नीति आयोग के टास्क फोर्स की रिपोर्ट के आधार पर भारत सरकार ने संसद में कहा था कि उसने लक्ष्य तय किया है कि 2024 के ओलिंपिक खेलों में भारत को 50 पदक मिले। अब आज से 2024 के ओलिंपिक खेल शुरू हो रहे हैं।(Paris Olympics 2024)
Paris Olympics 2024: शुक्रवार से पेरिस में 29वें ओलिंपिक खेल शुरू होंगे, तो स्वाभाविक है कि भारत में लोगों का ध्यान अपने देश के पदक दावेदारों पर होगा। तीन साल पहले टोक्यो ओलिंपिक (2020 के ओलिंपिक खेल कोरोना महामारी के कारण 2021 में हुए) में भारत ने एक स्वर्ण, दो रजत और चार कांस्य पदक जीत कर अब तक का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन किया था। वहां नीरज चोपड़ा, अभिनव बिंद्रा के बाद निजी स्वर्ण पदक जीतने वाले भारत के दूसरे खिलाड़ी बने थे। टोक्यो में मिली कामयाबियों के कारण इस बार भी देश में उम्मीदें ऊंची हैं। इस बार 117खिलाड़ियों का दल पेरिस गया है। इसके पहले कि वहां तीरंदाजों की स्पर्धा के साथ शनिवार को भारत का अभियान शुरू हो, इस संबंध में ठोस आकलन कर लेना उचित होगा कि पेरिस में भारत की सफलता का पैमाना क्या माना जाना चाहिए। सबसे छोटा मानदंड तो यही है कि वहां भारत का प्रदर्शन टोक्यो ओलिंपिक से बेहतर होना चाहिए। मगर दो अन्य बातें भी गौरतलब हैं।
पिछली बार जब भारत पदक तालिका में 48वें नंबर पर रहा, तो देश के जिम्मेदार अधिकारियों ने पेरिस में भारत के टॉप 30 देशों में आने का भरोसा जताया था। उसके पहले 2016 में जब रियो द जनेरो ओलिंपिक में भारत सिर्फ एक रजत और एक कांस्य जीत पाया था, तो उससे असंतुष्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नीति आयोग का एक टास्क फोर्स बनाया था। उसकी रिपोर्ट के आधार पर भारत सरकार ने संसद में कहा था कि उसने लक्ष्य तय किया है कि 2024 के ओलिंपिक खेलों में भारत को 50 पदक मिले। अब चूंकि 2024 के ओलिंपिक खेल शुरू हो रहे हैं, तो यह उचित होगा कि उपरोक्त दोनों पैमानों को भी ध्यान में रखा जाए। आखिर केंद्र सरकार ने एक लक्ष्य तय किया था, तो उसकी कोई जवाबदेही तो होनी चाहिए। 50 मेडल का लक्ष्य लेकर चला देश अगर 25 से भी ज्यादा पदक जीत लेता है, तो माना जाएगा कि कुछ प्रगति तो हुई है। लेकिन बात घूम-फिर कर टोक्यो ओलिंपिक के करीब ही रह गई, तो जाहिर है, देश उस पर निराश होगा।
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