चुनाव की स्वच्छता पर कांग्रेस की ठोस राय क्या है? अगर देश में स्वच्छ चुनाव नहीं हो रहे, तो इस प्रश्न पर उसकी तैयारी क्या है? ऐसी शिकायतों का समाधान निर्वाचन आयोग या न्यायपालिका के पास जाने से तो नहीं हो सकता।
जैसी अपेक्षा थी, निर्वाचन आयोग ने हरियाणा चुनाव में गड़बड़ी की कांग्रेस की शिकायत ठुकरा दी है। उसने कांग्रेस के आरोपों को ‘बेबुनियाद, भ्रामक और तथ्यों से दूर’ बताया है। आयोग सिर्फ यहीं तक रुका। उसने कांग्रेस को चेतावनी दी कि भविष्य में पार्टी ऐसे आरोप लगाने से बाज आए। आयोग ने इल्जाम लगाया है कि ऐसे ‘सामान्य’ किस्म के आरोप लगाकर कांग्रेस बिना किसी साक्ष्य के झूठे कथानक फैला रही है।
आयोग ने कहा है कि ऐसी बातें मतदान या मतगणना का दिन करीब आने पर की जाती हैं, जिससे भड़काऊ माहौल बन सकता है। हरियाणा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस ने कई निर्वाचन क्षेत्रों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में हेरफेर की शिकायत दर्ज कराई थी। कहा था कि कुछ क्षेत्रों में ईवीएम 99 प्रतिशत तक चार्ज्ड अवस्था में पाई गईं, जो सामान्यतः संभव नहीं है। अब चूंकि आयोग ने इन शिकायतों को सिरे से खारिज कर दिया है, तो सवाल है कि कांग्रेस क्या करेगी? क्या दलील मंजूर ना होने की पूरी संभावना के बावजूद वह सुप्रीम कोर्ट जाएगी? या चुपचाप इस मसले को यहीं छोड़ अगले चुनावों में मशगूल हो जाएगी? अनुमान लगाया जा सकता है कि महाराष्ट्र या झारखंड में कहीं भी इंडिया गठबंधन हारा, तो ऐसी शिकायतें फिर से उठाई जाएंगी।
आयोग की ये बात सही है कि विपक्ष अपनी हर हार के बाद ऐसा नैरेटिव खड़ा करता है। यह सच है कि विपक्ष जीत जाए, तो फिर वह जश्न मनाने में जुट जाता है। मुद्दा यह है कि चुनाव की स्वच्छता और निष्पक्षता पर कांग्रेस की ठोस राय क्या है? अगर वह मानती है कि देश में स्वच्छ चुनाव नहीं हो रहे, तो क्या इस प्रश्न पर उसने इंडिया गठबंधन के सहभागियों के साथ कोई साझा राय बनाने की कोशिश की है? ऐसी शिकायतों का समाधान निर्वाचन आयोग या न्यायपालिका में जाने से नहीं हो सकता। कांग्रेस के आरोप गंभीर किस्म के हैं। तो पहली शर्त है कि पार्टी खुद इसे गंभीरता से ले। अगर ऐसा है, तो फिर उसे व्यापक जन आंदोलन की तैयारी करनी चाहिए। वरना, इस गंभीर प्रश्न को अगंभीरता से उठाना छोड़ देना चाहिए।