खबरों में बताया गया है कि अमेरिका भारत को समुद्री और आसमानी गार्जियन ड्रोन्स आपूर्ति तब तक नहीं करेगा, जब तक भारत में गुरपतवंत सिंह पन्नूं मामले की “सार्थक जांच” नहीं होती है। यह दोनों देशों के रिश्तों में पड़े पेच का संकेत है।
अमेरिका ने भारत को समुद्री और आसमानी गार्जियन ड्रोन्स की सप्लाई रोक दी है। बताया गया है कि यह आपूर्ति तब तक नहीं होगी, जब तक भारत में गुरपतवंत सिंह पन्नूं मामले की “सार्थक जांच” नहीं होती है। यह खबर एक वेबसाइट ने दी कि अमेरिकी कांग्रेस (संसद) के सदस्यों ने ड्रोन करार की मंजूरी रोक रखी है। इस बारे में जब मीडियाकर्मियों ने संपर्क किया, तो नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास ने कूटनीतिक भाषा में जवाब दिया कि जो बाइडेन प्रशासन कांग्रेस के साथ इस बारे में कांग्रेस से संवाद कायम रखे हुए है। तीन बिलियन डॉलर का यह ड्रोन करार पिछले जून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बहुचर्चित वॉशिंगटन यात्रा के दौरान हुआ था। आलोचकों ने तब कहा था कि इन ड्रोन्स से अमेरिका की इंडो-पैसिफिक रणनीति को बल मिलेगा, जिसकी कीमत भारत चुका रहा है। बहरहाल, मुद्दे की बात यह है कि जिस ड्रोन सौदे को खुद अमेरिका के लिए फायदेमंद समझा गया, अमेरिकी कांग्रेस ने उसे अब तक हरी झंडी नहीं दी है। यह संकेत है कि अमेरिका में पन्नू मामले को कितनी गंभीरता से लिया गया है।
अमेरिका में पन्नू की हत्या की कथित कोशिश से पहले एक अन्य खालिस्तानी उग्रवादी हरदीप सिंह निज्जर की कनाडा में हत्या का विवाद सामने आया था। जब कनाडा ने निज्जर हत्याकांड में भारत के हाथ का आरोप लगाया, तो भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दिखाई थी। मगर पन्नू के मामले में भारत ने जांच का एलान किया। बल्कि संभवतः अमेरिकी दबाव के कारण ही निज्जर मामले में भी भारत ने अपना रुख नरम किया। पिछले हफ्ते कनाडा की निर्वतमान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जोडी थॉमस ने एक इंटरव्यू में कहा था कि अब भारत निज्जर हत्याकांड की जांच में पूरा सहयोग कर रहा है। भारत ने इन दोनों मामलों में अपनी कोई भूमिका होने से साफ इनकार किया है। इसके बावजूद अमेरिका संतुष्ट नहीं है। संभवतः वह भारत में पन्नू मामले की चल रही जांच की प्रगति से भी संतुष्ट नहीं है। इस कारण एक महत्त्वपूर्ण करार में रुकावट डाल दी गई है। यह दोनों देशों के रिश्तों में पड़े पेच का संकेत है।