राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

नतीजों का इंतजार बेहतर

विपक्ष में मेनस्ट्रीम मीडिया पर सत्ता पक्ष के नियंत्रण की शिकायतें काफी गहरा चुकी हैं। इसलिए उनमें एग्जिट पोल्स पर अविश्वास को एक सहज प्रतिक्रिया माना जाएगा। दरअसल, ऐसे सर्वेक्षणों को लेकर ऐसी ही प्रतिक्रिया सिविल सोसायटी के अंदर भी है।

लोकसभा के आम चुनाव के लिए मतदान पूरा हो चुका है। विभिन्न टीवी चैनलों और कुछ अखबारों के एग्जिट पोल अनुमानों के मुताबिक देश में कमोबेस राजनीतिक यथास्थिति बनी रहेगी। मगर इन अनुमानों के बीच आपसी फर्क इतना अधिक है कि उसके आधार पर कोई निष्कर्ष निकालना बेमायने है। सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को 281 से 400 तक सीटें मिलने का अंदाजा एग्जिट पोल्स में लगाया गया है। उधर इंडिया गठबंधन के नेताओं ने शनिवार को अपनी बैठक के बाद दावा किया कि उन्हें कम-से-कम 295 सीटें मिलेंगी। आम शख्स के लिए यह जानने का कोई स्रोत नहीं है कि यह दावा महज एक राजनीतिक तेवर है या इसके पीछे उन पार्टियों का सचमुच कोई ठोस आकलन है। चूंकि विपक्षी हलकों में मेनस्ट्रीम मीडिया पर सत्ता पक्ष के नियंत्रण की शिकायतें अब काफी गहरा रूप ले चुकी हैं, इसलिए उनमें एग्जिट पोल्स को लेकर अविश्वास को एक सहज प्रतिक्रिया माना जाएगा। दरअसल, मीडिया और ऐसे सर्वेक्षणों को लेकर ऐसी प्रतिक्रिया सिविल सोसायटी के भी एक बहुत बड़े हिस्से में है। इसके बावजूद यह कहा जा सकता है कि ओपिनियन और एग्जिट पोल्स से मतदाताओं के सामान्य रुझान का मोटा और सरसरी संकेत मिलता है।

ताजा सर्वेक्षणों का संकेत है कि नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियों से बढ़ी तमाम आर्थिक मुसीबतों के बावजूद मतदाताओं के एक बड़े वर्ग को भाजपा अपने भावनात्मक एजेंडे पर गोलबंद किए रखने में सफल है। या इसे ऐसे भी कहा जा सकता है कि विपक्षी दल लोगों की रोजमर्रा की समस्याओं को केंद्र में रख कर उन्हें संगठित करने और उनके सामने मोदी सरकार की नीतियों का बेहतर विकल्प पेश करने में विफल हैं। सांप्रदायिकता के खिलाफ जातिवाद को खड़ा करने का उनका दांव सिरे से नाकाम हुआ है। अगर एग्जिट पोल्स से मिले संकेतों की पुष्टि कल दोपहर बाद तक आने वाले नतीजों से हो जाती है, तो विपक्षी दलों को अपनी इस अल्प-दृष्टि आधारित रणनीति पर गंभीरता से आत्म-मंथन करना होगा। अगर सचमुच एग्जिट पोल्स के अनुमान के मुताबिक इस बार उनकी हार हुई, तो उनके सामने अस्तित्व का संकट खड़ा नजर आएगा।

By NI Editorial

The Nayaindia editorial desk offers a platform for thought-provoking opinions, featuring news and articles rooted in the unique perspectives of its authors.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *