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नजरिया परिवर्तन या धमकी?

रेटिंग एजेंसियों का काम यह बताना होता है कि किसी देश या कंपनी में निवेश करना किस हद तक सुरक्षित है। लेकिन वो संभावित राजनीतिक स्थितियों के मद्देनजर नीतियों को पहले से प्रभावित करने की कोशिश करें, तो उसे एक अनावश्यक हस्तक्षेप माना जाएगा।

अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने भारत के बारे में अपना नजरिया ‘स्थायी’ से बेहतर करते हुए ‘सकारात्मक’ कर दिया है। लेकिन उसने दीर्घकालिक या अल्पकालिक निवेश रेटिंग में कोई सुधार नहीं किया है। उसने दीर्घकालिक रेटिंग ‘बीबीबी’ और अल्पकालिक रेटिंग ‘ए-3’ बनाए रखा है। यानी अभी ये एजेंसी मानती है कि भारत के ऋण या सामान्य बाजार में निवेश की स्थितियां जस-की-तस हैं। फिर भी उसने नजरिया बदला है, तो लाजिमी है कि इस पर सवाल उठेंगे। खासकर यह देखते हुए जिस समय लोकसभा चुनाव के परिणामों को लेकर अनिश्चय अपने चरम पर है, रेटिंग एजेंसियों से ऐसे कदम की अपेक्षा नहीं रहती। इसीलिए सवाल उठा है कि यह परिवर्तन एसएंडपी ग्लोबल के किसी ठोस आकलन पर आधारित है, या एक किस्म का सियासी बयान है। एजेंसी को दो टिप्पणियां ऐसे प्रश्न उठाने का आधार उपलब्ध कराती हैं। एजेंसी ने कहा है कि उसकी राय में चुनाव परिणाम चाहे जो हो, भारत में नीतिगत स्थिरता बनी रहेगी। मगर साथ ही चेताया है कि जारी नीतियों को लेकर प्रतिबद्धता में कोई कमी आई, तो वह फिर से अपना नजरिया “सकारात्मक” से “स्थायी” कर देगी।

मतलब यह कि अगली सरकार ने बहुराष्ट्रीय और मोनोपॉली पूंजी को सर्वोच्च प्राथमिकता जारी रखने के बजाय जन-कल्याणकारी योजनाओं पर धन खर्च करने की नीति अपनाई, तो एजेंसी अंतरराष्ट्रीय वित्तीय पूंजी को भारत को लेकर नकारात्मक संदेश देगी। वैसे ही यह अनुमान है कि भाजपा को बहुमत नहीं मिला, तो शेयर बाजारों में भारी गिरावट आएगी। एसएंडपी की चेतावनी है कि उस समय वह अपना नजरिया बदलकर उस प्रक्रिया को और गति देगी, जिससे अगली सरकार पर दबाव बढ़ेगा। रेटिंग एजेंसियों का काम निवेशकों को अपना यह आकलन बताना होता है कि किसी देश या कंपनी में निवेश करना किस हद तक सुरक्षित है। लेकिन वो संभावित राजनीतिक स्थितियों के मद्देनजर नीतियों को पहले से प्रभावित करने की कोशिश करने लगें, तो उसे एक अनावश्यक हस्तक्षेप माना जाएगा। वैसे अपने मूल काम में विफलता के कारण 2008 की मंदी के बाद से इन एजेंसियों की साख काफी क्षीण हो चुकी है, ये बात अवश्य ध्यान में रखी जानी चाहिए।

By NI Editorial

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