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चिंता वाजिब, हल बताइए!

Economic Survey 2025Image Source: ANI

Economic Survey 2025: सर्वे रिपोर्ट तैयार करने वाली टीम एआई से इतनी खौफ़जदा है कि 436 पेज की रिपोर्ट में 20 से ज्यादा पन्ने इसकी चर्चा में लगाए गए हैं। अर्थव्यवस्था, आर्थिक सर्वेक्षण, और जीडीपी जैसे शब्दों से अधिक बार एआई का इस्तेमाल हुआ है।

साल 2024-25 के आर्थिक सर्वेक्षण पर सरसरी नज़र डालें तो यही धारणा बनती है कि अर्थव्यवस्था में ‘सब कुछ ठीक-ठाक है’

मगर अंदर के पन्नों पर कई मुद्दों पर सही चिंता जताई गई है और कुछ बिंदुओं पर तो सर्वे भयाक्रांत भी दिखा है।(Economic Survey 2025)

मसलन, मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन के नेतृत्व में सर्वे रिपोर्ट तैयार करने वाली टीम आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) से इतनी खौफ़जदा है कि 436 पेज की रिपोर्ट में 20 से ज्यादा पन्ने इसकी चर्चा में लगाए गए हैं।

एक अखबारी विश्लेषण के मुताबिक रिपोर्ट में अर्थव्यवस्था, आर्थिक सर्वेक्षण, और जीडीपी आदि जैसे शब्दों से अधिक बार एआई का इस्तेमाल हुआ है।

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इसी तरह अनेक महत्त्वपूर्ण मैनुफैक्चरिंग उत्पादों के सप्लाई चेन पर चीन के बने लगभग एकाधिकार और भारत की उन पर निर्भरता की चर्चा करते हुए सर्वे रिपोर्ट में एक किस्म की लाचारी नजर आई है।

बहरहाल, अर्थव्यवस्था का अति वित्तीयकरण ऐसा मसला है, जिस पर संतोष भी जताया गया है, गहरी चेतावनी भी दी गई है।

संतोष इस पर है कि देश में रिटेल निवेशक अब बड़ी संख्या में शेयर बाजारों में पैसा लगा रहे हैं। इससे विदेशी संस्थागत निवेशकों पर भारत की निर्भरता घटी है।(Economic Survey 2025)

लेकिन साथ ही कहा गया है कि अति वित्तीयकरण से वास्तविक अर्थव्यवस्था को क्षति पहुंच सकती है। कहा गया है- वित्तीय बाजारों को अर्थव्यवस्था की पूंजीगत जरूरतों के अनुरूप विकसित होना चाहिए, उनसे अधिक तेज गति से नहीं।

यह सिर्फ भारत की समस्या नहीं(Economic Survey 2025)

मगर हकीकत यह है कि ऐसा पहले ही हो चुका है। दलाल स्ट्रीट का मेन स्ट्रीट (यानी मांग- निवेश- उत्पादन- वितरण के चक्र) से नाता तो कई वर्ष पहले टूट गया था, तब से दलाल स्ट्रीट की चमक मेन स्ट्रीट की कीमत पर बढ़ी है। यह सिर्फ भारत की समस्या नहीं है।

इसलिए यह मसला चेतावनियों के दायरे से बाहर जाकर अब सख्त कदमों की मांग कर रहा है।(Economic Survey 2025)

मगर, जिस आर्थिक सर्वे में बचे-खुचे नियम-विनियमों को भी खत्म करने की वकालत की गई हो, उसमें इलाज का नुस्खा ढूंढना निरर्थक ही है।

असल में जिन मसलों पर सर्वेक्षणकार चिंतित हैं, उनमें से किसी का कोई समाधान उन्होंने नहीं सुझाया है।

By NI Editorial

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