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क्या मणिपुर बेकाबू है?

Manipur voilenceImage Source: ANI

Manipur voilence: अफसोसनाक है कि इतनी लंबी अवधि में मणिपुर के सुलगते हालात को संभालने की कोई गंभीर कोशिश नहीं हुई है। मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह और उनकी सरकार की तमाम नाकामियों के बावजूद उन्हें केंद्र का संरक्षण मिला रहा है।

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क्या इस राज्य पर किसी का नियंत्रण नहीं

मणिपुर में हफ्ते भर के अंदर जैसी हिंसा हुई है, उनसे यह सहज सवाल उठता है कि क्या इस राज्य पर किसी का नियंत्रण नहीं है? वारदात ने जैसा मोड़ लिया है, उससे भविष्य के लिए गहरी आशंकाएं पैदा होती हैं।

सोमवार को कुछ उग्रवादियों ने जिरीबाम जिले के जाकुरोदोर कारोंग में पुलिस थाने पर अंधाधुंध फायरिंग की। सुरक्षा बलों की वर्दी में आए इन उग्रवादियों ने एक सीआरपीएफ कैंप पर भी निशाना साधा। (Manipur voilence)

साथ ही उग्रवादियों ने पास के मार्केट में गोलीबारी की, कई दुकानों को जला डाला और कुछ मकानों को भी निशाना बनाया। उसके बाद सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई की।

उनके मुताबिक उनकी कार्रवाई में दस “उग्रवादी” मारे गए। जबकि कुकी-जो काउंसिल का दावा है कि मारे गए लोग “ग्रामीण स्वयंसेवक” थे।

ग्रामीण स्वयंसेवकों को मार डाला

हमार स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने दावा किया है कि 11 हमार “ग्रामीण स्वयंसेवकों” को मार डाला गया है। कुकी-जो काउंसिल ने उस इलाके में मंगलवार को दिन भर के बंद का आह्वान किया है। साफ है, स्थिति सुलगी हुई है।

पिछले हफ्ते जैरोन गांव में कुकी उग्रवादियों के हमले में एक महिला की जान गई थी और कई घर जला डाले गए थे। गौरतलब है कि इम्फाल घाटी में जारी हिंसा से लगभग साल भर तक जिरीबाम जिला अछूता रहा था।

लेकिन गुजरे जून में एक किसान का शव मिलने के बाद से यह भी चपेट में आ चुका है। सबसे अफसोसनाक है कि इतनी लंबी अवधि में मणिपुर के सुलगते हालात को संभालने की कोई गंभीर कोशिश नहीं हुई है। (Manipur voilence) 

मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह और उनकी सरकार की तमाम संदिग्ध भूमिकाओं के बावजूद उन्हें केंद्र का संरक्षण मिला रहा है।

पिछले लोकसभा चुनाव में राज्य की दोनों सीटों पर सत्ताधारी दल को पराजित कर जनता ने जो संदेश दिया, उससे भी सुनने या समझने का प्रयास केंद्रीय नेतृत्व ने नहीं किया।

इससे धारणा बनी है कि मणिपुर के ताजा हालत सिर्फ प्रशासनिक नाकामी और अकुशलता का परिणाम नहीं हैं। शक गहराया है कि इसके पीछे अवांछित राजनीति की भूमिका भी हो सकती है। इसके हानिकारक परिणाम हमारे सामने हैं। उधर स्थितियां और भी खतरनाक मोड़ लेती दिख रही हैं।

By NI Editorial

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