एआई2 माइक्रोसिस्टम्स एवं अन्य कंपनियों पर लगे प्रतिबंधों का भारत पर क्या असर होगा, इसका भारत सरकार अभी आकलन कर रही है। इस बीच मीडिया में ऐसी खबरें भी आई हैं कि भारत का रूस से कच्चे तेल का आयात नए प्रतिबंधों से प्रभावित होने लगा है।
रूस पर लगे नए पश्चिमी प्रतिबंधों की आंच भारत तक पहुंच गई है। रूस में विपक्षी नेता एलेक्सी नवालनी की मौत और यूक्रेन युद्ध के दो साल पूरा होने के मौके पर अमेरिका और यूरोपियन यूनियन (ईयू) ने रूस और उससे कारोबार कर रही विदेशी कंपनियों पर नए प्रतिबंध लगा दिए। इस बार उन्होंने भारतीय कंपनियों को नहीं बख्शा, जबकि उसके पहले तक आम तौर पर रूस पर लगे प्रतिबंधों से भारत अछूता रहा था। ईयू के ताजा प्रतिबंधों के दायरे में सेमीकंडक्टर अनुसंधान से जुड़ी चेन्नई स्थित कंपनी एआई2 माइक्रोसिस्टम्स भी आई है।
इस कंपनी की भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना तकनीक मंत्रालय के साथ सहभागिता है। इस रूप में कहा जा सकता है कि परोक्ष रूप से ईयू के प्रतिबंधों के दायरे में भारत सरकार भी आ गई है। एआई2 माइक्रोसिस्टम्स के रूसी कंपनियों के साथ कारोबारी रिश्ते बताए जाते हैं। एक अखबार की खबर के मुताबिक उस पर एवं अन्य कंपनियों पर लगे प्रतिबंधों का भारत पर क्या असर होगा, इसका भारत सरकार अभी आकलन कर रही है।
इस बीच मीडिया में ऐसी खबरें भी आई हैं कि भारत का रूस से कच्चे तेल का आयात नए प्रतिबंधों से प्रभावित होने लगा है। गुजरे दो साल में रूस के सस्ते कच्चा तेल को शोधित कर विश्व बाजार में बेचना कई भारतीय कंपनियों के लिए बेहद लाभकारी साबित हुआ। लेकिन आम अंदाजा है कि 2024 में इसे जारी रख पाना कठिन हो जाएगा। तो अब बड़ी तस्वीर यह उभरती है कि भू-राजनीतिक कारणों से पश्चिमी देश अब तक भारत के साथ जो खास रियायत बरत रहे थे, वह दौर अब गुजर रहा है।
हाल में अन्य मामलों में भी दिखा है कि पश्चिमी देशों का भारत के प्रति रुख अचानक सख्त होने लगा है। संभवतः इसका कारण यह हो सकता है कि भू-राजनीतिक टकराव में अपने हक में भारत जिस भूमिका की उम्मीद उन्होंने बांधी थी, भारत ने उसके मुताबिक चलने से इनकार कर दिया। भारत संभवतः अपने हितों को साधने के लिए पश्चिम के करीब जा रहा था। इन दोनों मकसदों में टकराव का असर अब देखने को मिल रहा है।
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