राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

खुशनुमा सुर्खियों के नीचे

आर्थिक सर्वेक्षण (2023-24) रिपोर्ट में दिए गए विवरण आम जन की बढ़ती मुसीबतों से मुलाकात करा देते हैं। वहां मौजूद आंकड़े बताते हैं कि अगर पैमाना पूरे समाज की खुशहाली हो, तो वर्तमान सरकार की आर्थिक नीतियां विफल हैं।

आर्थिक सर्वेक्षण (2023-24) की सुर्खियां कुछ चुनौतियों के साथ मोटे तौर पर अर्थव्यवस्था की हरी-भरी तस्वीर दिखाती हैं, लेकिन उसमें दिए गए विवरण बढ़ती मुसीबतों से मुलाकात करा देते हैं। वहां मौजूद आंकड़े बताते हैं कि अगर पैमाना पूरे समाज की खुशहाली हो, तो सरकार की आर्थिक नीतियां विफल हैं। बताया गया है कि बीते वित्त वर्ष खाद्य महंगाई की दर 2022-23 की तुलना में लगभग एक फीसदी बढ़ी और यह 7.5 फीसदी दर्ज हुई। कई खाद्य पदार्थों की महंगाई दर तो दो अंकों में रही। लोगों को इस मार से राहत मिलने की कोई उम्मीद भी फिलहाल नहीं है। इसीलिए सर्वेक्षण में सिफारिश की गई है कि भारतीय रिजर्व बैंक ब्याज दरों पर फैसला लेते वक्त खाद्य महंगाई का ख्याल ना करे। सर्वे में यह दर्ज हुआ है कि बीते वर्ष कृषि क्षेत्र में सकल मूल्य संवर्धन (जीवीए) गिर कर 1.4 प्रतिशत पर पहुंच गया। कृषि क्षेत्र में बढ़ती बदहाली का इससे स्पष्ट संकेत और क्या होगा? 

कॉरपोरेट सेक्टर को रियायतें देकर उसका मुनाफा बढ़ाने की नीति से रोजगार पैदा नहीं हो रहा है, इसे भी सर्वे रिपोर्ट में स्वीकार किया गया है। बताया गया है कि 2023-24 में निफ्टी में दर्ज 500 कंपनियों का कुल मुनाफा 295 लाख करोड़ यानी 9.6 बढ़ा। सर्वे के मुताबिकः ‘इन कंपनियों में नई नौकरियों और कर्मचारियों के वेतन में इस मुनाफे के अनुपात में शायद ही बढ़ोतरी हुई। लेकिन यह उन कंपनियों के अपने हित में होगा कि वो नौकरियों की संख्या और वेतन में वृद्धि करें।’ इसी तरह सर्वे में स्वीकार किया गया है कि निजी क्षेत्र में मशीनरी, उपकरण एवं बौद्धिक संपदा उत्पादों के लिहाज से ग्रॉस फिक्स्ड कैपिटल फॉर्मेशन (जीएफसीएफ) की दर निम्न है, जबकि रियल एस्टेट सेक्टर में जीएफसीएफ उसके तीन गुना ज्यादा है। सर्वे के मुताबिक ‘यह स्वस्थ मिश्रण नहीं है।’ साथ ही यह ध्यान दिलाया गया है कि इसी कारण देश की मैनुफैक्चरिंग प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता नहीं बढ़ रही है और बहुत कम संख्या में अच्छी क्वालिटी की नौकरियां पैदा हो रही हैं। तो यह अर्थव्यवस्था की वास्तविक सूरत है। बाकी बातें मीडिया की सुर्खियां निर्मित करने के लिए हैँ। 

By NI Editorial

The Nayaindia editorial desk offers a platform for thought-provoking opinions, featuring news and articles rooted in the unique perspectives of its authors.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *