रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक इंटरव्यू में कहा कि चीन के साथ सीमा विवाद हल करने की दिशा में अच्छी प्रगति हो रही है। फिर यह खबर आई कि चीन ने भारत के लिए नए पूर्णकालिक राजदूत की नियुक्ति कर दी है।
भारत-अमेरिका और भारत-चीन के रिश्तों में घटनाएं महत्त्वपूर्ण मोड़ लेती दिख रही हैं। बेशक, दोनों मोर्चों पर हो रही घटनाओं का आपस में जुड़ाव है। फिलहाल, संकेत है कि अमेरिका से भारत का रिश्ता गतिरुद्ध हो गया है, वहीं चीन के साथ तनाव घट रहा है। पहले चीन को लें। पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी पत्रिका न्यूजवीक को दिए इंटरव्यू में चीन के साथ भारत के संबंधों की अहमियत पर जोर देते हुए सीमा पर लंबे समय जारी मसलों के तुरंत हल पर जोर दिया था। तुरंत चीन ने इस बयान का स्वागत किया। इसी हफ्ते रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा कि चीन के साथ सीमा विवाद हल करने की दिशा में अच्छी प्रगति हो रही है। मंगलवार को यह खबर आई कि चीन ने भारत के लिए नए पूर्णकालिक राजदूत की नियुक्ति कर दी है। यह पद 18 महीनों तक खाली रहा। इसे भारत के प्रति चीन के बेरुखी का संकेत समझा गया था। अब शू फेइहोंग को राजदूत नियुक्त किया गया है।
यह रुझान उस समय दिखा है, जब अमेरिका एशिया-प्रशांत क्षेत्र में नए समीकरण बना रहा है। बीते हफ्ते उसने जापान, ऑस्ट्रेलिया और फिलीपीन्स को लेकर स्क्वैड नाम से एक नया समूह बनाया। अमेरिकी टीकाकारों ने इस समूह को क्वैड का विकल्प बताया है, जिसमें भारत भी शामिल है। इन टीकाकारों ने कहा है कि अमेरिकी आकलन में उसकी चीन विरोधी रणनीति में भारत जहां तक आ सकता था, आ चुका है। चूंकि अब उसे आगे उम्मीद नहीं है, इसलिए अमेरिका ने वह समूह बनाया है, जो सक्रिय रूप से चीन का मुकाबला कर सके। इस बीच गुरपतवंत सिंह पन्नू मामले में भारत पर अमेरिकी दबाव बढ़ने के संकेत हैं। संभवतः इन घटनाओं का संकेत चीन ने ग्रहण किया है। भारतीय विश्लेषकों के मुताबिक संभव है कि अब दोनों देश सीमा विवाद को हल करने का प्रयास करते हुए अन्य क्षेत्रों में संबंध बढ़ाने की नीति पर एक बार फिर चल पड़ें। अगर ऐसा हुआ, तो यह भारत के रुख में एक बड़ा बदलाव होगा। इसका असर पूरे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में महसूस किया जाएगा।