आशंका है कि अगले 3-4 वर्षों में चिप के अति उत्पादन के कारण चिप कारोबार में मुनाफा घट सकता है। ऐसे में वे उद्यम ही टिकाऊ होंगे, जो कम लागत में उन्नत चिप का उत्पादन करेंगे। क्रिस मिलर ने इसी संदर्भ में अपनी सलाह पेश की है। chip manufacturing india
भारत सरकार ने बीते हफ्ते एक लाख 26 हजार करोड़ रुपये निवेश की तीन चिप परियोजनाओं को मंजूरी दी। बताया गया है कि इनके लिए भारत सरकार 48,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी देगी। इनमें भारत का पहला सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन प्लांट भी है, जो टाटा ग्रुप एक ताइवानी कंपनी के साथ मिलकर लगाएगा। इसके पहले पिछले साल केंद्र ने अमेरिकी कंपनी माइक्रॉन टेक्नोलॉजी के साथ मिलकर लगाए जाने वाले संयंत्र को मंजूरी दी थी, जिसमें कुल 2.75 बिलियन डॉलर का निवेश होगा।
केंद्र सरकार ने सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए 10 बिलियन डॉलर (76000 करोड़ रुपये) की विशाल सब्सिडी का प्रावधान कर रखा है। इसे भारत की महत्त्वाकांक्षी पहल बताया गया है। लेकिन इस बड़ी योजना को लेकर कुछ सवाल भी उठे हैं। मसलन, विशेषज्ञ और बहुचर्चित किताब चिप वॉर के लेखक क्रिस मिलर ने भारत सरकार को यह सुनिश्चित करने की सलाह दी है कि भारत में लग रहे चिप कारखाने मुनाफा कमा सकने की स्थिति में हों।
साथ ही ये उद्यम चिप विकास में भी योगदान करें। गौरतलब है कि भारत में फैब्रिकेशन यानी चिप उत्पादन के कारखाने लगाए जा रहे हैं। विकास से मतलब चिप तकनीक को उन्नत करने से है, जिसके लिए बहुत बड़े निवेश और महारत की जरूरत पड़ती है। कारखानों के मुनाफे को लेकर प्रश्न इसलिए उठे हैं, क्योंकि कोरोना काल में सप्लाई शृंखला भंग होने से चिप की हुई किल्लत झेलने के बाद दुनिया भर में नए ट्रेंड चिप कारखानों के लिए बड़े पैमाने पर निवेश का है। इसमें सबसे आगे अमेरिका है, लेकिन यूरोप ने भी अपनी महत्त्वाकांक्षी योजना बनाई है।
कौन विश्व गुरू, कौन सी सभ्यता प्रकाश स्तंभ?
चीन के खिलाफ अमेरिका के चिप युद्ध शुरू कर देने के कारण भी इस क्षेत्र में निवेश को उच्च प्राथमिकता मिली हुई है। नतीजतन, आशंका है कि अगले तीन से चार वर्षों में चिप के अति उत्पादन के कारण दुनिया में इस कारोबार में मुनाफा घट सकता है। ऐसे में वे उद्यम ही टिकाऊ होंगे, जो कम लागत की वजह से अपेक्षाकृत सस्ते एवं उन्नत चिप का उत्पादन करेंगे। मिलर ने इसी संदर्भ में अपनी सलाह पेश की है। इस पर समग्रता से विचार किया जाना चाहिए।