AAP congress: गठबंधन के मुद्दे पर राहुल गांधी और हरियाणा के पार्टी नेता समान धरातल पर नहीं थे। गांधी संभवतः इंडिया गठबंधन में शामिल तमाम दलों को एकता का संदेश देना चाहते थे, लेकिन (अति) आत्म-विश्वास से भरपूर प्रदेश नेताओं को यह घाटे का सौदा लगा। (AAP congress)
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इंडिया गठबंधन में नकारात्मक माहौल
अब जाहिर है कि कांग्रेस नेतृत्व ने बिना होम वर्क किए आम आदमी पार्टी के सामने हरियाणा में गठबंधन करने का प्रस्ताव रखा। इस मुद्दे पर राहुल गांधी और हरियाणा के प्रमुख पार्टी नेता समान धरातल पर नहीं थे। गांधी संभवतः इंडिया गठबंधन में शामिल तमाम दलों को संदेश देने के लिए हरियाणा के चुनाव का इस्तेमाल करना चाहते थे, लेकिन अपनी जीत के (अति) आत्म-विश्वास से भरपूर प्रदेश नेताओं को यह घाटे का सौदा लगा। आखिरकार बात आगे नहीं बढ़ी।
इससे इंडिया गठबंधन में कुल मिलाकर नकारात्मक माहौल बना है। आ.आ.पा. नेताओं ने कहा है कि उनकी पार्टी को ‘सम्मानजनक सीटें ना देने की जिद’ किए कांग्रेस नेताओं को चुनाव नतीजा आने पर पछताना होगा। उधर अखिलेश यादव की टिप्पणी भी गौरतलब है। समाजवादी पार्टी के हरियाणा में चुनाव ना लड़ने का एलान करते हुए उन्होंने यह रेखांकित कर दिया कि प्रदेश विशेष में सबसे मजबूत पार्टी गठबंधन के स्वरूप के बारे में तय करे, वे इस सिद्धांत के अनुरूप यह निर्णय ले रहे हैं।
बात उत्तर प्रदेश की आएगी, तो..
परोक्ष रूप से उन्होंने कहा है कि जब बात उत्तर प्रदेश की आएगी, तो वहां कांग्रेस नेताओं को भी इसी सिद्धांत के तहत सपा जो फैसला करे, उसे स्वीकार करना चाहिए। वहां कांग्रेस के उतने दावे को ही सपा स्वीकार करेगी, जो उसके मुताबिक भाजपा को हराने के मकसद से उचित होगा।
कुल सूरत यह उभरी है कि इंडिया गठबंधन की पार्टियां भाजपा को हराने के मकसद पर तो एकमत हैं, मगर इसके लिए वे अपने सियासी हितों से समझौता करने को राजी नहीं हैं। इस कारण इस गठबंधन की एकता सीट बंटवारे जैसे मुद्दे को लेकर अनेकता में बदल जाती है।
उधर कांग्रेस के बारे में सवाल उठा है कि क्या पार्टी की राज्य इकाइयां केंद्रीय नेतृत्व की प्राथमिकताओं से संचालित नहीं होतीं और क्या पार्टी में अंदरूनी संवादहीनता की स्थिति है? कांग्रेस नेतृत्व अगर आखिरी दौर में जाकर गठबंधन की पेशकश नहीं करता, तो ऐसे सवालों से बचा जा सकता था। आखिर आ.आ.पा. ने तो लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद कांग्रेस से गठबंधन खत्म करने का एलान कर दिया था। कांग्रेस ने ही ये मुद्दा फिर जिंदा किया।