china plus one opportunity: चाइना प्लस वन’ अवसर का भारत में इसका खूब शोर मचा। कहा गया कि अब ज्यादातर कंपनियां भारत को अपना ठिकाना बनाएंगी। लेकिन अब नीति आयोग, यानी परोक्ष रूप से भारत सरकार ने भी मान लिया है कि ऐसा नहीं हुआ। क्यों?
also read: जिंदगी की नई शुरुआत के लिए तैयार मनीषा कोइराला
चाइना प्लस वन अवसर का लाभ
नीति आयोग ने अब वो बात मानी है, जिससे कारोबार की दुनिया से परिचित हर व्यक्ति वाकिफ है। आयोग ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि ‘चाइना प्लस वन’ अवसर का लाभ उठाने में भारत को सीमित सफलता ही मिली है।
जबकि इसमें वियतनाम, थाईलैंड, कंबोडिया और मलेशिया जैसे देश आगे निकल गए हैं। ‘चाइना प्लस वन’ अवसर चीन पर पश्चिमी देशों- खासकर अमेरिका के लगाए प्रतिबंधों से बनी परिस्थितियों को कहा गया था।
समझ यह है कि इन प्रतिबंधों के कारण पश्चिमी कंपनियों के लिए चीन में उत्पादन करना कठिन होता जा रहा है, तो उन्होंने चीन के साथ-साथ किसी अन्य देश में भी अपने संयंत्र ले जाने की रणनीति बनाई है। जब ये हालात बनने शुरू हुए, तो भारत में इसका खूब शोर था।
कंपनियां भारत को ठिकाना बनाएंगी
कहा गया कि अब ज्यादातर कंपनियां भारत को अपना ठिकाना बनाएंगी। लेकिन अब नीति आयोग यानी परोक्ष रूप से भारत सरकार ने भी मान लिया है कि ऐसा नहीं हुआ। क्यों?
आयोग के मुताबिक इसका कारण सस्ता श्रम, सरल टैक्स कानून, परिवहन संबंधी कम दूरी और मुक्त व्यापार समझौतों पर दस्तखत करने के लिए दिखाई गई सक्रियता है।
यानी ये पहलू जिन देशों में हैं, उन्हें लाभ मिला। मगर भारत में ये स्थितियां क्यों नहीं हैं? और इसके लिए कौन जिम्मेदार है? दस साल से अधिक समय तक सत्ता में रहने के बाद कोई सरकार इसकी जिम्मेदारी पिछली सरकारों पर तो नहीं डाल सकती!
गोवा में विदेशी सैलानियों की घटती संख्या(china plus one opportunity)
और बात इसी अवसर तक सीमित नहीं है। जिन मामलों में बेहतर स्थिति थी, वहां भी अब हालात बिगड़ गए हैं। इनमें पर्यटन उद्योग भी एक है।
गोवा में विदेशी सैलानियों की घटती संख्या की हाल में खूब चर्चा रही है। लेकिन यह कहानी सिर्फ गोवा की नहीं है।
आधिकारिक रिपोर्टों के मुताबिक सैलानियों की संख्या अभी तक कोरोना महामारी के पहले के स्तर तक नहीं पहुंच पाई है।
कानून-व्यवस्था की बिगड़ी हालत, वायु प्रदूषण, सार्वजनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर की अपेक्षाकृत कमजोर स्थिति आदि को इसका कारण बताया गया है।
दोनों मामलों में कारण काफी कुछ मिलते-जुलते हैं। सबक है कि जड़ें दुरुस्त ना हों, तो हर अवसर सिर के ऊपर से गुजर जाता है।