फिर भी ऐसे प्रश्नों पर नीति का स्वरूप राष्ट्रीय ही होना चाहिए। पहल आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने की। फिर उस बात को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने अधिक स्पष्टता के साथ सामने रखी। नायडू चूंकि केंद्र सत्ताधारी एनडीए का हिस्सा हैं, इसीलिए शायद उन्होंने राज्यवासियों से अधिक बच्चे पैदा करने की अपनी अपील के पीछे के इरादे को अस्पष्ट रखा। स्टालिन के सामने ऐसी कोई बाधा नहीं है, इसलिए उन्होंने दो टूक कहा कि तमिलनाडु का राजनीतिक प्रतिनिधित्व ना घटे, इसलिए आवश्यक है कि राज्यवासी ज्यादा बच्चे पैदा करें।
2026 में लोकसभा सीटों के परिसीमन पर रोक हटेगी
भारत जैसे विकासशील और फिलहाल आबादी घटने की समस्या ना जूझ रहे देश में ऐसी बात आश्चर्यजनक है। बेशक, दक्षिणी राज्यों ने विकास के पैमानों पर देश के बाकी हिस्सों की तुलना बेहतर प्रगति की है। दुनिया भर का अनुभव है कि आर्थिक विकास और महिलाओं के सशक्तीकरण के साथ परिवार छोटा रखने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है। इस परिघटना के कारण दक्षिणी राज्यों में जन्म दर अपेक्षित- प्रति महिला 2.1 संतान से भी ज्यादा घट गई है। दूसरी तरफ उत्तरी राज्यों- खासकर बिहार, यूपी, मध्य प्रदेश आदि में अभी जन्म दर ज्यादा है। मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद केंद्रीय राजकोष से राज्यों को धन हस्तांतरण में आबादी एक प्रमुख कसौटी बन गई है।
उधर 2026 में लोकसभा सीटों के परिसीमन पर लगी रोक हटेगी। तब आबादी के आधार पर राज्यवार सीटों का फिर वितरण हो सकता है। दक्षिणी राज्यों की आशंका सही है कि इससे उनका राजनीतिक वजन घटेगा। मगर ऐसी समस्याओं का समाधान आपसी विश्वास एवं संवाद से निकाला जा सकता है। बेशक, पहल करने की जिम्मेदारी केंद्र की है। बहरहाल, इस समस्या का समाधान राज्यवार जनसंख्या नीति तय करके नहीं हो सकता। उसका पूरे देश के विकास लक्ष्यों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। अतः आवश्यकता जनसंख्या नीति पर राष्ट्रीय बहस की है, जिसमें दक्षिणी राज्यों की बात पर पर्याप्त गौर किया जाना चाहिए।