G20 summit: न्यूनतम अंतरराष्ट्रीय टैक्स व्यवस्था, यूक्रेन और गजा में जारी युद्धों, और अमेरिका-चीन टकराव जैसे मुद्दों पर समूह के अंदर आम सहमति नहीं है। इन स्थितियों में रियो शिखर सम्मेलन में किसी साझा घोषणापत्र पर सहमति बन पाई, तो उसे करिश्मा ही माना जाएगा।
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आज से शुरू हो रहे शिखर सम्मेलन
जी-20 के आज से शुरू हो रहे शिखर सम्मेलन पर अमेरिका में इस महीने हुए राष्ट्रपति चुनाव से पैदा हुई अनिश्चितता का साया है।
वैसे भी यह मंच दुनिया में बढ़ते तनाव के कारण गंभीर सवालों से घिरता गया है। 2008 की मंदी से पैदा हुए संकट की पृष्ठभूमि में सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले 20 देशों के बीच नीतियों का तालमेल बैठाने के मकसद से इस समूह के शिखर सम्मेलन का आयोजन शुरू हुआ था।
तब दुनिया एक ध्रुवीय थी, जिसे अमेरिका अपने एजेंडे और प्राथमिकताओं के अनुरूप संचालित करने में सक्षम था। मगर 2017 के बाद से जारी आर्थिक, तकनीकी और भू-राजनीतिक विभाजन से इस समूह की प्रासंगिकता पहले जितनी स्पष्ट नहीं रह गई है।
ऊपर से अब डॉनल्ड ट्रंप के अमेरिका का राष्ट्रपति चुन लिए जाने से बहुपक्षीय मंचों की भूमिका नए सिरे संदिग्ध हो गई है। ब्राजील के रियो-द-जनेरो में आज और कल होने वाले शिखर सम्मेलन के साथ यह नई मुश्किल है।
अमेरिकी सत्ता अभी अभी ट्रंप प्रशासन के हाथ में आई नहीं है और निवर्तमान जो बाइडेन प्रशासन लेम-डक अवस्था में है। बाइडेन ने सत्ता में आने के बाद पूरी दुनिया में कंपनियों पर तय दर से न्यूनतम टैक्स लगाने की पहल की थी।
जी-20 का 19वां शिखर सम्मेलन
हालांकि बाइडेन प्रशासन ने इस पहल को गंभीरता से आगे नहीं बढ़ाया, पर ब्राजील के राष्ट्रपति लुई इनेसियो लूला दा सिल्वा ने ऐसी टैक्स व्यवस्था पर अंतरराष्ट्रीय आम-सहमति बनाने को अपनी प्राथमिकता बनाया।
उनकी पहल पर इस बारे में एक विस्तृत खाका भी तैयार किया गया है। मगर अब अमेरिका में ऐसा प्रशासन सत्ता संभालने जा रहा है, जिसका वादा बड़ी कंपनियों और धनी समूहों को कर से और छूट देने का है। (G20 summit)
ऐसे में लूला के एजेंडे को सम्मेलन में गंभीरता से लिया जाएगा, इस पर शक है। यूक्रेन और गजा में जारी युद्धों और अमेरिका-चीन टकराव के मुद्दों पर वैसे भी आम सहमति मौजूद नहीं है।
इन स्थितियों में रियो सम्मेलन में किसी साझा घोषणापत्र पर सहमति बन पाई, तो उसे करिश्मा ही माना जाएगा। फिलहाल तो अंदेशा यही है कि जी-20 का 19वां शिखर सम्मेलन एक रस्म-अदायगी बन कर रह जाएगा।