राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

चुनौती बहुत बड़ी है

Image Source: ANI

भारतीय विदेश नीति की चुनौती काफी बढ़ गई है। मोदी सरकार ने अपनी विदेश नीति में अमेरिकी धुरी से जुड़ने को प्राथमिकता दी। अब उस धुरी के साथ ही संबंधों में दुराव पैदा हो रहा है। इसे संभालना मोदी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।

ऑस्ट्रेलिया में विदेश मंत्री एस. जयशंकर के सामने वहां की विदेश मंत्री पेनी वॉन्ग ने जो कहा उससे इसी बात की पुष्टि हुई है कि कनाडा से संबंधित विवाद में फाइव आईज (पंच नेत्र) संधि के सदस्य बाकी चारों देश पूरी तरह कनाडा के साथ हैं। वॉन्ग ने जयशंकर के सामने कनाडा के आरोपों पर चर्चा की। कहा- “हमने जांच इन आरोपों के बारे में अपनी चिंताओं को स्पष्ट कर दिया है। हमने कहा है कि हम कनाडा की न्यायिक प्रक्रिया का सम्मान करते हैं।” ब्रिटेन और न्यूजीलैंड भी ऐसी ही राय जता चुके हैं। कनाडा का आरोप है कि निज्जर की हत्या भारतीय खुफिया एजेंसियों ने कराई। कनाडा के एक मंत्री ने तो सीधे गृह मंत्री अमित शाह पर कनाडा में उसके नागरिक सिखों की हत्या का आदेश देने का इल्जाम लगाया है।

मुश्किल यह है कि कनाडा अकेला देश नहीं है, जिसने भारत पर अपनी धरती पर हत्या की साजिश का आरोप लगाया हो। अमेरिका के न्याय विभाग ने सिख उग्रवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की कथित नाकाम साजिश के संबंध में भारतीय खुफिया एजेंसी एक पूर्व अधिकारी पर मुकदमा दर्ज कराया है। पन्नू के पास अमेरिका और कनाडा की दोहरी नागरिकता है। ऑस्ट्रेलिया की धरती पर भी सिख और हिंदू समुदायों के बीच टकराव देखने को मिल चुका है। पिछले महीने ऑस्ट्रेलिया की राजधानी कैनबरा में दो हिंदू मंदिरों पर हमले हुए। ब्रिटेन के अंदर भी भारतीय मूल के लोगों के बीच सांप्रदायिक हिंसा हो चुकी है।

चिंता की बात यह है कि इन देशों का मीडिया और वहां के अधिकारी ऐसी घटनाओं के पीछे भारत के सत्ताधारी दल के सहमना संगठनों की भूमिका देखते हैं। संभवतः इसीलिए उन्होंने अपना रुख सख्त कर लिया है। ऐसे में भारतीय विदेश नीति की चुनौती काफी बढ़ जाती है। नरेंद्र मोदी सरकार ने अपनी विदेश नीति में अमेरिकी धुरी से जुड़ने को प्राथमिकता दी। मगर अब उस धुरी के साथ ही संबंधों में दुराव पैदा हो रहा है। इसे संभालना मोदी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। इसलिए कि इसका कोई अन्य बेहतर विकल्प फिलहाल भारत के पास नहीं है।

By NI Editorial

The Nayaindia editorial desk offers a platform for thought-provoking opinions, featuring news and articles rooted in the unique perspectives of its authors.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *