Rahul Gandhi: कहना कठिन है कि बिहार के जातीय सर्वे को फर्जी बताते समय राहुल गांधी को याद था या नहीं कि जिस समय सर्वे हुआ, कांग्रेस नीतीश सरकार में शामिल थी। गांधी ने यह भी नहीं बताया कि ये सर्वे कैसे फर्जी है।
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राहुल गांधी ने बिहार में 2023 में हुए जातीय सर्वेक्षण को फर्जी बताया है। कहा कि नीतीश कुमार सरकार ने इसे लोगों को मूर्ख बनाने के मकसद से कराया।
अंदाजा लगाना मुश्किल है कि यह कहते समय गांधी को याद था या नहीं कि जिस समय सर्वे हुआ, उनकी पार्टी नीतीश सरकार में शामिल थी।
गांधी ने यह नहीं बताया कि ये सर्वे कैसे फर्जी है और इससे अलग जातीय जनगणना का क्या प्रारूप उनके पास है।(Rahul Gandhi)
यह तो जातीय जनगणना के किसी पैरोकार ने नहीं बताया है कि जनगणना रिपोर्ट आने के बाद उनकी पार्टी क्या करेगी?
अधिक से अधिक यही कहा गया है, जिसे राहुल ने भी दोहराया, कि आरक्षण की मौजूदा सीमा को खत्म किया जाएगा। कभी-कभार निजी क्षेत्र तक आरक्षण के विस्तार की बात भी कही गई है।
संवैधानिक दायरे में यह कैसे संभव
वर्तमान संवैधानिक दायरे में यह कैसे संभव है, यह किसी ने नहीं बताया है। जिस समय नव-उदारवादी आर्थिक नीतियों के तहत- जिन पर राजनीतिक आम सहमति है- सार्वजनिक क्षेत्र सिकुड़ रहा है
एआई एवं रॉबोटिक्स के इस दौर में जब निजी क्षेत्र में रोजगार के अवसर घट रहे हैं, ऐसी सोच के साथ सामाजिक या आर्थिक पिछड़ापन कैसे दूर होगा, ये बातें राहुल और सामाजिक न्याय के तमाम पैरोकारों के विमर्श से गायब है।
इसलिए ऐसी बातें- असल में मूर्ख बनाने का ही खेल रह जाती हैं। राहुल इस खेल को एक नए स्तर पर ले गए हैं। कुछ रोज पहले उन्होंने कह दिया कि उनकी लड़ाई ‘भारतीय राज्य’ से है।
राजनीति-शास्त्र के मुताबिक ‘राज्य’ का अर्थ क्या होता है, ये उनके ख्याल में था या नहीं, यह हमें नहीं मालूम। मगर हकीकत यह है कि ‘राज्य’ के खिलाफ सिर्फ वे ताकतें ही लड़ती है, जो अलग संप्रभु देश की स्थापना करना चाहती हैं।
यहां तक कि रैडिकल कम्युनिस्ट सोच में भी राज्य पर काबिज वर्गीय शक्तियों से लड़ने की बात होती है। वहां श्रमिक वर्ग के नुमाइंदों के राज्य पर कब्जा करने का उद्देश्य जताया जाता है।
मगर इन सब से बेपरवाह राहुल ऐसा कुछ कहते चले जा रहे हैं, जिससे उनकी बातों का वजन लगातार क्षीण हो रहा है।