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ये अनावश्यक चर्चा है

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अमेरिकी राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में विदेशी राजनेताओं को आमंत्रित करने की परंपरा नहीं है। ट्रंप ने ये परंपरा तोड़ी है। उन्होंने इसे अपने सहमना नेताओं को आमंत्रित कर दुनिया में नए किस्म के ध्रुवीकरण का संदेश देने का मौका बनाया है।

सोशल मीडिया से लेकर मेनस्ट्रीम मीडिया तक के हिस्से में एक अनावश्यक चर्चा छिड़ी रही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में क्यों नहीं बुलाया गया। पिछले महीने के आखिर में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिका की यात्रा की, तो इस खेमे में कयास लगाए कि वे वहां मोदी के लिए आमंत्रण की लॉबिंग करने गए हैं। अब स्पष्ट हो गया है कि ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में जयशंकर भारत की नुमाइंदगी करेंगे। तो कयास इसको लेकर छिड़ा है कि उन्हें व्यक्तिगत आमंत्रण मिला या कूटनीतिक आमंत्रण के आधार पर उन्होंने जाने का निर्णय ले लिया है। वैसे यह ध्यान में रखना चाहिए कि अमेरिकी राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में विदेशी राजनेताओं को आमंत्रित करने की परंपरा नहीं रही है। आमंत्रण वॉशिंगटन स्थित कूटनीतिक मिशनों को भेजा जाता रहा है और वहीं तैनात अधिकारी इसमें भागीदारी करते रहे हैं।

इस बार ट्रंप की टीम ने ये परंपरा तोड़ी है। ट्रंप ने इसे अपने सहमना नेताओं को आमंत्रित कर दुनिया में नए किस्म के ध्रुवीकरण का संदेश देने का मौका बनाया है। अपने को अराजक-पूंजीवादी कहने वाले और धुर दक्षिणपंथी खेमे से जुड़े नेताओं को उन्होंने बुलाया है। उनमें अर्जेंटीना के राष्ट्रपति हैवियर मिलेय, इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मिलोनी, हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ऑर्बन, और यहां तक कि फ्रांस के अति धुर-दक्षिणपंथी नेता एरिक जेमॉ शामिल हैं। जो नेता बुलाए गए हैं, उनके राजनीतिक-आर्थिक रुझान के साथ-साथ धार्मिक-सामाजिक नजरिये में भी समानता है।

स्पष्टतः ट्रंप की टीम ने नेताओं की वैश्विक हैसियत के बजाय उनकी राजनीति और पहचान को अहमियत दी है। इनके बीच अपवाद चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग हैं, जिन्हें संभवतः रणनीतिक दांव के तौर पर आमंत्रित किया गया। जैसी संभावना थी, शी ने न्योता मंजूर नहीं किया। ये भी गौरतलब है कि जी-7 देशों के कई नेता नहीं बुलाए गए हैं। इस संदर्भ के बीच, भारत को किस स्तर का आमंत्रण मिला, ये बात बहुत मायने नहीं रखती। फिर भी मोदी सरकार ने यथासंभव ऊंचा प्रतिनिधि भेजने का फैसला किया है, तो यह उसकी अपनी प्राथमिकता है।

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By NI Editorial

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