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इजराइल ने क्या पाया?

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हफ्ते भर पहले इजराइल ने सीरिया स्थित ईरानी दूतावास पर हमला कर उसके कई प्रमुख जनरलों को मार डाला। समझा जाता है कि यही घटना टर्निंग प्वाइंट साबित हुई। विस्फोटक स्थिति के बीच आखिरकार अमेरिका को भी इजराइल पर दबाव बनाना पड़ा।

इजराइल ने दक्षिण गजा से अपनी फौज लौटा ली है। साथ ही वह काहिरा में फिलस्तीनी संगठन हमास के साथ युद्धविराम की वार्ता में शामिल होने के लिए भी राजी हुआ है। ये घटनाक्रम हमास के हमले के बाद से इजराइल के जवाबी हमलों के ठीक छह महीना पूरा होने पर सामने आया। इस पूरे दौरान इजराइल हमास को खत्म करने तक युद्ध जारी रखने जैसी आक्रामक घोषणा करता रहा था। पिछले सात अक्टूबर को हमास के हमलों में लगभग 1200 इजराइली मारे गए थे। उसके बाद से जारी इजराइली हमलों में 33 हजार फिलस्तीनी मारे गए, जिसमें 13 हजार बच्चे हैं।

इन कार्रवाइयों को संयुक्त राष्ट्र की अनेक एजेंसियों नरसंहार बताया। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने भी इस मामले में अब तक जो कहा है, उनसे भी यही संकेत मिला है कि अदालत इस राय से इत्तेफ़ाक रखती है। उधर इन हमलों के कारण पश्चिम एशिया में इजराइल के साथ मुस्लिम देशों के संबंध सामान्य बनाने की चल रही प्रक्रिया गतिरुद्ध हो गई। पश्चिमी देशों में हजारों लोग इजराइल के खिलाफ सड़कों पर उतरे, जिससे वहां की सरकारो पर दबाव बना। इसी बीच हफ्ते भर पहले इजराइल ने सीरिया स्थित ईरानी दूतावास पर हमला कर उसके कई प्रमुख जनरलों को मार डाला।

समझा जाता है कि यही घटना टर्निंग प्वाइंट साबित हुई। ईरान ने उस क्षेत्र में मौजूद अपनी ‘प्रतिरोध धुरी’ के साथ मिलकर इजराइल पर हमले की तैयारी शुरू कर दी। उसने अमेरिका को संदेश दिया कि उसने दखल नहीं दिया, तो ये धुरी (जिसमें हिजबुल्ला, हूती, इराक का इस्लामी प्रतिरोध संगठन और सीरिया शामिल हैं) अमेरिकी ठिकानों को निशाना नहीं बनाएगी। वरना, वे भी हमलों की जद में आएंगे। ईरान ने कहा युद्ध टालने का एक ही उपाय है कि इजराइल गजा से अपनी सेना हटाए।

अमेरिका ने विस्फोटक स्थिति की गंभीरता को समझा। उसने इजराइल को दो-टूक संदेश दिया कि वह युद्धविराम की वार्ता में शामिल हो। अंततः इजराइल झुका। लेकिन इस बीच वह दुनिया में पहले के किसी मौके की तुलना में अधिक अलग-थलग पड़ चुका है। पास-पड़ोस में उसके अभेद्य किला होने की धारणा भी इस बीच ध्वस्त हो चुकी है।

By NI Editorial

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