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भारत के चमकते अरबपति

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जब मध्य वर्ग के ढहने और उपभोक्ता बाजार के मंद होने की चर्चा चिंता का कारण बनी हुई है, तभी भारतीय अरबपतियों का धन तेज रफ्तार से बढ़ा है। वित्त वर्ष 2023-24 में उनके पास मौजूद धन में 42 फीसदी इजाफा हुआ।

भारत में कम-से-कम एक तबके की चमक जरूर बढ़ रही है। वे भारत के उद्योगपति हैं। जिस समय देश में मध्य वर्ग के ढहने और उपभोक्ता बाजार के मंद होने की चर्चा चिंता का कारण बनी हुई है, तभी अरबपतियों का धन तेज रफ्तार से बढ़ रहा है। वित्त वर्ष 2023-24 में उनके पास मौजूद धन में 42 फीसदी इजाफा हुआ। रकम में देखें, तो यह बढ़ोतरी 905 बिलियन डॉलर की रही। उद्योगपतियों की संख्या के लिहाज से भारत पहले ही दुनिया में तीसरे नंबर पर आ चुका है। चूंकि चीन में विषमता घटाने की नीति पर सख्त अमल के कारण अरबपतियों की संख्या और उनका सकल धन घट रहा है, इसलिए संभव है कि कुछ वर्षों में भारत इस सूची में अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर आ जाए।

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दस साल के आंकड़ों पर गौर करें, तो भारत में उद्योगपतियों की संख्या दो गुना होकर 185 तक पहुंच चुकी है, जबकि उनका कुल धन लगभग पौने तीन गुना (सही आंकड़ा 263 प्रतिशत है) बढ़ गया है। स्विस बैंक यूबीएस हर वर्ष अरबपतियों के बारे में रिपोर्ट जारी करता है। उसकी ताजा रिपोर्ट के मुताबिक इस समय वैश्विक रुझान अरबपतियों का धन अपेक्षाकृत घटने का है, लेकिन भारतीय अरबपति इस रुझान को मात देने में कामयाब हैं। पिछले वित्त वर्ष में अरबपतियों के धन के लिहाज से टॉप पांच देशों में अमेरिका, जर्मनी और ब्रिटेन में भी अरबपतियों का कुल धन बढ़ा, मगर सबसे ज्यादा वृद्धि भारत में दर्ज हुई।

सिर्फ चीन ऐसा देश रहा, जहां इस वर्ग के कुल धन में गिरावट आई। अब इन आंकड़ों पर देश के लोग चाहें, तो फख्र कर सकते हैं! किसी भी क्षेत्र में खास कर धनी देशों से भारत के आगे निकलने की खबर पर आम तौर पर अपने लोग खुश होते नजर आते हैं। मगर पेच यह है कि अरबपतियों और उनसे सीधे तौर पर जुड़े छोटे से तबके की खुशहाली अन्य वर्गों की बदहाली की कीमत पर हासिल हो रही है। इसलिए कि अरबपति उत्पादक अर्थव्यवस्था में निवेश के बजाय पैसा से पैसा बढ़ाने और तफरीह पर धन लुटाने में ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं।

By NI Editorial

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