बाइडेन ने कमला हैरिस को अपना समर्थन देने की घोषणा की है। लेकिन अभी इस बारे में बहुत दांव खेले जाने हैं। बराक ओबामा ने यह कह कर अनिश्चिय बढ़ा दिया है कि अगले महीने डेमोक्रेटिक पार्टी अपने अधिवेशन में उपयुक्त उम्मीदवार चुनेगी।
जो बाइडेन ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से खुद को अलग किया, लेकिन यह एलान करने में उन्होंने अत्यधिक देर कर दी। इससे उनकी डेमोक्रेटिक पार्टी ने जो जमीन गंवाई है, उसे अगले 105 दिन में वापस हासिल कर पाना उसके लिए बेहद कठिन होगा। बाइडेन की दिमागी हालत सार्वजनिक पद संभालने लायक नहीं है, यह काफी पहले से जाहिर था। इसके बावजूद बाइडेन फिर चुनाव लड़ने की जिद पर कायम रहे। डेमोक्रेटिक पार्टी ऐस्टैबलिशमेंट ने भी उन पर ही दांव लगाए रखा। लेकिन डॉनल्ड ट्रंप के खिलाफ सबसे अच्छा दांव होने का यह मुखौटा 27 जून को गिर गया, जब बाइडेन टीवी बहस में ट्रंप के मुखातिब हुए। हैरतअंगेज है कि उसके बाद भी बाइडेन ने यह फैसला लेने में तीन हफ्तों से ज्यादा समय लगा दिया। इस बीच ट्रंप का कारवां मजबूत होता गया है। एक तरफ रिपब्लिकन पार्टी निर्विवाद ढंग से उन्हें उम्मीदवार चुन चुकी है, जबकि डेमोक्रेटिक पार्टी के सामने उनके मुकाबिल चेहरा चुनने की कड़ी चुनौती नए सिरे से आ खड़ी हुई है। बाइडेन ने जाते-जाते उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस को अपना समर्थन देने की घोषणा की।
लेकिन अभी इस बारे में बहुत दांव खेले जाने हैं। डेमोक्रेटिक पार्टी में आज भी रसूख रखने वाले पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने यह कह कर अनिश्चिय बढ़ा दिया है कि अगले महीने डेमोक्रेटिक पार्टी अपने अधिवेशन में उपयुक्त उम्मीदवार चुनेगी। संभावतः तब तक कई नाम उभरेंगे। बहुत सारे दांव-पेच खेले जाएंगे। जबकि इस बीच ट्रंप अपने अंदाज में डेमोक्रेट नेताओं का मखौल उड़ाते हुए अपने समर्थकों को गोलबंद करने में लगे रहेंगे। कुल मिला कर 2024 के राष्ट्रपति चुनाव का मुकाबला काफी असमान हो गया है। ऐसे में कोई चमत्कार और करिश्माई विकल्प ही इसमें फिर से मुकाबले का अहसास पैदा करा सकता है। इसलिए दुनिया अब अमेरिका में ट्रंप शासन की वापसी के लिए खुद को तैयार कर रही है। बहरहाल, पांच नवंबर को अगर सचमुच यही नतीजा आता है, तो उसकी काफी जिम्मेदारी डेमोक्रेटिक पार्टी और जो बाइडेन के माथे पर होगी। आखिर उन्होंने ही 2020 में “ट्रंपवाद” देश और दुनिया को बचाने के मिले मौके को इस तरह गंवा दिया है।